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ईवीएम पर इंडिया गठबंधन में ही दरार? जानें अब टीएमसी का क्या रुख

ईवीएम पर इंडिया गठबंधन में ही दरार? जानें अब टीएमसी का क्या रुख

हरियाणा, महाराष्ट्र चुनाव में हार के बाद विपक्षी दलों ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर चिंता व्यक्त करते हुए बैलेट पेपर वोटिंग की वकालत की। लेकिन अब इंडिया गठबंधन के ही दल के सुर क्यों बदले?

क्या अब ईवीएम के मुद्दे पर इंडिया गठबंधन में ही सिर फुटव्वल शुरू होने वाली है? वैसे, बयानबाजी तो शुरू हो चुकी है। पहले जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायत पर सवाल उठाए और अब टीएमसी ने भी उनकी हाँ में हाँ मिला दी है। यानी इंडिया गठबंधन के ही दो प्रमुख दल ईवीएम पर सवाल उठाए जाने के पक्ष में नहीं हैं।

दरअसल, ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर सवाल उठाएँ या नहीं, इसी पर इंडिया गठबंधन में विवाद हो गया है। तृणमूल कांग्रेस ने भी उमर अब्दुल्ला के साथ मिलकर ईवीएम मतदान पद्धति की विश्वसनीयता पर कांग्रेस के दावों को खारिज कर दिया है। टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ईवीएम पर सवाल उठाने वालों को यह दिखाना चाहिए कि ईवीएम को कैसे हैक किया जा सकता है।

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक ने कहा, 'मेरा मानना ​​है कि ईवीएम पर सवाल उठाने वालों को चुनाव आयोग के पास जाना चाहिए और अगर उनके पास कोई सबूत है तो उसे दिखाना चाहिए। अगर ईवीएम रैंडमाइजेशन, मॉक पोल और काउंटिंग के दौरान उचित जांच की जाती है, तो मुझे नहीं लगता कि इन आरोपों में कोई दम है। अगर कोई अभी भी मानता है कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है, तो उन्हें चुनाव आयोग के सामने इसका प्रदर्शन करना चाहिए।'

तृणमूल ने कांग्रेस पर ऐसे समय में हमला बोला है जब इंडिया गठबंधन के दोनों सहयोगियों के बीच कई मुद्दों पर पहले से ही रिश्ते तनावपूर्ण हैं। गौतम अडानी रिश्वत मामले को लेकर संसद में कांग्रेस के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शन से तृणमूल दूर रही है। ममता बनर्जी द्वारा इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने में रुचि दिखाने के बाद विपक्षी खेमे में दरार पहले से ही दिख रही थी। 

इसी बीच जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का रविवार को ईवीएम पर बयान आ गया। उनके द्वारा कांग्रेस पर चुनिंदा मौक़ों पर ईवीएम की शिकायत करने के आरोप लगाए जाने के बाद अब कांग्रेस ने पूछा है कि आख़िर उमर का यह रवैया सीएम बनने के बाद ही क्यों है?

उमर अब्दुल्ला ने रविवार को एक इंटरव्यू में कहा था कि जब आप उसी ईवीएम से 100 से ज़्यादा सांसद बना लेते हैं तो आप अपनी पार्टी की जीत का जश्न मनाते हैं, लेकिन कुछ महीने बाद ही नतीजे उस तरह के नहीं होते हैं तो ईवीएम पर रवैया बदल जाता है।

उमर के इस बयान पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद मणिकम टैगोर ने कहा कि उन्हें पहले तथ्य जाँच करने चाहिए। उन्होंने कहा कि ईवीएम के ख़िलाफ़ समाजवादी पार्टी, शिवसेना यूबीटी और शरद पवार की एनसीपी ने बोला था। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस की सीडब्ल्यूसी का प्रस्ताव साफ़ तौर पर चुनाव आयोग को संबोधित करता है।

इसके साथ ही टैगोर ने उमर अब्दुल्ला की इस दलील के समय को लेकर कटाक्ष किया है और पूछा है कि हमारे सहयोगियों को लेकर उनका यह रूख पहले क्यों नहीं आया और मुख्यमंत्री बनने के बाद ऐसा क्यों है?

दरअसल, उन्होंने इस ट्वीट के माध्यम से उमर अब्दुल्ला और उनकी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के रूख में बदलाव आने का संकेत दिया है। तो सवाल है कि क्या सच में उमर अब्दुल्ला के रूख में बदलाव आया है? क्या केंद्र द्वारा नियुक्त जम्मू कश्मीर के राज्यपाल को खुश करने का प्रयास है ताकि सरकार को कुछ सहयोग मिल सके? ये ऐसे सवाल हैं जो मणिकम टैगोर के बयान से उभर कर सामने आते हैं।

बता दें कि हरियाणा और महाराष्ट्र में महत्वपूर्ण चुनावी हार के बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर चिंता व्यक्त करते हुए बैलेट पेपर वोटिंग की वापसी की वकालत की है। अब्दुल्ला ने रविवार को एक पीटीआई के साथ साक्षात्कार में कांग्रेस की आपत्ति को खारिज करते हुए कहा कि वोटिंग मशीनें केवल तभी समस्या नहीं हो सकतीं जब आप चुनाव हार जाते हैं। अब्दुल्ला ने कहा, 'जब आपके 100 से अधिक सांसद उसी ईवीएम का उपयोग करते हैं, और आप इसे अपनी पार्टी की जीत के रूप में मनाते हैं, तो आप कुछ महीने बाद पलटकर यह नहीं कह सकते कि... हमें ये ईवीएम पसंद नहीं हैं क्योंकि अब चुनाव परिणाम उस तरह से नहीं आ रहे हैं जैसा हम चाहते हैं।' 

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