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एमपी विधानसभा में कांग्रेस को राहुल स्टाइल में 'ज़िन्दा' करने की कोशिश

एमपी विधानसभा में कांग्रेस को राहुल स्टाइल में 'ज़िन्दा' करने की कोशिश

मध्य प्रदेश विधानसभा में 3 जुलाई को लोकसभा जैसा ‘नज़ारा’ पेश हुआ। लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव चर्चा पर प्रधानमंत्री के जवाब में जिस तरह के व्यवधान का अभूतपूर्व दृश्य 2 जुलाई को बना था, कुछ वैसा ही चित्र मध्य प्रदेश विधानसभा में 3 जुलाई को रहा। जानिए पूरा घटनाक्रमः

मध्य प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है। मोहन यादव सरकार का पहला बजट 3 जुलाई को राज्य के उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा (जिनके पास वित्त महकमे का दायित्व है) ने पेश किया। प्रतिपक्ष कांग्रेस अलग मूड बनाकर आयी थी। सदन की कार्रवाई आरंभ होते ही कांग्रेस के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। प्रतिपक्ष के सदस्य वेल में आ गए।

हंगामा मचाते कांग्रेस के सदस्य मध्य प्रदेश के बहुचर्चित नर्सिंग घोटाले को लेकर सदन में एक दिन पहले ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर आये सरकार के जवाब की खामियां गिनाते रहे। बता दें, मध्य प्रदेश में व्यापमं कांड के बाद नर्सिंग घोटाले की गूंज हो रही है। प्रतिपक्ष कांग्रेस दो जुलाई को सदन में काम रोको प्रस्ताव लायी थी।  

विधानसभा के स्पीकर नरेन्द्र सिंह तोमर ने उसे ध्यानाकर्षण में तब्दील करके चर्चा कराई। विधानसभा में बहुत लंबे समय के बाद किसी ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा 4 घंटे चली। प्रतिपक्ष का आरोप था कि मोहन यादव सरकार में मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने शिवराज सरकार में चिकित्सा शिक्षा मंत्री रहते हुए नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने में जमकर भ्रष्टाचार किया। अफसरों ने चांदी काटी। नेताओं ने पैसे बनाये।

मोहन यादव सरकार के अन्य डिप्टी सीएम और मौजूदा चिकित्सा शिक्षा मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने अपने काबीना सहयोगी का बचाव करते हुए, अपने जवाब में विश्वास सारंग को क्लीन चिट दी तो सदन में जमकर हंगामा हुआ। प्रतिपक्ष के सदस्यों ने सरकार के जवाब पर असंतोष जताते हुए सदन से वॉकआउट भी किया। कांग्रेस के सदस्य चाहते थे कि विश्वास सारंग इस्तीफा दें। यदि वे इस्तीफा नहीं देते हैं तो मुख्यमंत्री उन्हें कैबिनेट से बर्खास्त करें। मामले की जांच सीबीआई के पास है।

बुधवार को जब सदन समवेत हुआ और देवड़ा बजट प्रस्तुत करने के लिए माइक पर पहुंचे तो प्रतिपक्ष के सदस्यों ने शोर-शराबा आरंभ कर दिया। प्रतिपक्ष ने कहा सभी प्रमाण दिए हैं, लेकिन मुख्यमंत्री मोहन यादव या उनकी सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है। लूटे हुए विद्यार्थी बेहाल हैं। उनके परिजनों के बुरे हाल हैं।

बजट पेश होने के कुछ क्षण पहले तक प्रतिपक्ष के सदस्य वेल में खड़े होकर नारे लगाते रहे। भारी शोर-शराबे और नारों के बीच ही उप मुख्यमंत्री देवड़ा ने बजट भाषण पूरा किया। उनका भाषण पूरा होने के चंद मिनट पहले प्रतिपक्ष सदन से वॉकआउट कर गया।

लोकसभा में 2 जुलाई को इंडिया ब्लाक के सदस्यों ने प्रधानमंत्री के पूरे भाषण के दौरान नारेबाजी की थी। भाषण मुक्कमल होने के चंद मिनट पहले इंडिया ब्लॉक सदन से वॉकआउट कर गया था। लोकसभा जैसा निंदा प्रस्ताव एमपी विस में भी पास हुआ।

मध्य प्रदेश विधानसभा में बजट पेश होने के दौरान प्रतिपक्ष के हंगामे, वाकआउट और उपमुख्यमंत्री का भाषण के बाद संसदीय कार्यमंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कांग्रेस के रवैये पर क्षोभ जताया। निन्दा करने का आग्रह सदन और आसंदी से किया। विजयवर्गीय के आग्रह के बाद मोहन यादव सरकार के वरिष्ठ मंत्री प्रहलाद पटेल ने प्रतिपक्ष के खिलाफ निन्दा प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव को ध्वनिमत से इसे पारित किया गया।

टीम राहुल से हुई तुलना

मध्य प्रदेश विधानसभा में बुधवार को प्रतिपक्ष ने जो जोश और खरोश दिखाया एवं सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की उसकी तुलना राहुल गांधी के लोकसभा वाले तेवर से प्रेरित करार दी जा गई। पत्रकार गैलरी में यही चर्चा रही कि मप्र विधानसभा में आज का नजारा 2 जुलाई के लोकसभा में पीएम के जवाब के दौरान जैसा रहा।

सीनियर जर्नलिस्ट राकेश दीक्षित ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘राहुल गांधी ने दो यात्राएं (कन्याकुमारी से कश्मरी और मणिपुर से मुंबई रूख) करके जो जोश पैदा किया था, यदि उस टैम्पो को मध्य प्रदेश के कांग्रेस लीडर बरकरार रख लेते तो आज सत्ता में कांग्रेस होती और लोकसभा में भी 2019 जैसी फजीहत कांग्रेस की मप्र में नहीं होती।’

दीक्षित ने इसके साथ ही यह भी जोड़ा, ‘राहुल गांधी और टीम इंडिया के लोकसभा में प्रदर्शन ने विपक्ष को जाग्रत कर दिया है। मध्य प्रदेश में बजट के दौरान हंगामा और मंत्री सारंग से इस्तीफे की मांग उसका (राहुल ने जाग्रत कर दिया है) द्योतक है।’ दीक्षित यह क्षेपक लगाना भी नहीं भूले, ‘राहुल-अखिलेश एवं इंडिया एलायंस पार्टनर के लोकसभा वाले अंदाज को न केवल मप्र बल्कि अन्य सूबों में भी कांग्रेस या विपक्ष बनाकर रखता है तो आने वाले वक्त में भाजपा/एनडीए एवं मोदी-शाह की मुश्किलें और बढ़ जायेंगी।

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