सीडीएस रावत ने चेताया- चीन-पाक साँठगाँठ कर पैदा कर सकते हैं एक साथ दोतरफ़ा ख़तरा

11:30 am Sep 04, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

चीन और पाकिस्तान आपस में साँठगाँठ कर भारत के लिए दोतरफ़ा ख़तरा पैदा कर सकते हैं और भारत को पश्चिमी और उत्तरी- दोनों मोर्चों पर दोनों के मिले-जुले हमले का सामना करना पड़ सकता है। हमें अपनी प्रतिरक्षा रणनीति में इसका ध्यान रखना पड़ेगा। इसी बात पर चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ यानी सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने ज़ोर दिया है। उनका बयान लद्दाख क्षेत्र में चीनी घुसपैठ के मद्देनज़र काफ़ी अहम है।

लद्दाख क्षेत्र में चीनी घुसपैठ से दो सवाल खड़े होते हैं- यह ख़तरा किस तरह का है और इसके लिए भारतीय सेना में कैसी तैयारी है इसके संकेत सेना की दो गतिविधियों से मिलते हैं। एक, चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ यानी सीडीएस प्रमुख जनरल बिपिन रावत का बयान। उन्होंने चीन और पाकिस्तान के बीच साँठगाँठ को लेकर चेताया है कि भारत के सामने एक साथ दो मोर्चे पर ख़तरा है। हालाँकि यह ख़तरा पहले से भी रहा है लेकिन ताज़ा चीनी घुसपैठ के बाद यह ज़्यादा चुनौतीपूर्ण हो गया है। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल इससे निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। और दूसरा, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाने द्वारा सेना की तैयारी का जायजा लेना। वह पूर्वी लद्दाख के उस फ़ॉरवर्ड क्षेत्र चुशूल सेक्टर में जाएजा लेने गए जहाँ पिछले हफ़्ते ही भारतीय सेना ने चीनी घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया था और उस पर अपना क़ब्ज़ा जमाया। 

पिछले कई महीनों से लद्दाख क्षेत्र में जो चीनी सेना की घुसपैठ हो रही है, भारतीय सेना की ये गतिविधियाँ उसी संदर्भ में हैं। चीनी सेना द्वारा भारतीय ज़मीन पर क़ब्ज़ा किए जाने की जिस तरह की हाल में रिपोर्ट आई है उसमें ऐसी गतिविधियों की ज़रूरत भी है। इसीलिए विशेष तैयारी होनी ही चाहिए। सेना प्रमुख का चुशूल में जाकर तैयारियों का जायज़ा लेना भी उसका हिस्सा ही ही।  

भारत के सामने दो बड़े ख़तरे हैं चीन और पाकिस्तान। इन दोनों देशों के बीच ख़ास बात यह है कि भारत के ख़िलाफ़ इनके बीच ज़बरदस्त जुगलबंदी है। हर क्षेत्र में। लेकिन अब जो ख़ास बात है कि चीन के साथ बढ़े तनाव के बीच पाकिस्तान अपना उल्लू सीधा करना चाहता है। सीधे शब्दों में कहें तो चीन के साथ तनाव के बीच पाकिस्तान इसका ग़लत फ़ायदा उठाना चाहता है। इसीलिए वह पश्चिमी सीमा की तरफ़ से हरकत करने की फिराक में है और उसे लगता है कि भारत चीन से उलझा हुआ है तो वह इसका फ़ायदा उठा सकता है।

सीडीएस रावत ने पाकिस्तान की इसी ग़लतफहमी की ओर ध्यान दिलाया है और कहा है कि वह ऐसा दुस्साहस करने की ग़लती नहीं करे।

गुरुवार को यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम (यूएसआईएसपीएफ) के सम्मेलन में जनरल रावत ने यही बात कही। उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान सैन्य, आर्थिक और कूटनीतिक रूप से सहयोग करते रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इससे उत्तरी और पश्चिमी मोर्चों पर समन्वित कार्रवाई का ख़तरा भी है, जिस पर हमें अपनी रक्षा योजना पर विचार करना होगा।

इस सवाल पर कि क्या उत्तरी सीमा पर कोई ख़तरा है, जनरल रावत ने चीन का ज़िक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान इसका फ़ायदा उठाने के लिए उत्तरी सीमा पर कुछ हरकत कर सकता है। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कहा, 'इसलिए हमने यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सावधानी बरती है कि पाकिस्तान द्वारा ऐसे किसी भी दुस्साहस को विफल कर दिया जाए, और वे अपने मिशन में सफल नहीं हो पा रहे हैं। यदि उन्होंने किसी भी दुस्साहस का प्रयास किया तो वास्तव में उन्हें भारी नुक़सान उठाना पड़ सकता है।'

उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान छद्म युद्ध छेड़ता रहता है और अपनी ज़मीन पर आतंकवादियों को प्रायोजित, प्रशिक्षित, हथियारों से लैस करता रहा है, जिन्हें वे जम्मू और कश्मीर में घुसपैठ कराते रहते हैं'। 

जनरल रावत ने कहा, 'पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाले जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान से चीन का आर्थिक सहयोग और इसके साथ सैन्य, आर्थिक और कूटनीतिक समर्थन हमारे लिए उच्च स्तर की तैयारी को ज़रूरी बना देता है।' 

सीडीएस रावत ने कहा कि सेना बल ने एक साथ दो मोर्चे पर ख़तरे को देखते हुए तैयारी की है। उन्होंने कहा कि इन ख़तरों को दो कैटेगरी में बाँटा है- पहला प्राइमरी और सेकंडरी। उन्होंने यह भी कहा कि योजना के तहत पहले प्राइमरी मोर्चे से निपटा जाएगा और फिर सेकंडरी से।

चीन के साथ तनाव पर जनरल रावत ने कहा कि भारत और चीन ने 1993 से प्रोटोकॉल तय किया है, लेकिन चीन द्वारा हाल ही में कुछ आक्रामक कार्रवाई की गई है।

जनरल रावत ने कहा, 'हम अपने प्रोटोकॉल को मानते हैं और हम सीमाओं के साथ शांति और सद्भाव सुनिश्चित करना चाहते हैं। हमारे पास सीमा प्रबंधन प्रोटोकॉल हैं, जिन पर 1993 से ही हमारे और चीन के बीच हस्ताक्षर किए गए हैं, और हमने प्रोटोकॉल को लगातार संशोधित किया है। लेकिन हाल में हम चीनियों द्वारा कुछ आक्रामक गतिविधियों को देख रहे हैं, लेकिन हम इसे सबसे उपयुक्त तरीक़े से निपटने में सक्षम हैं। हमारे पास हमारी तीन सेनाएँ- सेना, नौसेना और वायु सेना हैं, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में ख़तरों से निपटने में सक्षम हैं।'