तवांग में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में बयान दिया है। उन्होंने कहा कि चीनी सैनिकों ने 9 दिसंबर को यांगस्ते इलाके में एलएसी पर अतिक्रमण कर यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश की लेकिन हमारी सेना ने इसका दृढ़ता और बहादुरी से सामना किया।
राजनाथ सिंह ने कहा कि इस दौरान दोनों देशों के सैनिकों के बीच हाथापाई भी हुई है और भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को हमारे क्षेत्र में घुसपैठ करने से रोका और उनके इलाके में वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया।
दोनों देशों के सैनिकों के बीच यह झड़प 9 दिसंबर को तवांग सेक्टर के यांगस्ते इलाके में हुई थी और इसमें दोनों देशों के जवानों ने एक-दूसरे पर डंडों से हमला किया। याद दिलाना होगा कि मई 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। इसके बाद से ही दोनों देशों के संबंध बेहद तनावपूर्ण रहे हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे किसी भी सैनिक की मृत्यु भी नहीं हुई और ना ही कोई गंभीर रूप से घायल हुआ है। उन्होंने कहा कि भारतीय मिलिट्री कमांडो के सही टाइम पर दखल के कारण चीनी सैनिक अपनी लोकेशन पर वापस चले गए।
इसके बाद भारतीय सेना के कमांडर्स ने चीनी समकक्ष के साथ फ्लैग मीटिंग की और इस घटना को लेकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारतीय कमांडर्स ने चीनी सैनिकों से शांति बनाए रखने के लिए कहा और इस मामले को कूटनीतिक स्तर पर भी उठाया गया है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारी सेना भारत की सीमाओं की सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इसके खिलाफ होने वाले किसी भी प्रयास को रोकने के लिए तत्पर है। उन्होंने कहा कि हमारी सैनिकों की वीरता को यह सदन पूरी तरह समर्थन देगा और उनका अभिनंदन करेगा।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि हमें हमारी सेनाओं के समर्थन और वीरता पर गर्व करना चाहिए। इस दौरान कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के सदस्यों ने नारेबाजी की और प्रधानमंत्री चुप्पी तोड़ो के नारे लगाए।
हाई लेवल मीटिंग
इससे पहले रक्षा मंत्री ने मंगलवार सुबह हाई लेवल बैठक बुलाई थी। इस बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) अनिल चौहान, तीनों सेनाओं के प्रमुख- वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार, आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे, विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा और रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने शामिल हुए।
सीडीएस और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने रक्षा मंत्री को सीमा पर हालात के बारे में जानकारी दी।