दलाई लामा की जासूसी करने के संदेह में जिस चीनी महिला का स्केच जारी किया गया था, उसको बिहार के गया जिले में हिरासत में ले लिया गया है। रिपोर्टों के अनुसार उस महिला को चीन वापस भेजे जाने की संभावना है।
तिब्बतियों के सर्वोच्च धर्मगुरु दलाई लामा इन दिनों बिहार के गया में हैं। लेकिन इस तरह की ख़बर आई कि एक चीनी महिला उनकी जासूसी कर रही थी। बिहार पुलिस ने इस चीनी महिला का एक स्केच जारी किया। इसका नाम सॉन्ग शियाओलन बताया गया और कहा गया कि यह दलाई लामा को नुक़सान पहुंचा सकती है।
इससे पहले आज स्थानीय पुलिस ने सुरक्षा अलर्ट जारी कर दिया था। सोंग शियाओलन के रूप में पहचाने जाने वाली संदिग्ध चीनी जासूस के स्केच जारी किए गए थे, सोशल मीडिया पर प्रसारित किए गए थे, जिसमें अधिकारियों ने निवासियों से उसके बारे में जानकारी देने का अनुरोध किया था। इनपुट्स के मुताबिक़, संदिग्ध चीनी जासूस एक साल से ज्यादा समय से बोधगया समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में रह रही थी।
गया की एसएसपी हरप्रीत कौर ने बताया कि दलाई लामा के गया में होने की वजह से पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। गया में आने वाले तमाम यात्रियों को आईडी कार्ड जारी किए गए हैं। दलाई लामा जब गया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे थे तो उनका पूरे प्रशासनिक अमले ने जोरदार स्वागत किया था।
बता दें कि कुछ दिनों पहले ही अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी और इसके बाद दलाई लामा ने कहा था कि भारत ही उनका घर है और उनके चीन वापस लौटने का कोई सवाल पैदा नहीं होता।
अगला दलाई लामा कौन?
तिब्बती बौद्ध परंपरा के मुताबिक़, किसी भी लामा यानी धार्मिक गुरु का चुनाव दिवंगत हो चुके धार्मिक गुरुओं के गुणों और चारित्रिक विशेषताओं के आधार पर किया जाता है। माना जाता है कि उनका पुनर्जन्म होता है और नए बच्चों के गुण-दोष के आधार पर धर्मगुरु का चुनाव होता है। मौजूदा दलाई लामा की मौत के बाद उनकी जगह कौन लेगा, इसे लेकर 2018 में चीन और वॉशिंगटन आमने-सामने आ गए थे।
चीन ने तिब्बत के एक बच्चे को चुना था और उसे वह अगला दलाई लामा बनाना चाहता है। वह तिब्बतियों के दलाई लामा को नहीं मानता। लेकिन अमेरिका ने इसका विरोध किया था।
दलाई लामा के भारत में शरण लेने के बाद से ही चीन लगातार नया धर्मगुरु बनाने की साजिश रच रहा है।
दलाई लामा अपने हज़ारों तिब्बती अनुयायियों के साथ पिछले छह दशक से भारत में राजनीतिक शरण लिए हुए हैं। वह अब 88 साल के हो चले हैं। क़रीब एक दशक पहले उन्होंने निर्वासित तिब्बत सरकार के मुखिया की ज़िम्मेदारी से मुक्त होने का एलान कर ख़ुद को राजनीतिक गतिविधियों से अलग कर लिया था। उनका मूल नाम तेनजिन ग्यात्सो है। उन्हें उनके पूर्ववर्ती तेरह दलाई लामाओं का अवतार माना जाता है। तिब्बती बौद्ध पदाधिकारियों के एक दल ने जब उनके अवतार होने का एलान किया था तब उनकी उम्र महज दो साल की थी।
चार साल का होने से पहले ही उन्हें विधिवत दलाई लामा के पद पर आसीन करा दिया गया था। यह वह समय था जब तिब्बत एक स्वतंत्र देश था। बाद में चीन ने अपनी आज़ादी के कुछ समय बाद ही तिब्बत पर हमला कर उसे अपना हिस्सा घोषित कर दिया था।
दलाई लामा ने तिब्बती परंपरा के विपरीत यह एलान भी किया था कि उनके उत्तराधिकारी यानी 15वें दलाई लामा का चुनाव लोकतांत्रिक तरीक़े से किया जाएगा। लेकिन कहा जाता है कि चीनी सरकार इस इंतज़ार में है कि मौजूदा दलाई लामा के निधन के बाद वह कब अपनी मर्ज़ी से दलाई लामा की नियुक्ति कर उसे तिब्बतियों पर थोप सके।
चीन दलाई लामा पर कथित अलगाववादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाता रहा है, हालांकि, तिब्बती आध्यात्मिक नेता का कहना है कि वह आज़ादी नहीं बल्कि मध्य-मार्गी दृष्टिकोण के तहत तिब्बत के तीन पारंपरिक प्रांतों में रहने वाले सभी तिब्बतियों के लिए वास्तविक स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं। भारत द्वारा दलाई लामा को सहयोग दिए जाने को लेकर चीन आपत्ति जताता रहा है।