देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई उन पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की जाँच के लिए बनी तीन सदस्यीय समिति के सामने बुधवार को पेश हुए। इस दौरान उन्होंने समिति के सवालों के जवाब दिए। बता दें कि कुछ दिन पहले शिकायत करने वाली महिला ने ख़ुद को जाँच से यह कह कर अलग कर लिया था कि समिति के कामकाज के तौर तरीक़ों से वह सहमत नहीं हैं। इसके बाद महिला की ग़ैर मौजूदगी में ही जाँच प्रक्रिया आगे बढ़ी।
इस जाँच समिति में जस्टिस एस. ए. बोबडे, इंदु मलहोत्रा और इंदिरा बनर्जी हैं। समिति ने जस्टिस गोगोई से आग्रह किया कि वह समिति के सामने आएँ और उसके सवालों के जवाब दें। मुख्य न्यायाधीश ने इसे मान लिया और समिति के सामने पेश होकर उसके प्रश्नों के उत्तर दिए। जाँच पूरी होने के बाद समिति अपनी रिपोर्ट बंद लिफ़ाफे में डाल कर सुप्रीम कोर्ट के महासचिव को दे देगी। समिति यह रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करेगी।
मुख्य न्यायाधीश की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के महासचिव भी मौजूद थे। वह अपने साथ उस महिला की नियुक्ति से जुड़े काग़ज़ात, उसकी शिकायतों पर आंतरिक समिति की रिपोर्ट और दूसरी जानकारियों से जुड़ी फ़ाइलें लेकर आए थे।
इंडियन एक्सप्रेस अख़बार के मुताबिक़, इसके पहले शिकायतकर्ता ने जाँच समिति को एक चिट्ठी लिख कर कहा था कि उन्हें समिति से डर लगता है। उन्होंने कहा था कि समिति को ऐसी प्रक्रिया अपनानी चाहिए जो बराबरी पर आधारित हो और निष्पक्षता सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि वह जाँच प्रक्रिया से इसलिए हट रही हैं कि इसके सदस्य यह नहीं समझ पा रहे हैं कि यह कोई साधारण शिकायत नहीं है, मुख्य न्यायाधीश के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न की शिकायत है।
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मैनें उम्मीद की थी कि जाँच समिति मेरे साथ ऐसा रवैया अपनाएगी, जो संवेदनशील हो, जिससे मेरा डर और न बढ़े, मेरा कष्ट न बढ़े।
रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला
आरोपों की जाँच करने के लिए पिछले हफ़्ते ही तीन जजों की एक कमेटी बनाई गई थी। बाद में शिकायत करने वाली महिला ने कहा कि कमेटी के एक जज एन. वी. रमण जस्टिस गोगोई के नज़दीकी दोस्त हैं और उनके घर उनका आना जाना लगा रहता है, लिहाज़ा, उसे न्याय नहीं मिलेगा। इसके बाद जस्टिस रमण ने ख़ुद को इस कमेटी से अलग कर लिया था।
शिकायतकर्ता ने कमेटी में एक ही महिला के होने पर भी आपत्ति जताई थी। रमण के हटने के बाद इन्दु मलहोत्रा को उनकी जगह कमेटी में लाया गया। मौजूदा कमेटी में एस. ए. बोबडे, इंदु मलहोत्रा और इंदिरा बनर्जी हैं। शिकायतकर्ता ने कहा था कि जब वह जस्टिस गोगोई के घर सरकारी काम से गई थी, उन्होंने उसके साथ छेड़छाड़ की थी।शिकायतकर्ता ने कहा था, ‘जाँच कमेटी का माहौल बेहद डरावना है, मैं बहुत ही नर्वस हो जाती हूँ क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के जज मुझसे सवाल करते हैं और उस समय मेरे वकील भी वहाँ मौजूद नहीं रहते हैं।’
महिला ने कहा था कि पूरी प्रक्रिया की कोई ऑडियो या वीडियो रिकॉर्डिंग नहीं हो रही है न ही उन्हें कोई लिखित कॉपी दी जा रही है।
इसके पहले जस्टिस बोबडे ने कहा था, ‘यह एक इन-हाउस प्रक्रिया है और यह एक औपचारिक रूप से होने वाली न्यायिक कार्यवाही नहीं है।’ उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि जाँच को पूरा करने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं है और भविष्य में इस बारे में की जाने वाली कार्रवाई इस पर निर्भर करेगी कि जाँच में क्या सामने आता है और इसे पूरी तरह ‘गोपनीय’ रखा जाएगा।
बता दें कि भारत की न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार किसी सीजेआई पर यौन शोषण का आरोप लगा है। सीजेआई रंजन गोगोई पर उन्हीं के दफ़्तर में काम कर चुकी 35 साल की जूनियर कोर्ट असिस्टेंट ने यह आरोप लगाया है। महिला के मुताबिक़, सीजेआई गोगोई ने अपने निवास कार्यालय पर उसके साथ शारीरिक छेड़छाड़ की और जब उसने इसका विरोध किया तो उसे कई तरह से परेशान किया गया और अंत में उसे नौकरी से भी बर्खास्त कर दिया गया।