मलिक, आलम और अंद्राबी के ख़िलाफ़ यूएपीए के तहत चलेगा मुक़दमा

12:00 pm Sep 30, 2019 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

केंद्रीय गृह मंत्रालय कश्मीर में अलगाववाद का झंडा बुलंद करने वालों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करने के लिए तैयार है। सरकार जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ़्रंट (जेकेएलएफ़) के अध्यक्ष यासीन मलिक, दुख़्तारन-ए-मिलत की प्रमुख असिया अंद्राबी और ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ़्रेंस के महासचिव मसरत आलम के ख़िलाफ़ ग़ैर-क़ानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मुक़दमा चलाने की मंजूरी देने के लिए तैयार है। इन अलगाववादी नेताओं पर आरोप है कि इन्होंने 2010 और 2016 में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने और पथराव करने के लिए पाकिस्तान से पैसा लिया था।

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने इन तीनों को इस साल अप्रैल में गिरफ़्तार कर लिया था और माना जा रहा है कि अक्टूबर के पहले हफ़्ते में एनआईए इस मामले में आरोप पत्र दाखिल कर सकती है। इस आरोप पत्र में पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी संगठन जमात-उद-दावा के मुखिया हाफ़िज़ सईद का नाम भी शामिल हो सकता है। भारत सरकार ने कुछ ही दिन पहले जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अज़हर, हाफ़िज सईद और दाऊद इब्राहिम को यूएपीए क़ानून के तहत आतंकवादी घोषित कर दिया था।

यासीन मलिक, मसरत आलम और शब्बीर शाह इन दिनों तिहाड़ जेल में हैं। यूएपीए क़ानून के सेक्शन 45 के तहत कार्रवाई करने के लिए केंद्र सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है। 

जब एनआईए ने पिछले साल चार्जशीट दाख़िल की थी तो इसमें हुर्रियत के मुखिया के दामाद अल्ताफ़ फंतोस, कश्मीरी व्यापारी ज़हूर अहम शाह वटाली, नईम ख़ान, राजा मेहराजुदीन कलवाल, बशीर अहमद भाट और अन्य के नाम इसमें शामिल थे।

टेरर फ़ंडिंग में गिरफ़्तार चार प्रमुख लोगों यासीन मलिक, शब्बीर शाह, आसिया अंद्राबी और पत्थरबाजों के पोस्टर बॉय मसरत आलम को आमने-सामने बिठाकर पूछताछ की गई थी जिसमें कई सनसनीखेज जानकारियाँ मिली थीं।

कुछ समय पहले ही ख़ुलासा हुआ था कि टेरर फ़ंडिंग (आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाना) में गिरफ़्तार आसिया अंद्राबी के बेटे की मलेशिया में चल रही पढ़ाई के लिए दुबई से पैसे जाते थे। यह भी ख़ुलासा हुआ था कि दो साल से जेल में बंद हवाला ऑपरेटर जहूर अहमद बटाली आसिया के बेटे की पढ़ाई के लिए पैसे मंगाया करता था। यही नहीं बटाली दूसरे अलगाववादी नेताओं के परिजनों की पढ़ाई के लिए भी पैसे का बंदोबस्त किया करता था। टेरर फ़ंडिंग मामले की तफ़्तीश कर रही एनआईए की जाँच में यह ख़ुलासा हुआ था।