पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 9वें रोजगार मेले के तहत 51 हजार युवाओं को नियुक्ति पत्र दिया है।
ये वैसे युवा हैं जो पिछले कुछ दिनों में केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में भर्ती हुए हैं। इन युवाओं को नियुक्ति पत्र बांटने के लिए देश के 46 स्थानों पर रोजगार मेले का आयोजन किया गया।
खुद प्रधानमंत्री मोदी नई दिल्ली के नेशनल मीडिया सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में मौजूद रहे। उन्होंने इस अवसर वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से युवाओं को संबोधित किया और नियुक्ति पत्र बांटा।
केंद्र सरकार पिछले कुछ समय से लगातार रोजगार मेले का आयोजन कर देश भर में एक साथ हजारों युवाओं को सरकारी नौकरी का नियुक्ति पत्र बांट रही है। ये वैसे युवा होते हैं जिन्होंने कठिन प्रतियोगी परीक्षा पास कर सरकारी नौकरी ली होती है। इन्हें समारोह आयोजित कर नियुक्ति पत्र बांटने की नई परंपरा सरकार ने विकसित की है।
देश ने 2047 तक विकसित बनना तय किया है
9वें रोजगार मेले के अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि देश ने 2047 तक विकसित बनना तय किया है। अगले कुछ वर्ष में हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाले हैं। पीएम ने कहा कि आज देश की जीडीपी मुश्किलों में भी तेजी से बढ़ रही है। देश में उत्पादन और निर्यात में जोरदार इजाफा हुआ है। आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर में जो निवेश देश कर रहा है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ।उन्होंने अपने संबोधन में युवाओं से कहा कि आप वो पीढ़ी हैं जो तकनीक के साथ बड़ी हुई है। आपको अपने काम में नई तकनीक का इस्तेमाल करना होगा। पीएम ने कहा कि तकनीक ने सरकारी काम को आसान बनाया है। इसके इस्तेमाल से भ्रष्टाचार कम हुआ है और लोगों का भरोसा बढ़ा है।
पहले लोग रेलवे स्टेशनों के बुकिंग काउंटर पर लंबी कतारों में खड़े होते थे। अब तकनीक ने इस समस्या को हल कर दिया है। आधार कार्ड, डिजिटल लॉकर्स और ई-केवाईसी ने दस्तावेजों को सुरक्षित रखना आसान बना दिया है।
अब तक करीब 6 लाख युवाओं को दिए गए नियुक्ति पत्र
इस तरह के रोजगार मेले में नियुक्ति पत्र बांटने की परंपरा 22 अक्टूबर 2022 को शुरु की गई थी। तब पहले रोजगार मेले में 75 हजार युवाओं को नियुक्ति पत्र बांटे गए थे। इसके बाद दूसरा रोजगार मेला 22 नवंबर 2022 को आयोजित हुआ जिसमें 71 हजार से ज्यादा नियुक्ति पत्र बांटे गए थे।तीसरा रोजगार मेला 20 जनवरी 2023 को आयोजित हुआ था जिसमें 71 हजार से अधिक युवाओं को नियुक्ति पत्र दिया गया था। वहीं पिछले 28 अगस्त को आठवां रोजगार मेले का आयोजन किया गया था जिसमें 51 हजार से ज्यादा युवाओं को नियुक्ति पत्र बांटे गए थे।
इस तरह से इन सभी 9 रोजगार मेलों के जरिये करीब 6 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी दी गई है। एक्सपर्ट मानते हैं कि देश में बेरोजगारी की मौजूदा स्थिति को देखते हुए इतनी नौकरियों से काम नहीं चलने वाला है। जितने लोगों को रोजगार मिला उससे कई गुणा अधिक बेरोजगार मौजूद हैं।
क्यों आयोजित किए जा रहे ये रोजगार मेले
आर्थिक जानकारों का कहना है कि 2024 में लोकसभा चुनाव हैं। भाजपा और पीएम मोदी को चुनाव में जाना है। देश में इस समय बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। विपक्ष और उसके नेता राहुल गांधी केंद्र सरकार पर रोजगार को लेकर लगातार हमलावर हैं।विपक्ष सवाल उठा रहा है कि भाजपा ने 2014 के चुनाव में हर वर्ष दो करोड़ नौकरियों का वादा किया था लेकिन वह बस चुनावी वादा बनकर रह गया। ऐसे में भाजपा इन रोजगार मेलों के जरिये इस बात का प्रचार-प्रसार करना चाहती है कि वह एक बार में 50 हजार से लेकर 75 हजार युवाओं को सरकारी नौकरी दे रही है।
भाजपा की कोशिश है कि वह यह बात जनता के दिमाग से निकाल दे कि देश में लोगों को रोजगार नहीं मिल रहे हैं। वह दिखाना चाह रही है कि अब देश में रोजगार का भी मेला लग रहा है और हजारों युवाओं को प्रधानमंत्री एक दिन में रोजगार दे रहे हैं। भाजपा को उम्मीद है कि इस तरह के रोजगार मेले बेरोजगारी के सवाल को लेकर जनता के गुस्से को कम कर सकते हैं।
भारत में बेरोजगारी दर अगस्त में 8.1 प्रतिशत हो गई
देश में बेरोजगारी से जुड़े आंकड़े चिंताजनक हैं। आंकड़े बताते हैं कि बेरोजगारी आज के समय में देश के युवाओं के सामने एक बड़ा मुद्दा है।सेंटर फॉर मॉनिटिरिंग इंडियन इकोनॉमी प्राइवेट लिमिटेड के आंकड़े बताते हैं कि भारत में बेरोजगारी दर जुलाई 2023 में 7.9 प्रतिशत से बढ़कर अगस्त में 8.1 प्रतिशत हो गई है। यह वृद्धि श्रम भागीदारी में वृद्धि होने के कराण हुई है। 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के बीच श्रम भागीदारी दर (एलपीआर) अगस्त में बढ़कर 41.2 प्रतिशत हो गई, जबकि पिछले महीने में यह 39.3 प्रतिशत थी।
कोरोना काल में भारत में बेरोजगारी की दर तेजी से बढ़ी थी। सेंटर फॉर मॉनिटिरिंग इंडियन इकोनॉमी प्राइवेट लिमिटेड के मुताबिक 2021 में मई में बेरोजगारी दर 11.84 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। हालांकि इसके बाद इसमें गिरावट देखने को मिली। कई उतार-चढ़ाव के बाद भी भारत में बेरोजगारी दर इन दिनों करीब 8 प्रतिशत बनी हुई है जो कि चिंता का कारण है।
बेरोजगारी दर 8 प्रतिशत के करीब रहने का मतलब है कि रोजगार के लिए तैयार पर 1000 लोगों में से 80 को उनकी इच्छा के बाद भी रोजगार नहीं मिल रहा है। इन आंकड़ों से साफ है कि सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद भारत में बेरोजगारी की समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है।