शराब पीने वाले भारतीय नहीं, महापापीः नीतीश 

01:26 pm Mar 31, 2022 | सत्य ब्यूरो

बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि जो लोग शराब पीते हैं, वे भारतीय नहीं हैं। नीतीश कुमार ने यह बात कल विधानसभा में कही। नीतीश ही वह शख्स हैं जिन्होंने बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू की। इस वजह से नीतीश तमाम तरह की आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं। हाल ही में जब जहरीली शराब से वहां मौतें हुईं तो शराबबंदी के उनके फैसले पर सवाल उठे।

नीतीश ने कहा कि जहरीली शराब के सेवन से मरने वालों को राहत देने के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। मुख्यमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी ने भी शराब के सेवन का विरोध किया था और जो लोग उनके सिद्धांतों के खिलाफ जाते हैं वे "महापापी और महा अयोग्य" हैं। मैं ऐसे लोगों को भारतीय नहीं मानता।

उन्होंने कहा कि लोग यह जानते हुए भी कि शराब पीना नुकसानदेह है, शराब पीते हैं। इसलिए वो ही इसके नतीजों के लिए जिम्मेदार हैं, राज्य सरकार जिम्मेदार नहीं है। यह उनकी गलती है। वे यह जानकर भी शराब पीते हैं कि यह जहरीली हो सकती है।मुख्यमंत्री ने यह टिप्पणी बिहार विधानसभा में कल पेश किए गए एक संशोधन विधेयक के दौरान की, जिसमें शराबबंदी के दौरान पहली बार शराब पीने का अपराध करने पर कम सजा का प्रावधान करता है।  

बिहार विधानसभा में विपक्ष ने कल उन्हें घेरने की कोशिश की। उसी पर नीतीश ने तमाम कड़ी टिप्पणियां कीं। विपक्ष ने आरोप लगाया कि राज्य में शराब की त्रासदी जारी है, क्योंकि राज्य सरकार शराब प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने में नाकाम रही है।

शराबबंदी कानून में बदलाव 

बिहार मद्य निषेध एवं उत्पाद (संशोधन) विधेयक, 2022 को राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद पहली बार अपराध करने वालों को जुर्माना जमा करने के बाद ड्यूटी मजिस्ट्रेट से जमानत मिल जाएगी। हालांकि, यदि व्यक्ति इसका भुगतान करने में विफल रहता है, तो उसे एक महीने की जेल की सजा का सामना करना पड़ सकता है।

राज्य में शराब से मौतों के बाद मुख्यमंत्री गठबंधन सहयोगी बीजेपी और विपक्षी आरजेडी के निशाने पर आ गए हैं। 2021 के अंतिम छह महीनों में 60 से अधिक लोगों की जान चली गई थी।

विपक्ष ने कहा है कि शराब पर प्रतिबंध केवल कागजों पर ही रह गया है। बीजेपी ने आरोप लगाया था कि अधिकारी शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू नहीं कर रहे हैं और इसका इस्तेमाल लोगों से पैसे वसूलने के लिए कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल भी टिप्पणी की थी कि शराब कानून बिहार में न्यायपालिका के कामकाज को प्रभावित कर रहा है, पटना हाईकोर्ट के 14-15 जज सिर्फ बिहार निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम के तहत की गई गिरफ्तारी से संबंधित जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे हैं।