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बीजेपी को फरवरी 2025 तक नड्डा की जगह नया अध्यक्ष मिल सकता है

बीजेपी को फरवरी 2025 तक नड्डा की जगह नया अध्यक्ष मिल सकता है

कुछ दिन की खामोशी के बाद भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की चर्चा फिर चल पड़ी है। भाजपा जेपी नड्डा की जगह नया अध्यक्ष तलाश नहीं कर पाई है। नड्डा अब केंद्र में मंत्री बन चुके हैं। महाराष्ट्र चुनाव से पहले फडणवीस का नाम भी इस पद के लिए चला था। 

पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी हवाले से पीटीआई ने खबर दी है कि नए भाजपा अध्यक्ष की नियुक्ति फरवरी के अंत तक की जा सकती है। पार्टी सूत्रों ने कहा कि इस समय पार्टी के संगठनात्मक चुनाव जनवरी के मध्य तक खत्म होने की उम्मीद है। आधे से अधिक राज्य इकाइयों में मतदान प्रक्रिया पूरी होने वाली है। उसके बाद नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी जो फरवरी अंत तक पूरी हो जाएगी।

एक वरिष्ठ नेता ने पीटीआई को बताया कि भाजपा की राज्य इकाई के लगभग 60 प्रतिशत अध्यक्षों का कार्यकाल समाप्त हो गया है और अगले महीने के मध्य तक उनकी जगह नियुक्तियां होने की संभावना है।

भाजपा के संविधान में कहा गया है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने से पहले उसकी कम से कम आधी राज्य इकाइयों में संगठनात्मक चुनाव पूरे हो जाने चाहिए। पदाधिकारी ने कहा, ''हमें उम्मीद है कि फरवरी के अंत तक नया भाजपा अध्यक्ष कार्यभार संभाल लेगा।''

यह पूछे जाने पर कि क्या नया भाजपा अध्यक्ष कोई ऐसा हो सकता है जो वर्तमान में केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्यरत है, उन्होंने कहा कि यह या तो सरकार से या संगठन से हो सकता है। उन्होंने कहा कि अभी तक कुछ भी तय नहीं हुआ है। संयोग से, नड्डा, जो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री भी हैं, ने फरवरी 2020 में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला था।

हालाँकि पार्टी अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है, लेकिन नड्डा को 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर विस्तार दिया गया था। जिसमें भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अपने तीसरे कार्यकाल के लिए सत्ता में लौटा है।

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति में आरएसएस का दखल रहता है। आरएसएस अपनी पसंद के ही शख्स को अध्यक्ष बनवाता है। लेकिन मोदी और शाह बीजेपी के नए आलाकमान के रूप में जाने जाते हैं। अब फैसला मोदी और शाह ही करते हैं। इस पद पर मोदी और शाह अपना विश्वासपात्र व्यक्ति को ही रखना चाहते हैं। फडणवीस के लिए महाराष्ट्र चुनाव से पहले आरएसएस ने पूरा जोर लगाया था लेकिन मोदी-शाह ने संघ की चलने नहीं दी।

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