संसद के दोनों सदनों में कृषि क़ानून पर ज़ोरदार बहस चल रही है। कांग्रेस सदस्य ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कृषि क़ानूनों का विरोध करते हुए कहा कि अंग्रेजों के जमाने में भी कृषि क़ानूनों को वापस लेना पड़ा था। लेकिन बीजेपी के सदस्यो ने कृषि क़ानूनों को ज़ोरदार बचाव किया है। उन्होंने इसे बनाए रखने पर ज़ोर देते हुए कहा है कि इससे किसानों को फ़ायदा होगा।
इसके पहले बुधवार को किसान आंदोलन पर राज्यसभा में चर्चा के लिए सरकार और विपक्ष के बीच सहमति बन गई थी। पिछले शुक्रवार को हुए राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए अधिक समय आवंटित करने पर सहमत हुए हैं और सदस्य चर्चा के दौरान किसानों के विरोध के मुद्दों को उठा सकते हैं। रिपोर्टों में कहा गया है कि किसान प्रदर्शन के मुद्दे पर 15 घंटे सदन में चर्चा होगी।
इससे एक दिन पहले यानी मंगलवार को विपक्षी दलों ने कृषि क़ानूनों के मुद्दे पर वाकआउट किया था। उनके हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा था।
सहमति बनने से पहले राज्यसभा में बुधवार को भी विपक्षी दलों ने हंगामा किया। हंगामा तब और बढ़ गया था जब राज्यसभा अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने घोषणा की कि राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के बाद किसानों के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होगी। सदन में आम आदमी पार्टी के तीनों सांसद नारे लगाते रहे। बाद में तीनों सदस्यों को सदन छोड़कर जाने को कह दिया गया।
सदन की कार्यवाही बुधवार को जब फिर से शुरू हुई तो सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सदस्यों को सदन के भीतर मोबाइल फोन के इस्तेमाल के ख़िलाफ़ चेतावनी दी। उन्होंने कहा, 'राज्यसभा कक्षों के भीतर सेलुलर फोन के उपयोग पर प्रतिबंध है। यह देखा गया है कि कुछ सदस्य अपने मोबाइल फोन का उपयोग सदन की कार्यवाही को रिकॉर्ड करने के लिए कर रहे हैं जबकि ऐसा आचरण संसदीय शिष्टाचार के ख़िलाफ़ है।'
राज्यसभा में चर्चा के लिए सहमति बनने की यह ख़बर तब आई है जब मंगलवार को राज्यसभा में इस पर हंगामा हुआ था और कई बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी थी।
मंगलवार को राज्यसभा में कामकाज शुरू होते ही कुछ विपक्षी दलों ने किसान आन्दोलन पर चर्चा कराने की माँग की थी। कांग्रेस नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद और आनंद शर्मा ने राज्यसभा में किसानों के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिया है। तृणमूल कांग्रेस की सांसद अर्पिता घोष ने भी इसी मुद्दे पर नोटिस दिया था।
सीपीआई (एम) के सांसद एलाराम क़रीम ने राज्यसभा में नियम 267 के तहत किसानों के मुद्दों पर चर्चा की माँग की। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी के सांसद अशोक सिद्धार्थ ने राज्यसभा में स्थगन प्रस्ताव दिया था।
लेकिन स्पीकर एम. वेंकैया नायूड ने यह कह कर इसे खारिज कर दिया कि इस पर बहस बुधवार को होगी, आज नहीं। इस पर विपक्ष के सदस्यों ने नारेबाजी की। थोड़ी देर नारेबाजी के बाद स्पीकार ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी थी।
बता दें कि किसान केंद्र सरकार के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दो महीने से ज़्यादा समय से प्रदर्शन कर रहे हैं। दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों को रोकने के लिए दीवारें खड़ी की गई हैं और कंटीले तार लगाए गए हैं। भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। इससे पहले भी किसान ऐसी ही कई बाधाओं को पार कर दिल्ली की सीमा पर पहुँचे हैं। क़रीब ढाई महीने पहले जब किसान दिल्ली की ओर रवाना हुए थे तो कड़कड़ाती ठंड में किसानों पर पानी की बौछारें की गई थीं, लाठी चार्ज किया गया था, आँसू गैस के गोले दाग़े गए थे, रास्ते पर गड्ढे खोद दिए गए थे, भारी तादाद में पुलिस बल को तैनात किया गया था।