एयर इंडिया अब आधिकारिक रूप से टाटा ग्रुप की हो गई है। क़रीब 69 साल पहले भी यह टाटा ग्रुप के पास ही थी, लेकिन सरकार ने 1953 में इसका अधिग्रहण कर लिया था। लेकिन जब यह कंपनी अपनी बेहद ख़राब आर्थिक स्थिति से गुजरने लगी तो सरकार ने इसकी पूरी यानी 100 फ़ीसदी हिस्सेदारी फिर से टाटा ग्रुप को बेच दी।
टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने गुरुवार को कहा कि एयर इंडिया को टाटा समूह में वापस पाकर हम पूरी तरह खुश हैं। चंद्रशेखरन ने आधिकारिक तौर पर सौंपे जाने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाक़ात की। प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस मुलाक़ात की तसवीर को ट्वीट भी किया।
कंपनी की ओर से कहा गया है कि एयर इंडिया का रणनीतिक विनिवेश लेनदेन आज सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इसकी ओर से यह भी कहा गया है कि एयर इंडिया के 100 प्रतिशत शेयर प्रबंधन नियंत्रण के साथ मैसर्स टैलेस प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित किए गए।
पिछले साल अक्टूबर में ही ख़बर आई थी कि टाटा संस ने 18 हज़ार करोड़ रुपये में एयर इंडिया के लिए लगी बोली जीत ली है। खुद केंद्र सरकार ने इसकी जानकारी दी थी।
टाटा संस ने 1932 में एयर इंडिया को लांच किया था। टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष जे. आर. डी. टाटा ने 1932 में भारत की पहली वाणिज्यिक एअरलाइंस शुरू की थी और इसका नाम रखा था टाटा एयरलाइंस। 1946 में इसका नाम बदल कर एयर इंडिया कर दिया गया। 1953 में सरकार के इसके अधिग्रहण के बाद अब फिर से टाटा ग्रुप के पास जाने पर समूह ने ट्वीट किया है, 'तुम्हारे आगमन का बेसब्री से इंतज़ार था, एयर इंडिया।'
बता दें कि साल 2007 से लगातार घाटे में चल रही एयर इंडिया के पास संपत्ति की कमी नहीं है। इसके पास क़रीब सवा सौ हवाई जहाज़ हैं और सभी ऑपरेशनल हैं, यानी चल रहे हैं या चलने की स्थिति में हैं। इनमें से बोइंग 747, बोइंग 777, बोइंग 787, एयर बस सीईओ फैमिली और एयर बस एनईओ फैमिली के जहाज़ शामिल हैं।
टाटा समूह के नियंत्रण में पहले से ही विस्तारा है, जिसमें इसकी हिस्सेदारी 51 प्रतिशत है और इस कारण इसके प्रबंधन पर टाटा समूह का ही नियंत्रण है। इसके अलावा एयर एशिया इंडिया में टाटा समूह की हिस्सेदारी 84 प्रतिशत है।