आबकारी नीति: बैजल की भूमिका की जांच करे CBI - सिसोदिया

04:56 pm Aug 06, 2022 | सत्य ब्यूरो

दिल्ली में नई आबकारी नीति को लेकर शुरू हुआ विवाद और जोर पकड़ गया है। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वह नई आबकारी नीति के मामले में पूर्व उप राज्यपाल अनिल बैजल के द्वारा लिए गए फैसले की सीबीआई जांच चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच होना बहुत जरूरी है क्योंकि सरकार से पास हुई आबकारी नीति को जिसे उप राज्यपाल ने पहले मंजूर कर दिया था, उसमें उन्होंने बदलाव क्यों किया। 

मनीष सिसोदिया ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने साल 2021 में मई के महीने में नई आबकारी नीति को कैबिनेट से पास किया था। इस आबकारी नीति में सरकार ने कहा था कि पुरानी आबकारी नीति में जिस तरह पूरी दिल्ली में शराब की 849 दुकानें थीं, नई आबकारी नीति में भी इतनी ही दुकानें होंगी। लेकिन पुरानी आबकारी नीति में यह दुकानें असमान ढंग से थीं। मतलब किसी वार्ड में 20 से 25 दुकानें थीं तो किसी वार्ड में बिल्कुल भी नहीं थीं। 

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि कई ऐसे मॉल थे जहां पर 10-15 दुकानें थीं जबकि कई जगह बाजारों में बिल्कुल दुकानें नहीं थीं। इसलिए नई आबकारी नीति में यह नियम रखा गया था कि दिल्ली में शराब की दुकानों का वितरण समान ढंग से होगा और इस बात को मजबूत ढंग से रखा गया था।  

सुझावों को किया स्वीकार 

उन्होंने कहा कि मई 2021 में इस आबकारी नीति को कैबिनेट से पास करके तत्कालीन उप राज्यपाल के पास भेजा गया। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि आबकारी नीति को मंजूरी देने से पहले तत्कालीन उप राज्यपाल अनिल बैजल ने इसे बहुत ध्यान से पढ़ा और कुछ सुझाव भी दिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली की कैबिनेट ने उप राज्यपाल के सभी सुझावों को स्वीकार किया और फिर जून, 2021 में नई आबकारी नीति को फिर से तत्कालीन उप राज्यपाल के पास भेजा और उन्होंने ध्यान से पढ़ने के बाद ही नई आबकारी नीति को मंजूरी दी थी। 

सिसोदिया ने कहा, नई आबकारी नीति में कई जगहों पर जोर देकर यह कहा गया था कि शराब की दुकानों के असमान वितरण को खत्म किया जाएगा और ऐसी सूरत में पूरी दिल्ली के हर वार्ड में दो से तीन दुकानें होती।

अनाधिकृत इलाकों में दुकानें

सिसोदिया ने कहा कि नई आबकारी नीति में यह भी प्रावधान था कि अनाधिकृत इलाकों में भी शराब की दुकानें खुलेंगी। 

सिसोदिया ने कहा कि तत्कालीन उप राज्यपाल ने उस वक्त अनाधिकृत कॉलोनियों में शराब की दुकान खोलने को लेकर किसी तरह की आपत्ति नहीं की। लेकिन जब नई आबकारी नीति के तहत टेंडर जारी किए गए और दुकान खोले जाने की फाइल उप राज्यपाल बैजल के पास गई तो उन्होंने अपना स्टैंड बदल दिया। 

‘नई शर्त जोड़ दी’

सिसोदिया ने कहा कि 17 नवंबर 2021 से दिल्ली में नई आबकारी नीति के तहत शराब की दुकानें खुलनी थीं। लेकिन उप राज्यपाल ने 15 नवंबर को यानी कि ठीक 48 घंटे पहले एक नई शर्त लगा दी कि अनाधिकृत इलाकों में दुकानें खोलने के लिए डीडीए और एमसीडी की मंजूरी लेनी होगी। उन्होंने कहा कि पहले जब उप राज्यपाल ने इस आबकारी नीति को पढ़ा था तो तब उन्होंने इस तरह की कोई शर्त नहीं लगाई थी। 

सिसोदिया ने कहा कि यह जानना बेहद जरूरी है कि दिल्ली के अनाधिकृत इलाकों में आबकारी नीति के तहत दुकानें बीते कई सालों से खुलती रही हैं और उप राज्यपाल की मंजूरी से ही खुलती रही हैं।

सिसोदिया ने कहा कि उप राज्यपाल के द्वारा स्टैंड बदले जाने की वजह से दिल्ली के अनाधिकृत इलाकों में शराब की दुकानें नहीं खुल सकी जबकि पुरानी आबकारी नीति के तहत जिन इलाकों में शराब की दुकानें खुलती रही थीं, वहां भी नहीं खुल पाई और नए लाइसेंस का मामला अदालत में चला गया। 

अदालत ने आदेश दिया कि जो अनाधिकृत वार्ड हैं उनसे लाइसेंस फीस न ली जाए, उनको छूट दी जाए और इसकी वजह से सरकार को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि नई आबकारी नीति से सरकार को अच्छा खासा फायदा हो सकता था। लेकिन चूंकि तत्कालीन उप राज्यपाल ने सरकार से पूछे बिना ही अपना फैसला बदल दिया इसलिए सरकार को नुक़सान हुआ। 

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि उप राज्यपाल के इस फैसले की वजह से कुछ लोगों की तो दुकानें नहीं खुल पाई लेकिन कुछ लोगों की दुकानें खुल गई और जिन लोगों की दुकानें खुली, उन्हें करोड़ों रुपए का फायदा हुआ।

सीबीआई निदेशक को भेजा पत्र 

सिसोदिया की ओर से सीबीआई के निदेशक को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि आखिर उपराज्यपाल के दफ्तर के अपने ही फैसले से अचानक पलटने के पीछे क्या वजह थी।

उन्होंने सवाल उठाया है कि जो शर्त न तो नई आबकारी नीति को मंजूरी देते वक्त लगाई गई और न ही पुरानी आबकारी नीति में कभी अनाधिकृत इलाकों में दुकानें खोलने की मंजूरी देते वक्त लगाई गई, अचानक दुकानें खोले जाने से ठीक 2 दिन पहले यह शर्त क्यों लगा दी गईं।

सिसोदिया ने लिखा है कि उपराज्यपाल की ओर से मंजूर की गई आबकारी नीति के विपरीत शराब की दुकान खोले जाने के ठीक 2 दिन पहले यह शर्त इसलिए लगाई गई थी कि कुछ खास लाइसेंस धारकों को फायदा पहुंचाया जा सके। मनीष सिसोदिया ने इससे पहले कहा था कि नई आबकारी नीति से बीजेपी का भ्रष्टाचार ख़त्म हो जाता और साल में 9,500 करोड़ का राजस्व दिल्ली सरकार को मिल सकता था।

बीजेपी का पलटवार 

इस मामले में बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि आम आदमी पार्टी ने पिछले नवंबर से अब तक इस मामले में आवाज क्यों नहीं उठाई। उन्होंने कहा कि जब ईडी, सीबीआई ने इस मामले में जांच शुरू की तो आम आदमी पार्टी के नेताओं ने मामले को डायवर्ट करने के लिए जांच की सुई सीबीआई को पत्र लिखकर तत्कालीन उपराज्यपाल की ओर मोड़ दी है।

पात्रा ने कहा कि सीबीआई के डर से सिसोदिया अपने भ्रष्टाचार का ठीकरा उप राज्यपाल के सिर पर फोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि शराब कंपनियों के 144 करोड़ रुपये को मनीष सिसोदिया ने बिना किसी की अनुमति के माफ कर दिया। 

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि मास्टर प्लान के मुताबिक़, मिक्स्ड लैंड यूज में शराब के ठेकों की अनुमति नहीं है तो सिसोदिया ने इनकी अनुमति कैसे दे दी?

दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामबीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि उप मुख्यमंत्री ने विधानसभा के अंदर स्वीकार किया है कि दिल्ली में 100 नगर निगम वार्ड्स ऐसे हैं जहां शराब के ठेके नहीं खोले जा सकते लेकिन सरकार ने शराब के ठेकेदारों से मोटी रकम लेकर मास्टर प्लान का उल्लंघन कर शराब के ठेके खोले हैं और अब इसकी जांच सीबीआई करेगी। 

बीजेपी, कांग्रेस हमलावर 

नई शराब नीति को लेकर बीजेपी और कांग्रेस ने केजरीवाल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। बीजेपी का कहना था कि नई शराब नीति के नाम पर केजरीवाल सरकार और आम आदमी पार्टी ने हजारों करोड़ों रुपए का घोटाला किया है और इसलिए मनीष सिसोदिया को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। दिल्ली कांग्रेस ने भी इस मामले में आम आदमी पार्टी के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया था। 

जबकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने कहा था कि सीबीआई मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है। बताना होगा कि भ्रष्टाचार के मामले में केजरीवाल सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन पहले से ही जेल की सलाखों के पीछे हैं।