आलोक वर्मा की सीबीआई में वापसी हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने वर्मा को छुट्टी पर भेजने का फ़ैसला निरस्त कर दिया है। इसे मोदी सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। सीबीआई के चीफ़ आलोक वर्मा ने पूर्व संयुक्त निदेशक राकेश अस्थाना के साथ विवाद के बाद और छुट्टी पर भेजने के ख़िलाफ़ याचिका दायर की थी। बता दें कि अस्थाना और वर्मा के बीच विवाद बढ़ जाने के बाद सरकार ने दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया था।
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मतलब यह कि वर्मा अब सीबीआई प्रमुख का कार्यभार संभालेंगे। हालाँकि कोर्ट ने यह भी कहा कि वर्मा अभी नीतिगत फ़ैसले नहीं ले सकेंगे।
कोर्ट ने फ़ैसले में कहा कि आलोक वर्मा को हटाने से पहले सेलेक्ट कमिटी से सहमति लेनी चाहिए थी।
आलोक वर्मा के वकील ने कहा- हमें कोर्ट पर पूरा भरोसा था। इस फ़ैसले ने यह साबित किया है कि जब तक कोर्ट है तब तक किसी के साथ कुछ ग़लत नहीं होगा।
सीजेआई, प्रधानमंत्री और नेता विपक्ष की सेलेक्ट कमेटी यह तय करेगी कि वर्मा को उनके पद से हटाया जाए या नहीं। सेलेक्ट कमेटी एक हफ़्ते के भीतर बैठक करेगी। आलोक वर्मा का कार्यकाल 31 जनवरी को समाप्त हो रहा है।
कोर्ट के फ़ैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सीबीआई के निदेशक को छुट्टी पर भेजने का फ़ैसला एक संवैधानिक संस्था की प्रतिष्ठा को बचाए रखने के उद्देश्य से और सीवीसी की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया।
6 दिसंबर को हुई सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ़ की पीठ ने आलोक वर्मा और कॉमन कॉज की याचिका पर फ़ैसला सुरक्षित रखा था। याचिका में एसआईटी जाँच की माँग के साथ ही सरकार द्वारा छुट्टी पर भेजे जाने के फ़ैसले को चुनौती दी गई थी।
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सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कोर्ट के फैसले ने सरकार को सबक सिखाया है।
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केंद्र सरकार ने वर्मा और अस्थाना के बीच विवाद के बाद दोनों को हटाते हुए संयुक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव को अंतरिम मुखिया बना दिया था।