आगरा की एमपी-एमएलए अदालत ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा सदस्य डॉ. रामशंकर कठेरिया को दो वर्ष जेल की सजा सुनाई है।
उन्हें यह सजा 2011 में एक बिजली आपूर्ति कंपनी के कर्मचारियों पर हमला करने के केस में मिली है। कठेरिया उत्तर प्रदेश के इटावा से भाजपा के सांसद हैं।
लाइव लॉ वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने डॉ. रामशंकर कठेरिया को आईपीसी की धारा 147 (दंगा) और धारा 323 ( चोट पहुंचाना) के तहत दोषी ठहराया है। दो साल की सजा के साथ ही 50 हजार रुपये का जुर्माना भी उनपर लगाया गया है।
उन पर आगरा की टोरेंट पावर कंपनी के दफ्तर में तोड़फोड़ करने और उसके कर्मचारियों से मारपीट करने का आरोप था। द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक कठेरिया पर 12 आपराधिक आरोप हैं।
इस सजा के बाद कठेरिया को लोकसभा से अयोग्य घोषित किए जाने की संभावना है। ऐसा इसलिए कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत, किसी भी अपराध के लिए दो साल या उससे अधिक की सजा पाने वाले निर्वाचित जन प्रतिनिधि को तत्काल अयोग्यता का सामना करना पड़ता है।
माना जा रहा है कि भाजपा सांसद रामशंकर कठेरिया इस सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे। वहां से अगर राहत नहीं मिलेगी तो वह सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं। लेकिन लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत उनकी संसद सदस्यता जाना तय माना जा रहा है। अब देखना होगा कि लोकसभा सचिवालय कब भाजपा सांसद को संसद सदस्यता से अयोग्य घोषित करने की अधिसूचना निकलता है।
राहुल गांधी की इसी आधार पर गई थी संसद सदस्यता
करीब चार साल पुराने एक आपराधिक मानहानि केस में गुजरात की एक अदालत से दो साल की सजा मिलने बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म कर दी गई थी। तब अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के अगले ही दिन लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी का संसद सदस्यता समाप्त होने की अधिसूचना जारी कर दी थी।24 मार्च को जारी इस अधिसूचना में बताया गया था कि केरल की वायनाड लोकसभा सीट के सांसद राहुल गांधी को सज़ा सुनाए जाने के दिन यानी 23 मार्च, 2023 से अयोग्य करार दिया जाता है। इसमें कहा गया था कि ऐसा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत किया गया है।
बाद में लंबी कानूनी लड़ाई को बाद शुक्रवार को राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगा कर संसद सदस्यता वापस पाने का रास्ता साफ कर दिया है। अब देखना है कि कब तक लोकसभा अध्यक्ष उनकी संसद सदस्यता बहाल करने पर निर्णय लेते हैं।