कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस कार्य समिति ने एक प्रस्ताव पारित कर राहुल गांधी से लोकसभा में विपक्ष के नेता की भूमिका निभाने का अनुरोध किया है।
कार्यसमिति की बैठक के बाद केसी वेणुगोपाल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "सीडब्ल्यूसी ने आमराय से राहुल गांधी से लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद लेने का अनुरोध किया...राहुल संसद के अंदर इस अभियान का नेतृत्व करने के लिए सबसे अच्छे व्यक्ति हैं।"
यह पूछे जाने पर कि क्या राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता की भूमिका स्वीकार करेंगे, कांग्रेस के संगठन प्रभारी महासचिव वेणुगोपाल ने कहा कि वह जल्द ही फैसला लेंगे।
वेणुगोपाल ने कहा, हमारे नेता और कार्यकर्ताओं के जोश के साथ, कांग्रेस का पुनरुद्धार शुरू हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि सीडब्ल्यूसी का माहौल चार महीने पहले से बिल्कुल अलग है। सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा, "निश्चित रूप से उन्हें (राहुल गांधी को) लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनना चाहिए। यह हमारी कार्य समिति का अनुरोध था। वह निडर और साहसी हैं।"
कांग्रेस कार्यसमिति ने अपने प्रस्ताव में चुनाव अभियान में राहुल गांधी के प्रयासों के लिए उनकी तारीफ की। प्रस्ताव में कहा गया है कि “कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बड़े पैमाने पर भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरू की। जिसे उन्होंने खुद डिजाइन किया और उसका नेतृत्व किया। उनकी सोच और व्यक्तित्व को प्रतिबिंबित करने वाली ये दोनों यात्राएं हमारे देश की राजनीति में ऐतिहासिक मोड़ थीं और हमारे लाखों कार्यकर्ताओं और करोड़ों मतदाताओं में आशा और विश्वास पैदा करने वाली हुईं।”
प्रस्ताव में कहा गया कि “राहुल गांधी का चुनाव अभियान बहुत शानदार था। यह राहुल गांधी ही थे, जिन्होंने 2024 के चुनावों में हमारे गणतंत्र के संविधान की सुरक्षा को केंद्रीय मुद्दा बनाया। पांच न्याय-पच्चीस गारंटी कार्यक्रम इस चुनाव अभियान में बहुत प्रभावशाली ढंग से गूंजा। वो सारे मुद्दे राहुल की यात्राओं का नतीजा था जिसमें उन्होंने सभी लोगों, विशेष रूप से युवाओं, महिलाओं, किसानों, श्रमिकों, दलितों, आदिवासियों, ओबीसी और अल्पसंख्यकों की आशंकाओं, चिंताओं और आकांक्षाओं को सुना। “
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हालांकि कांग्रेस कार्यसमिति ने माना है कि इतनी सफलता के बावजूद तमाम चुनौतियां बाकी हैं। जिनका मुकाबला कार्यकर्ताओं के दम पर किया जाएगा।
प्रस्ताव में कहा गया है कि "इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम उबर गए हैं और पुनर्जीवित हो गए हैं, लेकिन हमें अभी भी देश के राजनीतिक जीवन में उस प्रमुख स्थान पर कब्जा करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है। जहां पार्टी पहले थी। भारत के लोगों ने कांग्रेस को एक और मौका दिया है। यह अब इसे आगे बढ़ाना हम पर निर्भर है और हम ऐसा करेंगे।''
कार्यसमिति की बैठक में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे, वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, मनीष तिवारी, डीके शिवकुमार और रेवंत रेड्डी सहित अन्य लोग शामिल हुए।
इससे पहले खड़गे ने कार्यसमिति की बैठक को संबोधित किया। खड़गे ने पिछले कुछ महीनों में देश भर में कांग्रेस नेताओं और लाखों कार्यकर्ताओं के अटूट दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए इसकी शुरुआत की।
खड़गे ने कहा, “जनता ने हम पर विश्वास व्यक्त करके तानाशाही शक्तियों और संविधान विरोधी ताकतों को कड़ा जवाब दिया है। भारत के मतदाताओं ने भाजपा की 10 साल की विभाजनकारी, घृणास्पद और ध्रुवीकरण की राजनीति को खारिज कर दिया है।”
खड़गे ने चुनाव की तैयारियों और गठबंधन की बैठकों में सक्रिय भागीदारी के लिए पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को धन्यवाद दिया और “संविधान, आर्थिक असमानता, बेरोजगारी और सामाजिक न्याय और सद्भाव” को सार्वजनिक मुद्दा बनाने के लिए वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को बधाई दी।
भारत जोड़ो यात्रा के प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए खड़गे ने उन क्षेत्रों में कांग्रेस पार्टी के लिए वोट प्रतिशत और सीटों में उल्लेखनीय वृद्धि का उल्लेख किया जहां से यात्रा गुजरी। उन्होंने उदाहरण के तौर पर मणिपुर का हवाला दिया, जहां पार्टी ने दोनों सीटें जीतीं, और नागालैंड, असम और मेघालय जैसे अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों में भी जीत दर्ज की। महाराष्ट्र में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।
खड़गे ने एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक मतदाताओं के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी पार्टी के बेहतर प्रदर्शन की ओर इशारा किया। हालाँकि, उन्होंने शहरी मतदाताओं के बीच पार्टी के प्रभाव को मजबूत करने और कुछ राज्यों में खराब प्रदर्शन को संबोधित करने के लिए अधिक प्रयासों की जरुरत को स्वीकार किया, जहां कांग्रेस ने पहले विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन लोकसभा में उस सफलता को दोहराने में नाकाम रही थी।