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अंबेडकर पर कौन सच्चाः संसद सत्र खत्म, आखिरी दिन कांग्रेस-भाजपा का प्रदर्शन

अंबेडकर पर कौन सच्चाः संसद सत्र खत्म, आखिरी दिन कांग्रेस-भाजपा का प्रदर्शन

अंबेडकर के विरोध में आरएसएस और भाजपा का विरोध जगजाहिर है लेकिन अब सच्चा अंबेडकरवादी कौन है, इसे लेकर भाजपा-कांग्रेस में होड़ मची हुई। संसद के शीतकालीन अधिवेशन के अंतिम दिन दोनों दलों के सांसद एक दूसरे के खिलाफ प्रदर्शन करते देखे गये। बहरहाल, एक देश एक चुनाव को संसदीय समिति को भेजने के साथ संसद के इस सत्र की कार्यवाही शुक्रवार को खत्म हो गई। 

संसद के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को, भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंघन ने कार्यवाही से पहले शुक्रवार को संसद भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन करते नजर आये। एक देश एक चुनाव विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजने के बाद संसद के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही समाप्त घोषित कर दी गई है।

गुरुवार को संसद परिसर के अंदर कांग्रेस और भाजपा सांसदों के बीच कथित तौर पर धक्का-मुक्की हुई थी। राहुल गांधी के खिलाफ भाजपा ने एफआईआर कराई लेकिन कांग्रेस की महिला सांसदों की शिकायत पर फौरन कार्रवाई नहीं की गई। एक तरह से संसद का शीतकालीन सत्र अंबेडकर पर विवादित टिप्पणी और उसके खिलाफ विपक्ष के विरोध के लिए जाना जाएगा। अंबेडकर पर कौन सच्चा है, इसका फैसला कोई भी इतिहास पढ़कर जान सकता है। 

संविधान, संघवाद और लोकतंत्र पर बहस, बीआर अंबेडकर पर अमित शाह की टिप्पणी से जुड़े विवाद, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ने संसद के शीतकालीन अधिवेशन में राजनीतिक हंगामा खड़ा कर दिया।

बहरहाल, संसद के दोनों सदनों का शीतकालीन सत्र खत्म हो गया है। इसी के साथ एक देश एक चुनाव विधेयक को संसदीय समिति के पास चर्चा के लिए भेज दिया गया है। 'एक राष्ट्र एक चुनाव' विधेयक पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में 12 राज्यसभा सदस्यों को नामित किया गया है। ये सदस्य हैं-घनश्याम तिवारी, पी विल्सन, साकेत गोखले, संजय झा, संजय सिंह, के लक्ष्मण, कविता पाटीदार, मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला, मानस रंजन मंगराज, विजयसाई रेड्डी और भुवनेश्वर कलिता।

25 नवंबर को शुरू हुआ यह सत्र अपने पहले ही सप्ताह में व्यवधान और स्थगन के कारण प्रभावित हुआ। विपक्षी दलों ने विभिन्न मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें गौतम अडानी पर अमेरिकी मुकदमे पर चर्चा की मांग भी शामिल थी। सरकार द्वारा इस तरह की चर्चा की अनुमति देने से इनकार करने के कारण विरोध प्रदर्शन हुआ और कार्यवाही लगभग पूरी तरह से रद्द हो गई। अडानी घूस कांड को विपक्ष ने हर दिन संसद में उठाने की कोशिश की लेकिन स्पीकर ने लोकसभा में और सभापति ने राज्यसभा में अनुमति नहीं दी।

अडानी घूसकांड के मुकाबले मोदी सरकार ने एक देश एक चुनाव का मुद्दा फौरन ही पेश कर दिया। कई दलों के कड़े विरोध के बीच, विधेयक को आगे की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया, जिन्होंने तर्क दिया कि यह संघवाद को कमजोर करता है।

कथित पक्षपातपूर्ण व्यवहार का हवाला देते हुए विपक्ष ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखा। हालाँकि, प्रस्ताव को अंततः खारिज कर दिया गया, जिसमें 14 दिन के नोटिस की कमी और इसके प्रारूप में त्रुटियाँ शामिल थीं। हालांकि यह पहले से ही अंदाजा लगा दिया गया था कि धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रद्द कर दिया गया।

संसद में भी संविधान पर तीखी बहस हुई, विशेष रूप से संघवाद और लोकतंत्र के सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित किया गया। अंबेडकर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी से भारी विवाद खड़ा हो गया, विपक्ष ने सरकार पर संविधान निर्माता का अनादर करने का आरोप लगाया। भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि यह कांग्रेस सरकारें ही थीं जिन्होंने वर्षों से राजनीतिक उद्देश्यों के लिए संविधान में संशोधन किया था। यह संसद सत्र अंबेडकर पर अमित शाह की विवादित टिप्पणी और उसके विरोध के साथ खत्म हो रहा है।

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