हिंदू लड़की ने बचाया मुसलिम परिवार को, कब रुकेंगे मुसलमानों पर हमले?

01:28 pm Jun 11, 2019 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

देश में धर्म विशेष को लेकर बनाए जा रहे नफ़रत के माहौल के बीच सूकून देने वाली एक ख़बर आई है। बात हो रही है अलीगढ़ में ढाई साल की बच्ची की हत्या के बाद हुई एक घटना की, जिसमें एक मुसलिम परिवार पर जब उग्र भीड़ ने हमला किया तो उनके साथ मौजूद एक हिंदू लड़की ने इस परिवार को बचाया। बता दें कि अलीगढ़ में ढाई साल की मासूम ट्विंकल की हत्या के बाद माहौल बेहद तनावपूर्ण है और कुछ लोगों द्वारा इसे जान-बूझकर हिंदू-मुसलिम रंग देने की कोशिश की जा रही है।  

यह मुसलिम परिवार बीते रविवार (9 जून) को हरियाणा के बल्लभगढ़ से यूपी के अलीगढ़ एक कार्यक्रम में शामिल होने जा रहा था। लेकिन तभी जट्टारी इलाक़े में भीड़ ने इस परिवार पर हमला कर दिया। पुलिस के मुताबिक़, यह घटना शाम दोपहर बाद 3 बजे हुई। ये सभी लोग एक वैन में जा रहे थे और अलीगढ़ के टप्पल से आगे निकलकर महेशपुर की ओर बढ़ रहे थे।

वैन में मौजूद शफ़ी मोहम्मद अब्बासी ने कहा कि हमला करने वाले लोग मोटरसाइकिलों पर सवार थे और उनके हाथों में रॉड थी। अब्बासी ने कहा, ‘हमलावरों ने मुझे, हिजाब पहनी हुई मेरी बेटी और ड्राइवर को पीटा। अगर हमारे साथ पूजा चौहान नहीं होती तो हमलावर हमें जान से मार देते। पूजा ने गाड़ी से बाहर निकलकर बहादुरी से हमलावरों का सामना किया और उन्हें रोक दिया।’
अब्बासी ने कहा कि वह पूजा के परिवार को 32 सालों से जानते हैं और पूजा को अपनी बेटी की तरह मानते हैं। उन्होंने कहा कि हमलावरों में से एक शख़्स ने जब पूजा को विरोध करते देखा तो वह रुक गया और उसने हमें हमारी कार की चाबी सौंप दी और यहाँ से जल्दी निकल जाने के लिए कहा।

24 साल की पूजा ने कहा कि भीड़ ने हम पर सिर्फ़ इसलिए हमला किया कि उन्हें लगा कि हम दूसरे समुदाय के हैं क्योंकि कुछ महिलाओं ने हिजाब पहना हुआ था। पूजा ने कहा कि ऐसी घटना किसी के भी साथ नहीं होनी चाहिए और सभी लोगों को सुरक्षा दी जानी चाहिए।

इसके बाद परिवार किसी तरह अलीगढ़ पहुँचा। अलीगढ़ पुलिस ने मामले में 10 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 147, धारा 148, धारा 323 और 507 के तहत एफ़आईआर दर्ज कर ली है।

घटना के बारे में बताते शफ़ी मोहम्मद अब्बासी।

घटना के बाद अब्बासी ने कहा कि दुष्कर्म मामले में जो गुनहगार हैं उन्हें सजा दी जानी चाहिए लेकिन बाक़ी लोगों के साथ ऐसा सलूक नहीं होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि हम सभी एक ही देश के रहने वाले हैं, हम यही जियेंगे और यहीं मरेंगे।

ड्राइवर को भी पीटा गया।

अलीगढ़ के एसएसपी आकाश कुलहरि ने कहा कि पुलिस ने अभियुक्तों की तलाश में कई जगह छापेमारी की है लेकिन अभी तक मामले में किसी को गिरफ़्तार नहीं किया जा सका है। एसएसपी ने कहा कि किसी को भी क़ानून को हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

ये तो हो गई ख़बर। अब आप यह सोचिए कि कोई भी मुसलमान जिसने भारत में जन्म लिया, उसकी कई पुश्तों ने यहीं जन्म लिया, यहीं पला-बढ़ा, वह इतने नफ़रत भरे माहौल में कैसे जिंदा रह पायेगा। वह काम के लिए घर से निकलेगा तो डरेगा, बच्चे पढ़ने के लिए घर से बाहर जाएँगे, तो माँ-बाप डरेंगे। और यह बात कहने के पीछे वाजिब तर्क हैं।

पिछले कुछ सालों से मुसलमानों के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया से लेकर आम लोगों के बीच जिस तरह की नफ़रत और घृणा का माहौल बनाया गया है, उसी के चलते ऐसी घटनाएँ लगातार बढ़ती जा रही हैं।

'जय श्री राम' बोलो वरना पिटो

आइए, हाल ही में हुई कुछ ऐसी घटनाओं पर नज़र डालते हैं। पिछले महीने गुड़गाँव के जैकबपुरा इलाक़े में 25 साल के मोहम्मद बरकत नाम के युवक को कुछ लोगों ने रोका और मारपीट की। मारपीट करने वालों ने बरकत से कहा कि इस इलाक़े में यह धार्मिक टोपी (छोटी टोपी) पहनना मना है। बरकत के मुताबिक़, जब उसने हमलावरों को बताया कि वह मसजिद से नमाज पढ़कर लौट रहा है तो एक शख़्स ने उसे थप्पड़ मार दिया और ‘भारत माता की जय’ और ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने को कहा। बरकत के ऐसा करने से मना करने पर उस शख़्स ने उसे सुअर का माँस खिलाने की धमकी दी।

मुसलिम परिवार को जमकर पीटा था

इसी साल हरियाणा के भोंडसी इलाक़े में कुछ लोगों ने होली के मौक़े पर एक मुसलिम परिवार के सदस्यों को घर में घुसकर बेरहमी से पीटा था। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हुआ था। हमलावरों ने लाठी-डंडों, तलवारों, रॉड और हॉकी स्टिक से परिवार के लोगों पर हमला किया था। हमलावरों ने उनसे कहा था कि वे पाकिस्तान चले जाएँ और जमकर गालियाँ दी थीं।

पिछले साल दिसंबर में नोएडा सेक्टर 58 के एक पार्क में जुमे की नमाज़ पढ़ रहे मुसलमानों को रोक दिया गया था जिस पर काफ़ी हंगामा हुआ था। इसी तरह अप्रैल-मई 2018 में कई हिंदूवादी संगठनों के लोगों ने गुड़गाँव में मुसलिमों को सार्वजनिक जगह पर नमाज पढ़ने से रोक दिया था। ऐसी घटनाएँ कई दिनों तक होती रहीं और इनमें बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद, शिव सेना से जुड़े लोगों का नाम सामने आया था।

मुसलिम होने के कारण मारी गोली

पिछले महीने बिहार के बेगूसराय में एक मुसलिम फेरीवाले से राजीव यादव नाम के शख़्स ने उसका नाम पूछा और उसके बाद उसे गोली मार दी गई।पीड़ित का नाम मोहम्मद कासिम है। कासिम ने बताया था कि राजीव यादव ने उससे देश छोड़कर पाकिस्तान चले जाने को कहा और गालियाँ दी।

गो तस्करी के शक में भी पीटा

इसके अलावा गो तस्करी के शक में पिछले पाँच साल में उग्र भीड़ कई मुसलमानों की पीट-पीटकर हत्या कर चुकी है। सितंबर 2015 में ग्रेटर नोएडा के दादरी में स्थानीय नागरिक और बुजुर्ग अख़लाक़ को भीड़ ने उसके घर के गो माँस रखे होने और पकाये जाने के शक में पीट-पीट कर मार डाला था। इस बार के लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान अख़लाक़ की हत्या के अभियुक्त मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंच पर भी दिखाई दिए थे।
अप्रैल 2017 में कथित गो रक्षकों ने राजस्थान के अलवर में 55 वर्षीय बुजुर्ग पहलू ख़ान की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इस घटना में घायल हुए पहलू ख़ान के बेटे इरशाद ने बताया था कि उनका डेरी का कारोबार है और वह जयपुर से गाय और भैंस खरीदकर ले जा रहे थे लेकिन कथित गो रक्षकों ने उन्हें गो तस्कर समझ लिया और उन पर हमला कर दिया।

अलवर में ही गो तस्करी के शक में कथित गो रक्षकों ने रकबर ख़ान की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। बताया जाता है कि इसके अलावा भी दूध का कारोबार करने वाले कई और मुसलिमों की कथित गो रक्षकों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी।

और हैरत है कि यह घटनाएँ तब हो रही हैं जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव जीतने के बाद संविधान को नमन करते हुए कहा था कि वह अल्पसंख्यकों का विश्वास जीतने की कोशिश करेंगे। लेकिन लगातार हो रही ऐसी घटनाएँ इस बात का भरोसा नहीं दिलातीं।

अब सवाल यह है कि देश में धार्मिक आधार पर नफ़रत क्यों फैलाई जा रही है। क्यों बार-बार मुसलमानों से कहा जा रहा है कि वे पाकिस्तान चले जाएँ और अपने ही देश में होने के बावजूद उन्हें पीटा जा रहा है। क्या इस तरह का माहौल देश में धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण कर और इसका सियासी इस्तेमाल करने के लिए तैयार किया जा रहा है, यह सवाल पिछले पाँच साल की घटनाओं को देखने के बाद ज़रूर खड़ा होता है। जबकि हमारे देश का संविधान हमें धार्मिक आज़ादी देता है, यानी हम अपनी इच्छानुसार धर्म चुन भी सकते हैं और किसी दूसरे को अपना धर्म अपनाने के लिए मजबूर भी नहीं कर सकते हैं और धर्म, जाति, भाषा, क्षेत्र और लिंग के आधार पर नफ़रत फैलाना या भेदभाव क़ानूनन पूरी तरह ग़लत है।

देश की आज़ादी की लड़ाई मिलकर लड़ने वाले लोगों के बीच क्यों नफ़रत की दीवार खड़ी की जा रही है। ऐसे लोगों के लिए अल्लामा इकबाल के शेर के साथ यही प्रार्थना और देश की सरकार से उम्मीद की जा सकती है कि वे संविधान की रक्षा करते हुए देश के हर व्यक्ति को उसके मौलिक अधिकारों का हक़ देने के लिए ठोस क़दम उठाएगी। - 

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा

हम बुलबुले हैं इसकी, यह गुलिस्तां हमारा

मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना

हिंदी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा।।