भारत चांद पर पहुँच गया। चंद्रयान-3 बुधवार शाम को चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतर गया। बिल्कुल तय रूप से ही यह अभियान सफल रहा। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शुरू होने वाली 40 दिनों की यात्रा के बाद इसरो का यह मिशन पूरा हुआ। विक्रम लैंडर सॉफ्ट लैंडिंग के ज़रिए चांद पर उतरा। इसके साथ ही भारत चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया है और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश हो गया।
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा है, 'सबसे कठिन हिस्से थे चंद्रमा की कक्षा में प्रक्षेपण, लैंडिंग, लैंडर को उतरने के लिए लॉन्च करना और अंतिम लैंडिंग। अब लैंडर के स्वास्थ्य का आकलन किया जाएगा और अगले कुछ घंटों में रोवर लैंडर से बाहर आ जाएगा।'
अगले 14 दिनों तक प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह से तस्वीरें और डेटा भेजेगा। 14 दिनों के बाद इसकी गतिविधि धीमी होने की संभावना है, यह देखते हुए कि यह सौर ऊर्जा द्वारा संचालित है। मून रोवर लैंडर विक्रम और चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के संपर्क में रहेगा। लैंडर इसरो को डेटा रिले करेगा, जिसका रोवर से कोई सीधा संबंध नहीं है।
दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 का उतरना खास है। यह इसलिए कि अब तक के पिछले मिशन चंद्रमा के भूमध्यरेखा क्षेत्र के आसपास उतरे हैं। इसमें उस अपोलो की लैंडिंग भी शामिल है जिसमें क्रू सदस्य भी शामिल थे। दक्षिणी ध्रुव गड्ढों और गहरी खाइयों वाला क्षेत्र है।
चंद्रमा सूर्य के सापेक्ष कुछ इस तरह स्थित है कि सूर्य की किरणें चंद्रमा के कुछ ध्रुवीय क्षेत्रों को छू भी नहीं पातीं और वहां के गड्ढों की गहराई तक नहीं पहुंच पाती हैं। ये गड्ढे ठंडी अवस्था में हैं। ऐसे क्षेत्रों में तापमान शून्य से 230 डिग्री सेल्सियस तक कम हो सकता है। ज़ाहिर है, ऐसी जगहों पर लैंडिंग करना और तकनीकी प्रयोग करना बहुत मुश्किल है।
दक्षिणी ध्रुव महत्वपूर्ण है क्योंकि माना जाता है कि इस क्षेत्र में पानी की बर्फ है जो भविष्य में चंद्रमा पर मानव के बसने की संभावना को बल देता है। चंद्रयान-3 लैंडर विक्रम अपने साथ 'प्रज्ञान' नामक रोवर ले गया है जो चंद्रमा की सतह की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करेगा और पानी की खोज करेगा।
प्रज्ञान अपने लेजर बीम का उपयोग चंद्रमा की सतह के टुकड़े को पिघलाने के लिए करेगा और इस प्रक्रिया में उत्सर्जित गैसों का विश्लेषण करेगा। इस मिशन के माध्यम से भारत न केवल चंद्रमा की सतह के बारे में ज्ञान का खजाना हासिल करेगा, बल्कि भविष्य में मानव निवास के लिए इसकी क्षमता भी हासिल करेगा।
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन उन हजारों वैज्ञानिकों की जीत है जिन्होंने दशकों से इसरो को उस मुकाम तक पहुंचाने के लिए काम किया है जहां वह अब है। इससे यह एक वैश्विक अंतरिक्ष महाशक्ति बन गया है।
इसरो अध्यक्ष ने परियोजना निदेशक पी वीरमुथुवेल, सहायक निदेशक कल्पना, मिशन निदेशक श्रीकांत और यूआरएससी निदेशक वी शंकरन को सफलता के लिए बधाई दी। चंद्रयान 3 के परियोजना निदेशक पी वीरमुथुवेल ने दोहराया कि कैसे इसरो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश है। सहायक निदेशक कल्पना ने कहा कि यह सबसे यादगार और सबसे खुशी का पल है।
नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने इसरो को बधाई संदेश में कहा है, 'इसरो, आपके चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग और चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान की सफलतापूर्वक सॉफ्ट-लैंडिंग करने वाला चौथा देश बनने पर भारत को बधाई। हमें इस मिशन में आपका भागीदार बनकर खुशी हुई!'
यह नए भारत की सुबह है: मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'जब हम ऐसे ऐतिहासिक क्षण देखते हैं तो हमें बहुत गर्व होता है। यह नए भारत की सुबह है। हमने धरती पर संकल्प किया और चांद पर उसे साकार किया... भारत अब चंद्रमा पर है।' प्रधानमंत्री ने चंद्रमा पर चंद्रयान-3 के लैंडर की सफल लैंडिंग की सराहना करते हुए इस क्षण को अभूतपूर्व बताया।