ग़रीबोंं को आरक्षण देने से जुड़ा विधेयक लोकसभा में पेश

02:09 pm Jan 08, 2019 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

नरेंद्र मोदी सरकार ने सवर्णों समेत आर्थिक रूप से पिछड़े सभी लोगों के लिए 10 फ़ीसद आरक्षण देने से जुड़ा विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया है। सरकार ने 124 वाँ संविधान संशोधन बिल सदन में रख दिया है। मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी ने एक व्हिप जारी कर सभी सांसदों से सदन में मौजूद रहने को कहा। आरक्षण की मौजूदा 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक आरक्षण देने की व्यवस्था इसमें होगी और ऊपरी सीमा बढ़ा कर 60 प्रतिशत कर दिया जाएगा। संविधान में आर्थिक रूप से पिछड़ों को आरक्षण देने की व्यवस्था नहीं है, उसका आधार सामाजिक पिछड़ापन है। संविधान संशोधन में इसकी व्यवस्था भी होगी। 

केंद्रीय सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण मंत्री थावर चंद गहलोत ने विधेयक लोकसभा में पेश किया। विधेयक पर बहस दो बजे शुरू होगी। बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने इसका अनुमोदन करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लोगों के विकास के लिए काम किया है। इस बिल से आर्थिक रूप से पिछड़े सभी लोगो को फ़ायदा होगा। 

यह भी पढ़ें: आरक्षण की माँग करने वाले खुश होंगे या नाराज़?

दलितों की पार्टी समझी जाने वाली बहुजन समाज पार्टी ने बिल का स्वागत करते हुए कहा है कि वे तो हमेशा से ही सवर्णों के लिए आर्थिक आरक्षण की बात कहते आए हैं। पार्टी प्रमुख मायावती ने इसे चुनाव स्टंट क़रार देते हुए कहा, 'अच्छा होता यदि सरकार ने यह विधेयक ठीक चुनाव के पहले न लाकर पहले ही लाया होता।' 

बिल की मुख्य बातें

  • 1. आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ा कर 60 फ़ीसद कर दिया जाएगा। गहलोत ने विधेयक संसद में रखते हुए कहा, 50 फ़ीसद से ज़्यादा आरक्षण नहीं देने  से जुड़ा सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला अगड़ी जातियों को सुरक्षा देने के संसद के अधिकार के आड़े नहीं आ सकता। 
  • 2. संविधान की धारा 15 और 16 में संशोधन किया जाएगा। 
  • 3. संसद से पारित होने के बाद आधे से अधिक राज्यों के विधानसभाओं से भी यह संविधान संशोधन विधेयक पास कराना होगा। 
  • 4.इस आरक्षण का फ़ायदा उन समुदायों के ग़रीब लोग ही ले  सकेंगे, जो अब तक किसी आरक्षण के तहत नहीं आते हैं। जो पहले से किसी आरक्षण का फ़ायदा उठा  रहे हैं, वे इसका लाभ नहीं ले पाएंगे। 
  • 5. इसके तहत 'आर्थिक रूप से पिछड़ा' वे लोग ही माने जाएँगे, जिनके परिवार की कुल सालाना आय 8 लाख रुपये से अधिक नहीं होगी। गाँवों  में रहने वालों के पास 5 एकड़, अधिसूचित म्युनिसपैलिटी में 100 गज और उसके बाहर के इलाक़ों में 200 गज से अधिक ज़मीन उनके परिवार के पास नहीं होना चाहिए।