ईडी प्रमुख के कार्यकाल विस्तार से 'संवैधानिक प्रक्रिया ध्वस्त हो रही'?

01:26 pm Dec 02, 2022 | सत्य ब्यूरो

संजय कुमार मिश्रा को 2020 में जब ईडी प्रमुख के तौर पर विस्तार दिया गया था, तब उस पद पर रहते हुए वह ऐसा करने वाले पहले शख्स बने थे। इस साल उनका कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाय गया है। इसी को कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने कहा है कि बार-बार एक्सटेंशन देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नष्ट कर रहे हैं। याचिका में केंद्र सरकार पर आरोप लगाया गया है कि यह अपने राजनीतिक विरोधियों के ख़िलाफ़ प्रवर्तन एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।

ईडी की कार्रवाई को लेकर बीते कई महीनों से हंगामा चल रहा है। तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने आरोप लगाया है कि ईडी मोदी सरकार के इशारे पर उनके नेताओं को परेशान कर रही है। बीते कुछ सालों में विपक्ष के कई नेताओं को ईडी के साथ ही दूसरी जांच एजेंसियां भी समन भेज चुकी हैं और कई बड़े नेताओं की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी से नेशनल हेराल्ड मामले में हुई कथित गड़बड़ियों के बारे में ईडी की पूछताछ को लेकर देशभर का सियासी माहौल बेहद गर्म रहा था। कांग्रेस ने ईडी को सरकार की कठपुतली बताया था।

अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जांच एजेंसी ईडी ने साल 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से 121 नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की है। इन 121 नेताओं में से 115 विपक्षी दलों के नेता हैं। इसका मतलब ईडी के निशाने पर 95 फीसदी विपक्षी नेता रहे जबकि यूपीए सरकार के 2004 से 2014 यानी 10 साल के कार्यकाल में ईडी ने 26 राजनेताओं के खिलाफ जांच की थी और इसमें से 14 राजनेता विपक्षी दलों के थे। यह आंकड़ा 54 फ़ीसदी है।

बहरहाल, साल 2020 में संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल को विस्तार दिया गया था। साल 2021 में उन्हें दूसरा कार्यकाल विस्तार देने से पहले केंद्र सरकार ने जांच एजेंसियों के प्रमुखों के कार्यकाल को बढ़ाने के संबंध में नियमों में संशोधन कर शासनादेश जारी किया था। पहले केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुखों का कार्यकाल 2 साल का होता था लेकिन इस संशोधन के बाद वे अपने पद पर 5 साल तक बने रह सकते हैं। 

इसी के तहत संजय कुमार मिश्रा को लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए विस्तार दिया गया है। इस पर आपत्ति जताते हुए याचिका दायर की गई है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, याचिका में कहा गया है, 'मिश्रा के कार्यकाल का विस्तार हमारे देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नष्ट कर रहा है, इसलिए याचिकाकर्ता द्वारा वर्तमान रिट याचिका दायर की गई है, जिसे न्याय के हित में अनुमति दी जा सकती है।'

रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस नेता ने याचिका में कहा है कि शीर्ष अदालत ने एक विशिष्ट आदेश पारित किया था कि मिश्रा को और कोई विस्तार नहीं दिया जाएगा, लेकिन केंद्र ने उन्हें 17 नवंबर, 2021 से 17 नवंबर, 2022 तक दूसरा विस्तार दिया। इसके बाद उन्होंने एक याचिका दायर की, जिस पर एक नोटिस दिया गया था। याचिका में कहा गया है कि रिट याचिका के लंबित रहने के दौरान, प्रतिवादी को फिर से 18 नवंबर, 2022 से 18 नवंबर, 2023 तक तीसरा विस्तार दिया गया। याचिका में कहा गया है कि इससे पता चलता है कि विस्तार देने वालों का क़ानून के शासन के प्रति कोई सम्मान नहीं है।

द वायर की रिपोर्ट के अनुसार 18 नवंबर को जस्टिस एस.के. कौल ने ईडी निदेशक के लिए पाँच साल तक के विस्तार की अनुमति देने वाले संशोधित क़ानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। इसके एक दिन बाद मिश्रा को एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग एजेंसी के प्रमुख के रूप में एक साल का नया विस्तार दिया गया था।

तब कांग्रेस नेताओं- रणदीप सिंह सुरजेवाला और जया ठाकुर, और टीएमसी की महुआ मोइत्रा और साकेत गोखले द्वारा दायर याचिकाओं सहित याचिकाओं का एक समूह पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया था।