वैज्ञानिकों से बोले प्रधानमंत्री मोदी, पूरा देश आपके साथ है

10:26 am Sep 07, 2019 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

चांद पर उतरने से ठीक पहले ही चंद्रयान-2 का संपर्क टूट गया और इससे वैज्ञानिकों के साथ ही देश भर में निराशा का माहौल बन गया। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाया और उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के कंट्रोल सेंटर से शनिवार सुबह 8 बजे देश को संबोधित किया। 

प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों से कहा कि आप लोग देश की सेवा के लिए अपना जीवन खपा देते हैं अपने सपनों को समाहित कर देते हैं। उन्होंने कहा, ‘कल रात को मैं आपकी मनस्थिति को समझता था, चेहरे की उदासी को मैं पढ़ पाता था। कई रातों से आप सोये नहीं हैं फिर भी मेरा मन कर रहा था कि एक बार फिर सुबह आपको बुलाऊँ, आपसे बातें करूं।’ 

उन्होंने कहा, ‘इस मिशन के साथ जुड़ा हुआ हर व्यक्ति एक अलग ही अवस्था में था, बहुत से सवाल थे और सफलता के साथ आगे बढ़ते गये और अचानक सब कुछ नज़र आना बंद हो जाय, मैंने भी उस पल को आपके साथ जिया है, जब कम्युनिकेशन ऑफ़ आया तो आप सब हिल गए थे। मन में स्वाभाविक प्रश्न था कि कैसे हुआ, क्यों हुआ।’

मोदी ने आगे कहा, ‘बहुत सी उम्मीदें थीं, मैं देख रहा था कि आपको लगता था कि कुछ तो होगा क्योंकि उसके पीछे आपका परिश्रम था, आपने बड़ी मेहनत से निभाया था।’ उन्होंने वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाते हुए कहा, साथियों आज भले ही कुछ रुकावटें आई हों लेकिन इससे हमारा हौसला कमजोर नहीं पड़ा है बल्कि और मजबूत हुआ है।’ 

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘साथियों, परिणामों से निराश हुए बिना निरंतर लक्ष्य की तरफ़ बढ़ने की हमारी परंपरा भी रही है और हमारे संस्कार भी हैं। हमारा हज़ारों वर्षों का इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा हुआ है जब शुरुआती रुकावटों के बावजूद हमने ऐतिहासिक सिद्धियाँ हासिल की हैं। ख़ुद इसरो भी कभी न हार मानने वाली संस्कृति का जीता-जागता उदाहरण है।’ 

प्रधानमंत्री ने अंत में कहा, ‘ज्ञान का सबसे बड़ा शिक्षक कोई है तो वह विज्ञान है और विज्ञान में विफलता होती ही नहीं है, केवल प्रयोग और प्रयास होते हैं। हर प्रयोग, हर प्रयास ज्ञान के नये बीज बोकर जाता है। साथियों, चंद्रयान के सफ़र का आख़िर पड़ाव भले ही आशा के अनुकूल न रहा हो लेकिन हमें यह भी याद रखना होगा कि चंद्रयान की यात्रा शानदार रही है, जानदार रही है।’