बीजेपी ने कई राज्यों में कराया दल-बदल, निर्वाचित सरकारें गिराईं

08:32 pm Jul 28, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

राजस्थान में सभी बीएसपी विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने को अदालत में चुनौती देने से कई सवाल खड़े हो गए हैं। इन विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के कई महीने बाद अदालत में चुनौती भारतीय जनता पार्टी ने दी है। 

यह वही बीजेपी है, जिसने कई राज्यों में दल-बदल कराया है, विपक्षी दलों को तोड़ा है और पहले से चल रही ग़ैर-बीजेपी सरकारों को गिराया है। इन विधायकों को बीजेपी में शामिल कराया गया है और कई मामलों में उन्हें मंत्री भी बनाया गया है। वही बीजेपी पूरे विधायक दल के ही दूसरी पार्टी में शामिल होने को दल-बदल क़ानून का उल्लंघन मानती है। 

कई राज्यों की सरकारें गिराई हैं बीजेपी ने

कई राज्यों में विधायकों के अपने दल को छोड़ कर बीजेपी में शामिल होने के मामले स्पीकर के पास अभी भी लंबित पड़े हैं। बीजेपी का उन मामलों में अलग रवैया है और राजस्थान के मामले में अलग। दल छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए विधायकों को मंत्री बनाए जाने की घटनाएं भी हैं, अपनी ही पार्टी की सरकार गिरा कर फिर से विधायक बनने के पहले ही फिर मंत्री बन जाने की घटना भी है।

 कई राज्यों में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकारों को गिरा कर दल-बदल विरोधी क़ानून को पूरी तरह बेमानी बना दिया गया है। वही बीजेपी राजस्थान में दल-बदल विरोधी क़ानून का हवाला देती है। 

बीते कुछ समय में गोवा, तमिलनाडु, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नगालैंड, सिक्किम में दल-बदल कराया गया, कई जगहों पर स्थापित सरकारों को गिराया गया है। इसमें तमिलनाडु को छोड़ बाकी सभी मामलों में दूसरे दलों से विधायकों को  तोड़ कर बीजेपी में शामिल कराया गया है और स्थापित सरकार गिरा कर बीजेपी की सरकार बनाई गई है। 

गोवा

गोवा में कांग्रेस के 15 में से 10 विधायकों ने पार्टी छोड़ी और बीजेपी में शामिल हो गए, बाकी के 5 कांग्रेस में ही रहे। इसे बीजेपी विलय कहती है, लेकिन  राजस्थान में बीएसपी विधायक दल के सभी 6 सदस्य कांग्रेस में शामिल हो गए। इसे बीजेपी विलय नहीं मानती है। गोवा कांग्रेस के प्रभारी ए. चेलाकुमार ने ईटी प्राइम से कहा,

'इन 10 विधायकों को अयोग्य घोषित करने का आवेदन अभी भी स्पीकर के पास लंबित है। उन्होंने तीन साल पूरे हो जाने के बाद भी कोई फ़ैसला नहीं किया है। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी आवेदन पड़ा हुआ है। अब तक कुछ नहीं हुआ है। बीजेपी इसे विलय मानती है।'


ए. चेलाकुमार, प्रभारी, गोवा कांग्रेस

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में 14 कांग्रेस विधायकों को अयोग्य घोषित करने की अर्जी स्पीकर के पास पड़ी थी। कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिरा दी गई, बीजेपी के शिवराज सिंह मुख्मंत्री हैं। ये सभी आज बीजेपी सरकार में मंत्री हैं। ऐसा ही कर्नाटक में एक साल पहले हुआ था। 

तमिलनाडु

तमिलनाडु में जब शशिकला के नेतृत्व में 11 विधायकों ने ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) पर सवाल उठाए, उनके ख़िलाफ अनुशासन की कार्रवाई की गई। 

लेकिन इसी एआईएडीएमके में पन्नीरसेल्वम के नेतृत्व में विधायकों ने मुख्यमंत्री ई. के. पलानीस्वामी के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में यानी सरकार के विरोध में वोट दिया। यह मामला स्पीकर के पास अभी भी लंबित पड़ा हुआ है। 

तेलंगाना

तेलंगाना विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 19 विधायक चुने गए। तेलंगाना विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 19 विधायक चुने गए। राज्य कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रेवन्ना रेड्डी ने ईटी प्राइम से कहा कि टीआरएस ने दल-बदल कराया, 2-2 कर इनमें पार्टी छोड़ते गए। 

जब ऐसे विधायकों की संख्या 12 हो गई, उन्होंने एक प्रस्ताव पारित कर टीआरएस में शामिल होने का एलान किया। स्पीकर ने उसी समय उन्हें एक साथ पार्टी छोड़ने के रूप में मान्यता दे दी। इसे टीआरएस में विलय मान लिया गया।

पूर्वोत्तर

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 60 में से 26 और बीजेपी को 21 सीटों पर जीत मिली। कांग्रेस के 8 विधायकों ने पार्टी छोड़ दी, वे बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी ने दूसरे कुछ स्थानीय दलों के साथ मिल कर सरकार बना ली। इन 8 विधायकों के कांग्रेस छोड़ने का मामला अभी भी स्पीकर के पास पड़ा हुआ है। 

राज्यसभा चुनाव में दो कांग्रेस विधायकों ने बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में वोट दिया। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री इबोबी सिंह ने उल्टा दल-बदल करा कर बीजेपी के कुछ विधायकों को तोड़ा और सरकार गिराने की कोशिश की। वे नाकाम रहे क्योंकि राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट नहीं होने दिया, विधानसभा का सत्र नहीं बुलाया। वे विधायक वापस बीजेपी चले गए। 

अरुणाचल प्रदेश में 2016 में कांग्रेस के 44 में से 43 विधायक पहले पीपीए में शामिल हो गए, उसके बाद वे बीजेपी चले गए। 

सिक्किम में 2016 के चुनाव में सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट को 16 और एसकेएम को 17 सीटें मिलीं। लेकिन इसके 10 विधायक बीजेपी में और एक एसकेएम में शामिल हो गए। 

अरुणाचल प्रदेश में 2016 में कांग्रेस के 44 में से 43 विधायक पहले पीपीए में शामिल हो गए, उसके बाद वे बीजेपी चले गए। 

सिक्किम में 2016 के चुनाव में सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट को 16 और एसकेएम को 17 सीटें मिलीं। लेकिन इसके 10 विधायक बीजेपी में और एक एसकेएम में शामिल हो गए। 

नगालैंड में  7 एनपीएफ़ विधायकों को अयोग्य घोषित करने का नोटिस स्पीकर को दिया गया क्योंकि उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में प्रचार किया था। स्पीकर ने बीते दिनों उस आवेदन को खारिज कर दिया। 

दल-बदल विरोधी क़ानून को अप्रासंगिक करने की कोई कोसर नहीं छोड़ी गई है, जिसमें कांग्रेस भी है, बीजेपी भी और दूसरे दल भी। लेकिन राजस्थान के मामले में बीजेपी इसी दल-बदल विरोधी क़ानून का हवाला दे रही है।