अरुणाचल प्रदेश के तवांग पर केंद्र सरकार आज मंगलवार को संसद में विपक्ष को संतुष्ट नहीं कर पाई। यहां तक सरकार ने संसद में इस पर चर्चा तक नहीं होने दी। चर्चा नहीं होने देने पर राज्यसभा में विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया। विपक्ष का कहना है कि इस समय संसद का सत्र चल रहा है, इसके बावजूद केंद्र सरकार ने चीन के साथ झड़प को छिपाने की कोशिश की। अगर भारतीय मीडिया ने खबर नहीं दी होती तो सरकार 13 दिसंबर को भी बयान नहीं देती।
तवांग में भारतीय सेना और चीन की सेना में हाथापाई 9 दिसंबर को हुई थी। 10 दिसंबर की शाम को भारतीय मीडिया को जब इसका पता चला तो उसने खबर चलानी शुरू कर दी। केंद्र सरकार खामोश रही। लेकिन 13 दिसंबर को रक्षा मंत्री रक्षा मंत्री ने संसद के दोनों सदनों में इस पर बयान दिया और इस बात की पुष्टि की कि 9 दिसंबर को वाकई झड़प हुई थी। जिसका भारतीय सेना ने वीरता से जवाब दिया। कुछ भारतीय सैनिक घायल भी हुए।
बयान के बाद विपक्ष ने इस पर चर्चा की मांग की। दरअसल, कांग्रेस और विपक्ष के अन्य सांसदों ने आज मंगलवार की सुबह ही लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति को ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का नोटिस दे दिया था। लेकिन दोनों सदनों में इस पर खूब हंगामा मचा।
समूचे विपक्ष ने कहा कि वे मामले पर राजनाथ सिंह के बयान से संतुष्ट नहीं हैं और स्पष्टीकरण चाहते है। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने अनुमति देने से इनकार कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप सदन में हंगामा हुआ।
हरिवंश ने अतीत की मिसालों का हवाला देते हुए कहा कि संवेदनशील मुद्दों पर स्पष्टीकरण की अनुमति नहीं दी जा सकती। संसद में विरोध के बाद, कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी सांसदों ने वॉकआउट किया।
कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने सत्र शुरू होते ही कार्यवाही को रोक दिया और चीन सीमा संघर्ष पर चर्चा की मांग करते हुए नारे लगाए।
कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के सांसद चाहते थे कि सरकार चीनी घुसपैठ के बारे में "ईमानदार" रहे। खड़गे ने कहा-
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हम राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर देश के साथ हैं और इसका राजनीतिकरण नहीं करना चाहेंगे। लेकिन मोदी सरकार को अप्रैल 2020 से एलएसी के पास सभी बिंदुओं पर चीनी अतिक्रमण और निर्माण के बारे में ईमानदार होना चाहिए।
- मल्लिकार्जुन ख़ड़गे, कांग्रेस अध्यक्ष 13 दिसंबर को
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह चीनी मुद्दे पर देश के सामने "डर" रहे हैं। ओवैसी ने पीएम मोदी पर "झूठ बोलने" का आरोप लगाया। ओवैसी ने कहा - सरकार सभी पक्षों को संघर्ष स्थल पर लेकर जाए। पीएम चीन का नाम लेने से डर रहे हैं, उनकी सरकार चीन के बारे में बोलने से डर रही है।
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पीएम राजनीतिक नेतृत्व दिखाने में नाकाम रहे हैं। झड़प 9 दिसंबर को हुई थी और आप आज बयान दे रहे हैं। अगर मीडिया ने रिपोर्ट नहीं की होती तो आप नहीं बोलते।
-असदुद्दीन ओवैसी, अध्यक्ष एआईएमआईएम, 13 दिसंबर
अमित शाह क्या बोले
अमित शाह ने कांग्रेस के आज के विरोध पर अलग ही बात कही। गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर सदन की कार्यवाही बाधित करने का आरोप लगाते हुए कहा, क्योंकि राजीव गांधी फाउंडेशन पर एक सवाल आज के लिए सूचीबद्ध था। जिस पर कांग्रेस चर्चा नहीं चाहती थी। दुर्भाग्य से कांग्रेस ने यह कहे जाने के बाद भी प्रश्नकाल बाधित किया कि रक्षा मंत्री इस मुद्दे पर बयान देंगे। मैंने प्रश्नकाल की सूची देखी और प्रश्न संख्या 5 देखने के बाद मैं (कांग्रेस की) चिंता को समझ गया। कांग्रेस के एक सदस्य ने यह पूछा था। हमारे पास जवाब तैयार था। लेकिन उन्होंने सदन को बाधित किया। हालांकि खड़गे ने इसका भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि चीन पर चर्चा नहीं होने देने पर हमारे बहिष्कार का उस सवाल से कोई संबंध नहीं है। सरकार चर्चा कराकर देखती तो सही। अगर हमारी कोई गलती है तो हमें फांसी पर लटका दो।अन्य बीजेपी नेता भी चीन पर बोलने की बजाय चीन और कांग्रेस के रिश्तों पर गृह मंत्री अमित शाह के बयान को दोहरा रहे हैं। बीजेपी के राज्यसभा सांसद अनिल जैन का यह बयान देखिए - राजीव गांधी फाउंडेशन को 2005-6 और 2006-7 के वित्तीय वर्ष में चीनी दूतावास से 1 करोड़ 35 लाख रुपए का अनुदान प्राप्त हुआ था,जो FCRA कानून और उसकी मर्यादाओं के अनुरूप नहीं था। इस पर नोटिस देकर पूर्णतया कानूनी प्रक्रिया का अनुपालन करते हुए गृह मंत्रालय ने इसका रजिस्ट्रेशन रद्द किया। अमित शाह ने भी यही आरोप आज लगाया था।
सीपीआई का बयान
भाकपा इस पर लगातार कहती रही है कि सीमा विवाद सुलझाए जाने चाहिए। सैन्य तरीका रास्ता नहीं है। भारत-चीन परंपरागत रूप से अच्छे मित्र रहे हैं। वे मिल सकते हैं, बातचीत शुरू कर सकते हैं और बातचीत के जरिए इसे सुलझाया जा सकता है। लेकिन भारत की मिट्टी का एक-एक इंच हम भारतीयों के लिए अनमोल है।