जेएनयू में गुंडई करने वाले नक़ाबपोश कौन थे, इसे लेकर दिल्ली पुलिस की पड़ताल आख़िरी दौर में पहुंच गई है। अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने कहा है कि दिल्ली पुलिस ने हिंसा में शामिल कुछ हमलावरों की शिनाख़्त कर ली है। रविवार रात को जेएनयू में कुछ नक़ाबपोशों ने 3 घंटे तक कहर मचाया था।
‘द टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ के मुताबिक़, पुलिस को हिंसा में शामिल नक़ाबपोशों को लेकर बेहद अहम सुराग मिले हैं। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अख़बार को बताया कि नक़ाबपोशों की पहचान की दिशा में प्रगति हुई है और इस मामले का जल्द ही ख़ुलासा कर दिया जाएगा। देश की राजधानी में स्थित और दुनिया भर में प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में हिंसा के इतने दिन बाद भी किसी को गिरफ़्तार न कर पाने से दिल्ली पुलिस पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं।
जेएनयू के छात्र-छात्राओं और टीचर्स ने आरोप लगाया है कि जिस दौरान गुंडे उन्हें पीट रहे थे, उस दौरान पुलिस कैंपस के गेट पर थी मौजूद थी लेकिन उसने इन लोगों को रोकने की कोशिश नहीं की। मीडिया में आई ख़बरों में कहा गया है कि हिंसा वाले दिन पुलिस को 4 घंटे के भीतर 23 बार कॉल की गई लेकिन पुलिस तब कैंपस के अंदर आई जब उसे रजिस्ट्रार की ओर से आधिकारिक रूप से आने के लिए कहा गया।
छात्रों और टीचर्स ने आरोप लगाया है कि जब नक़ाबपोश उपद्रव मचा रहे थे तब पुलिस कैंपस के गेट पर खड़ी थी। यह वास्तव में हैरान करने वाली बात है कि नक़ाबपोश तीन घंटे तक कैंपस में क़हर मचाने के बाद वहां से निकल भी गये और पुलिस को भनक तक नहीं लगी।
जेएनयू में घुसे नक़ाबपोशों के हमले में 30 से ज़्यादा लोग बुरी तरह घायल हो गए हैं। जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष के सिर में कई टांके आए हैं। घायलों को एम्स व सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
जेएनयू में हुई हिंसा के बाद कुछ वॉट्सऐप ग्रुप के चैट के स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया में वायरल हुए थे। 'इंडिया टुडे' ने ख़बर दी है कि इन वॉट्सऐप ग्रुप में दिख रहे ज़्यादातर नंबर या तो स्विच ऑफ़ हो गए हैं या जो लोग इन नंबरों का इस्तेमाल कर रहे थे, उन्होंने अपने सिम कार्ड तोड़ दिए हैं। इनमें अधिकांश लोग राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े हुए हैं।
एक वॉट्सऐप ग्रुप ‘फ़्रेंड्स ऑफ़ आरएसएस’ का चैट बताता है कि दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े लोग ही बाहरी लोगों को कैंपस के अंदर लाये थे। हालांकि एबीवीपी की ओर से कहा गया है कि उसका इस हिंसा में कोई रोल नहीं है और उसने हिंसा में वामपंथी छात्र संगठनों का हाथ होने का आरोप लगाया है।
‘सालों ने गंद मचा रखी थी’
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने भी ख़बर दी थी कि हिंसा से पहले कुछ वॉट्सऐप ग्रुप में अपील की गई थी कि वे इस विश्वविद्यालय के ‘देशद्रोहियों को बुरी तरह पीटें। हिंसा के बाद मारपीट पर खुशी जताई गई थी और कहा गया था कि ‘सालों ने गंद मचा रखी थी।’ यह भी लिखा था कि ‘अब नहीं मारते तो कब मारते?’ वॉट्सऐप ग्रुप ‘लेफ़्ट टेरर डाउन डाउन’ में किसी ने लिखा था, ‘आज जेएनयू में बहुत मजा आया। मजा आ गया, इन सालों, देशद्रोहियों को मार के।’
हैरानी तब हुई थी जब दिल्ली पुलिस ने आइशी घोष के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की थी। आइशी के अलावा 19 अन्य लोगों के ख़िलाफ़ भी एफ़आईआर दर्ज की गई थी। इन पर आरोप लगाया गया है कि इन्होंने 4 जनवरी को जेएनयू के सर्वर रूम में तोड़फोड़ की। यह एफ़आईआर 5 जनवरी को दर्ज की गई है और 5 जनवरी को ही जेएनयू में नक़ाबपोश घुसे थे।
बॉलीवुड से मिला जोरदार समर्थन
जेएनयू में नक़ाबपोश गुंडों की गुंडई के विरोध में कई विश्वविद्यालयों में छात्र संगठन सड़क पर हैं। जेएनयू के छात्रों को बॉलीवुड से भी समर्थन मिल रहा है। मशहूर अदाकार दीपिका पादुकोण भी वहां पहुंचीं थीं। फ़िल्म जगत से जुड़े 87 लोग जेएनयू के छात्रों के समर्थन में आए हैं। इसमें दीपिका पादुकोण, आलिया भट्ट, तापसी पन्नू से लेकर, सोनम कपूर, आयुष्यमान खुराना, मनोज वाजपेयी, फ़रहान अख़्तर और कई अन्य लोगों के नाम शामिल हैं।