भागने के आरोपों पर
- चिदंबरम-
'मेरे ऊपर आरोप लगाए जा रहे हैं कि मैं क़ानून का सामना करने से बचते हुए भाग रहा हूँ। लेकिन, मैं क़ानून के साथ हूँ और बीते एक दिन से मैं वकीलों के साथ हूँ। रात भर मैं वकीलों के साथ दस्तावेज़ तैयार कर रहा था। मैंने हमेशा क़ानून का पालन किया है और आगे भी करता रहूँगा, भले ही मेरे साथ कैसा भी व्यवहार क्यों न हो।'
- अमित शाह-
'जहाँ तक मुझे समन देने का सवाल है यह किसी तरह का माहौल बनाया गया कि जैसे मैं बहुत बड़ा गुनहगार हूँ, भगोड़ा हूँ। 22 तारीख़ को मुझे समन दिया गया कि मैं एक बजे हाज़िर हो जाऊँ। आप ही जस्टिफ़ाई कीजिए कि 11 बजे समन देकर एक बजे बुलाने का मतलब क्या है एक बजे फिर से समन दिया गया कि 23 तारीख़ को हाज़िर हो जाओ। एक दिन में मैं लीगल एडवाज लूँ या न लूँ। किसी से सलाह करूं इससे पहले 23 की शाम को मेरे ख़िलाफ़ चार्जशीट पेश कर दी गई मेरा जवाब लिए बगैर। इसका मतलब चार्जशीट पहले से तैयार थी। मुझ पर आरोप पहले से बनाए गए थे। जो पूछताछ और समन की बात है वह कोरा नाटक थी।'
चार्जशीट, न्यायपालिका पर
- चिदंबरम-
'न तो सीबीआई और न ही प्रवर्तन निदेशालय यानी एनफ़ोर्समेंट डाइरेक्टरेट ने मेरे ख़िलाफ़ कोई चार्जशीट दाखिल की है। देश में लोकतंत्र ख़तरे में है। यदि मुझे आज़ादी और ज़िंदगी में से किसी एक को चुनना हो तो मैं आज़ादी ही चुनूँगा। उन्होंने कहा कि हमें यह उम्मीद करनी चाहिए कि शुक्रवार (कोर्ट में सुनवाई) और उसके बाद भी आज़ादी की रोशनी बरक़रार रहेगी।'
- अमित शाह-
'मुझे मालूम है कि चार्जशीट पहले से तैयार थी और इसे कांग्रेस पार्टी के इशारों पर तैयार किया गया था। और फैबरिकेटेड चार्जशीट थी जिसको मेरे समन से कोई लेना देना नहीं है। मैं कोई क़ानूनी प्रक्रिया से डरता नहीं हूँ। हम क़ानूनी लड़ाई पूरी ज़ोर से लड़ेंगे। जिन्होंने यह ग़लत काम करने का प्रयास किया है उनको पूरी तरह से एक्सपोज हम कोर्ट में करेंगे।'
चिदंबरम की कल की प्रेस कॉन्फ़्रेंस और अमित शाह की 2010 की प्रेस कॉन्फ़्रेंस, दोनों का निचोड़ यही था कि वे निर्दोष हैं, उन्हें फँसाया गया है और यह राजनीतिक षडयंत्र है। जिस तरह से बीजेपी अमित शाह के मामले में राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई करने का आरोप लगा रही थी उसी तरह से कांग्रेस अब पी चिदंबरम के मामले में वैसा ही आरोप लगा रही है। दोनों नेता अपनी-अपनी प्रेस कॉन्फ़्रेंसों में न्यायपालिका में लड़ाई लड़ने और आरोपों से मुक्त हो जाने की बात भी कहते हैं। अमित शाह तो शोहराबुद्दीन केस में बरी भी कर दिए गए हैं, तो क्या चिदंबरम के साथ भी ऐसा ही कुछ होगा या इस मामले में कार्रवाई अलग तरह से होगी