भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना ने शुक्रवार को वकीलों से न्यायपालिका को लक्षित हमलों से बचाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि संविधान की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह 'बहस के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है' जो राष्ट्र को प्रगति की ओर ले जाता है।
सीजेआई सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन यानी एससीबीए द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के जज, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एससीबीए के अध्यक्ष विकास सिंह भी शामिल हुए।
सीजेआई ने कहा, '... मैं आप सभी को बताना चाहता हूँ कि आपको न्यायाधीशों और संस्थान की सहायता करनी चाहिए। हम सब अंततः एक बड़े परिवार का हिस्सा हैं। प्रेरित और लक्षित हमलों से संस्थान की रक्षा करें।' उन्होंने कहा कि सही क्या है और क्या ग़लत है, इसके लिए खड़े होने से शर्माएँ नहीं।'
सीजेआई ने देश को आगे बढ़ने के लिए बहस का महत्व बताया। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, 'शायद, भारतीय संविधान की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह बहस के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है। इस तरह की बहस और चर्चा के माध्यम से ही राष्ट्र अंततः प्रगति करता है, विकसित होता है और लोगों का सबसे बेहतरीन तरीक़े से कल्याण करता है।'
सीजेआई रमना ने कहा कि 'इस प्रक्रिया में सबसे प्रत्यक्ष और सामने दिखने वाले खिलाड़ी निश्चित रूप से इस देश के वकील और न्यायाधीश हैं'।
रमना ने कहा कि संविधान और क़ानूनों के घनिष्ठ ज्ञान वाले व्यक्ति होने के नाते वकीलों की बाक़ी नागरिकों को समाज में उनकी भूमिका के बारे में शिक्षित करने की ज़िम्मेदारी है।
उन्होंने कहा, 'इस देश का इतिहास, वर्तमान और भविष्य आपके कंधों पर है। यह एक भारी, यदि सबसे भारी नहीं है, तो ढोने वाला बोझ है।'
यह कहते हुए कि क़ानूनी पेशे को एक वजह से एक महान पेशा कहा जाता है, उन्होंने कहा, 'यह किसी भी अन्य पेशे की तरह विशेषज्ञता, अनुभव और प्रतिबद्धता की मांग करता है। इसके अलावा, इसके लिए अखंडता, सामाजिक मुद्दों के ज्ञान, सामाजिक ज़िम्मेदारी और नागरिक गुणों की भी ज़रूरत होती है।'