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वीके सक्सेना मानहानि केस में मेधा पाटकर को 5 माह की जेल

वीके सक्सेना मानहानि केस में मेधा पाटकर को 5 माह की जेल

मेधा पाटकर 1985 में नर्मदा घाटी के पास रहने वाले लोगों के मुद्दों को उजागर करने के लिए नर्मदा बचाओ आंदोलन के माध्यम से सुर्खियों में आई थीं। जानिए, वीके सक्सेना ने क्या आरोप लगाए थे।

दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को मानहानि के मामले में पांच महीने की कैद की सजा सुनाई है। यह मामला दिल्ली के वर्तमान उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने 2001 में दायर किया था। इसके 24 साल बाद अब इस मामले में सजा सुनाई गई है।

अदालत ने पाटकर को सक्सेना को 10 लाख रुपये का हर्जाना देने का भी आदेश दिया। इस साल मई में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा की अदालत ने इस मामले में मेधा पाटकर को दोषी ठहराया था। वह 2000 से सक्सेना के साथ कानूनी लड़ाई में उलझी हुई थीं। 

मेधा पाटकर ने अपने ख़िलाफ़ और नर्मदा बचाओ आंदोलन के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए सक्सेना के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। इसके बाद एक टीवी चैनल पर सक्सेना के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने और मानहानिकारक प्रेस बयान जारी करने के लिए दिल्ली के मौजूदा एलजी ने पाटकर के खिलाफ दो मामले भी दर्ज कराए थे। वीके सक्सेना उस समय अहमदाबाद स्थित एनजीओ नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे।

इस मामले में पाटकर को दोषी ठहराते हुए मजिस्ट्रेट अदालत ने कहा था कि सक्सेना के खिलाफ उनके बयान न केवल मानहानिकारक थे, बल्कि नकारात्मक धारणाओं को भड़काने के लिए गढ़े गए थे।

सोमवार को आदेश सुनाते हुए अदालत ने कहा कि 69 वर्षीय पाटकर को उनकी उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए कठोर कारावास की सजा नहीं दी गई। पाटकर ने अदालत के समक्ष जमानत याचिका दायर की है। जमानत याचिका पर सुनवाई होने तक जेल की सजा 30 दिनों के लिए निलंबित रहेगी।

पाटकर 1985 में नर्मदा घाटी के पास रहने वाले आदिवासियों, मजदूरों, किसानों, मछुआरों, उनके परिवारों और अन्य लोगों के मुद्दों को उजागर करने के लिए नर्मदा बचाओ आंदोलन के माध्यम से सुर्खियों में आई थीं।

पिछले साल गुजरात उच्च न्यायालय ने एक अन्य मामले में 2002 में पाटकर पर कथित हमले से जुड़े मामले में किसी भी आगे की कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाकर सक्सेना को अस्थायी राहत दी थी।

वीके सक्सेना पर दो अन्य भाजपा विधायकों और एक कांग्रेस नेता के साथ 2002 में साबरमती आश्रम में सामाजिक कार्यकर्ता पर हमला करने का आरोप है।

कथित मारपीट की यह घटना गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़कने के बाद शांति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक बैठक के दौरान हुई थी। गैरकानूनी सभा, हमला, गलत तरीके से रोकना और आपराधिक धमकी देने के लिए वर्तमान दिल्ली एलजी और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।

एक अन्य मामले में पिछले साल मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में धोखाधड़ी के एक मामले में पाटकर के साथ 12 अन्य लोगों पर मामला दर्ज किया गया था। एफआईआर के अनुसार, पाटकर और अन्य ट्रस्टियों ने मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में नर्मदा घाटी के लोगों के कल्याण के लिए उनके ट्रस्ट को दान देने के लिए लोगों को गुमराह किया।

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