कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से देश के लगभग 45 लाख छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। इंजीनियरिंग, मेडिकल, कृषि और दूसरे पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षाएं टाल दी गई हैं।
ये परीक्षाएं तय समय पर तो नहीं हो रही हैं, कब होंगी, इसका भी कोई तय समय नहीं है। ऐसे में इन परीक्षाओं की तैयारी में लगे छात्रों का परेशान होना स्वाभाविक है।
ज्वायंट एन्ट्रेन्स एग्ज़मिनेशन (जेईई) मेन व एडवांस्ड, एनईईटी, यूजीसी-नेट, एआईईए और आईसीएआर की परीक्षाएं टाली जा चुकी हैं। ये परीक्षाएं अप्रैल से जून तक होनी थीं। अब कब होंगी, किसी को पता नहीं।
एक मोटे अनुमान के अनुसार, इंजीनियरिंग प्रवेश की परीक्षा जेईई में 9 लाख तो मेडिकल की परीक्षा एनईईटी में 16 लाख छात्र भाग ले सकते हैं।
यूजीसी-नेट में 9 लाख, सीएसआईआर नेट में 10 लाख तो आईएसीएआर की परीक्षा में 2.50 लाख छात्र भाग ले सकते हैं।
इनमें से जेईई मेन की परीक्षा 7 व 11 अप्रैल को होनी थी। इसके अलावा एनईईटी की परीक्षा 3 मई को होनी थी।
यदि लॉकडाउन 15 अप्रैल के बाद भी जारी रहा तो ये परीक्षाएं कम से कम एक महीने बाद ही हो सकेंगी। इनमें से ज़्यादातर परीक्षाएं नेशनल टेस्टिंग एजेन्सी आयोजित कर रही हैं।
इन परीक्षाओं के टलने से नया सत्र भी टालना पड़ सकता है। समय पर परीक्षा नहीं हुई तो दाखिला भी समय पर नहीं होगा और ऐसे में नया सत्र टालना होगा।
इसके अलावा सीबीएसई की परीक्षाएं बीच में ही टाल दी गईं। दसवीं और बारहवीं के 41 विषयों की परीक्षाएं नहीं हुईं हैं। उनके बिना रिज़ल्ट नहीं निकल सकता। लिहाज़ा, लाखों छात्रों का रिज़ल्ट रुका हुआ है, कब तक रुका रहेगा, पता नहीं।