उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक दलित परिवार की बेटी की मौत हो गयी। 14 सितंबर को उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। दरिंदों ने उसकी जीभ काट दी थी। उसके गले की हड्डी टूट गई थी क्योंकि बलात्कारियों ने चुन्नी से उसका गला घोटने की कोशिश की थी और उसकी पीठ में भी गहरी चोटें आई थीं।
इस लड़की की मौत के बाद देश भर में गुस्सा है। कोरोना संक्रमण के ख़तरे के बावजूद लोग सड़कों पर निकल रहे हैं और उत्तर प्रदेश सरकार के निकम्मेपन के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं। राजनीतिक दलों से जुड़ी महिला नेताओं ने इसके लिए योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
पुलिस पर गंभीर आरोप
यह घटना बताती है कि महिलाएं खासकर किसी दलित परिवार की बेटी उत्तर प्रदेश में क़तई महफूज नहीं है। मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक़, इस लड़की के साथ इतनी हैवानियत के बाद स्थानीय पुलिस ने बेशर्मी दिखाई और उसे गैंगरेप से जुड़ी धारा लिखने में 8 दिन लग गए। पुलिस पर आरोप है कि तब तक वह अभियुक्तों को बचाती रही।
धरने पर बैठे चंद्रशेखर
उत्तर प्रदेश के साथ ही देश भर में दलितों की आवाज़ उठाने वाले भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने सभी लोगों से अपील की है कि वे अभियुक्तों के लिये फांसी की माँग करे। उन्होंने कहा, ‘उन दरिंदो को तुरंत फांसी पर लटकाया जाये, जब तक उन दरिंदो को फांसी नहीं होगी, ना हम चैन से सोएंगे ना सरकार व प्रशासन को सोने देंगे।’ चंद्रशेखर पीड़िता के परिवार के साथ सफदरजंग हॉस्पिटल में धरने पर बैठ गए हैं।
कांग्रेस हमलावर
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश के ‘वर्ग-विशेष’ जंगलराज ने एक और युवती को मार डाला। सरकार ने कहा कि ये फ़ेक न्यूज़ है और पीड़िता को मरने के लिए छोड़ दिया।’ प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट कर कहा, ‘यूपी में कानून व्यवस्था हद से ज्यादा बिगड़ चुकी है। महिलाओं की सुरक्षा का नाम-ओ-निशान नहीं है। अपराधी खुले आम अपराध कर रहे हैं।’ दिल्ली महिला कांग्रेस ने भी सड़क पर उतकर प्रदर्शन किया।
योगी सरकार में बढ़ते अपराध पर देखिए, क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी. सिंह-
योगी सरकार का 'राम राज्य'
उत्तर प्रदेश में अपराध इस कदर चरम पर है कि लोगों को याद नहीं रहता कि पिछले हफ़्ते ही कोई वीभत्स कांड हुआ था। क्योंकि अगले हफ़्ते उससे भी ज़्यादा जघन्य जुर्म को अपराधी अंजाम दे देते हैं। पत्रकारों की हत्या/हमले हों, ब्राह्मणों की हत्याएं हों, उद्योगपतियों को पुलिस अफ़सरों की धमकियां हो, समाज के ग़रीब और वंचित वर्ग पर दबंगों का जुल्म हो या दलितों पर असीमित अत्याचार, इन ख़बरों को पढ़कर लगता है कि उत्तर प्रदेश में अपराध को रोकना 'राम राज्य' के दावे करने वाली योगी सरकार के बस की बात नहीं है।
हाथरस की घटना के अभियुक्तों के चेहरे सामने आ चुके हैं, अब इन पर मुक़दमा चलेगा और न जाने निर्भया मामले की ही तरह कितने दिन लगेंगे अभियुक्तों को फांसी के फंदे तक पहुंचाने में। फांसी इसलिए क्योंकि जो 2012 में निर्भया के साथ हुआ था, यहां उससे भी ज़्यादा बर्बरता की गई है।
इंसाफ़ में देरी क्यों
निर्भया के दोषियों को सजा मिलने में 8 साल का वक्त लगा था। सरकार को सोचना चाहिए कि बलात्कार के मामलों में दोषियों को फांसी तक पहुंचाने में इतना लंबा समय क्यों लग रहा है। निर्भया के परिवार ने अपनी बेटी को खोया, वह परिवार 8 साल तक अदालतों से लेकर हर उस संस्था के चक्कर लगाता रहा, जहां उसे न्याय की आस दिखी। लेकिन हर पीड़ित परिवार 8 साल तक जंग नहीं लड़ पाएगा। इसलिए बलात्कार के मामलों में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन कर जल्द से जल्द सजा का प्रावधान होना चाहिए। इसे लेकर भी निर्भया मामले के बाद से ही आवाज़ उठ रही है लेकिन अब तक कुछ होता नहीं दिखा है।