कोरोना संक्रमण की जिस तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है उसको लेकर अब एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने ही कर दिया है कि यह तो आएगी ही। यानी तीसरी लहर को टाला नहीं जा सकता है। उन्होंने तो यह भी कह दिया कि यह 6-8 हफ़्ते में आ सकती है। डॉ. रणदीप गुलेरिया यह किस आधार पर कह रहे हैं और यह दूसरी लहर कितनी घातक होगी?
इन सवालों के जवाब से पहले यह जान लें कि फ़िलहाल हालात क्या हैं। अब देश में हर रोज़ क़रीब 60 हज़ार संक्रमण के मामले आ रहे हैं। पहले हर रोज़ 4 लाख से भी ज़्यादा मामले आने लगे थे। अब पॉजिटिव केस कम होने के बाद राज्यों में लॉकडाउन में ढील दी जा रही है और लोग घरों से बाहर निकलने लगे हैं।
बाज़ारों में बढ़ती भीड़ और कोरोना प्रोटोकॉल की उड़ती धज्जियों के मद्देनज़र दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि कोरोना प्रोटोकॉल के टूटने से इस महामारी की तीसरी लहर जल्दी आ जाएगी। इसने कहा कि इसके आने की संभावना है और ऐसा नहीं होने दिया जा सकता। अदालत ने इसे लेकर केंद्र व दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया और कहा कि वे अनलॉक को लेकर स्टेटस रिपोर्ट जमा करें। अदालत ने यह भी कहा कि अफ़सर कोरोना प्रोटोकॉल तोड़ने वालों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करें।
डॉ. गुलेरिया का यह ताज़ा बयान इसी संदर्भ में आया है। उन्होंने 'एनडीटीवी' से कहा कि जैसा कि हमने अनलॉक करना शुरू कर दिया है, फिर से कोरोना प्रोटोकॉल की पालना में कमी है। उन्होंने कहा, 'पहली और दूसरी लहर के बीच जो हुआ उससे हमने सीखा नहीं है। फिर से भीड़ बढ़ रही है... लोग इकट्ठा हो रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर मामलों की संख्या बढ़ने में कुछ समय लगेगा। तीसरी लहर अपरिहार्य है और यह अगले छह से आठ सप्ताह के भीतर देश में प्रवेश कर सकती है ...थोड़ी देर भी हो सकती है।'
हालाँकि उन्होंने यह भी कहा कि यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि हम कोविड नियमों की पालना में और भीड़ को रोकने के मामले में कैसे आगे बढ़ते हैं।
डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कोरोना की तीसरी लहर के लिए कोरोना प्रोटोकॉल को तोड़े जाने के अलावा दो और प्रमुख कारणों को बताया- डेल्टा प्लस वैरिएंट और अपर्याप्त टीकाकरण।
एम्स प्रमुख ने कहा कि डेल्टा वैरिएंट के नये रूप डेल्टा प्लस वैरिएंट से चिंता बढ़ी है क्योंकि संकेत मिलते हैं कि इस पर मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज कॉकटेल दवा निष्क्रिय साबित हो रही है। इस दवा के बारे में कहा जा रहा है कि यह कोरोना मरीज पर एक दिन में ही काफ़ी ज़्यादा प्रभावी साबित हो रही है।
बता दें कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर के लिए बी.1.617.2 को ज़िम्मेदार माना गया। बी.1.617.2 को डब्ल्यूएचओ ने डेल्टा वैरिएंट नाम दिया है। यह सबसे पहले भारत में फैला था। अब तक कई देशों में इस वैरिएंट के मामले सामने आ चुके हैं। अब इसी डेल्टा वैरिएंट यानी बी.1.617.2 में एक म्यूटेंट के417एन जुड़ गया है और इसको वैज्ञानिक नाम बी.1.617.2.1 दिया गया है। विशेषज्ञ इसे डेल्टा+ यानी डेल्टा प्लस नाम से बुला रहे हैं।
इसी डेल्टा प्लस वैरिएंट को लेकर ही महाराष्ट्र में अब कोरोना की तीसरी लहर का डर है। राज्य के टास्क फोर्स ने आशंका जताई है कि यदि कोरोना को लेकर लापरवाही बरती गई तो एक या दो महीने में वह लहर आ जाएगी। राज्य के स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा है कि पहली लहर से कहीं ज़्यादा संक्रमण के मामले दूसरी लहर में आए थे और ऐसा डेल्टा वैरिएंट की वजह से हुआ था। उन्होंने आशंका जताई है कि तीसरी लहर में और ज़्यादा संख्या में कोरोना के मरीज़ आ सकते हैं।
कोरोना की इस संभावित तीसरी लहर को रोकने के लिए डॉ. गुलेरिया ने टीकाकरण पर जोर दिया। हाल के दिनों में शोध में यह बात सामने आई है कि कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराक लेने पर यदि संक्रमण होता भी है तो अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत नहीं पड़ रही है। हालाँकि वैक्सीन की कमी के मद्देनज़र डॉ. गुलेरिया कहते हैं कि कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच अंतर बढ़ाना भी बुरा विचार नहीं है जिससे ज़्यादा लोगों को सुरक्षा मिल पाएगी।
उन्होंने कोरोना के म्यूटेशन यानी नये वैरिएंट को लेकर एक मोर्चा खड़ा करने और जीनोम सिक्वेंसिंग को बड़े पैमाने पर बढ़ाने पर जोर दिया। इसके साथ ही उन्होंने कोरोना प्रोटोकॉल को पालन करने और अस्पतालों में व्यवस्था बढ़ाने पर भी जोर दिया।