डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले अब तक कम से कम 10 राज्यों में मिले हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार इन राज्यों में इस नये वैरिएंट के 50 मामले दर्ज किए गए हैं। तीन दिन पहले तक इसके मामले सिर्फ़ 22 थे और ये तीन राज्यों में ही मिले थे। यह देश में दूसरी लहर के दौरान तबाही लाने के लिए ज़िम्मेदार माने जाने वाले डेल्टा का ही नया वैरिएंट है। देश में डेल्टा प्लस मामलों की बढ़ती संख्या पर हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसको फ़िलहाल 'वैरिएंट ऑफ़ कंसर्न' बताया। इसका मतलब है कि इस वैरिएंट से चिंतित होना चाहिए।
सरकार ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा है कि इस नये वैरिएंट के सबसे ज़्यादा मामले महाराष्ट्र में 20 आए हैं। इसके बाद तमिलनाडु में 9, मध्य प्रदेश में 7, केरल में 3, पंजाब व गुजरात में 2-2 और आंध्र प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, जम्मू, कर्नाटक जैसे राज्यों में भी इसके मामले आए हैं। इससे पहले ख़बर आ चुकी है कि मध्य प्रदेश में तो डेल्टा प्लस वैरिएंट से संक्रमित दो मरीज़ों की मौत भी हो चुकी है।
सरकार ने यह भी कहा है कि डेल्टा प्सल वैरिएंट के मामले अब तक दुनिया के 12 देशों में मिले हैं। इसके साथ ही इसने कहा है कि इस वैरिएंट पर देश के वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं कि इस पर कोरोना वैक्सीन कारगर है या नहीं और है तो कितनी कारगर है।
महाराष्ट्र में हाल में डेल्टा प्लस वैरिएंट के कारण कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई गई है। यह चिंता की वजह इसलिए है कि यह नया वैरिएंट उसी डेल्टा वैरिएंट का नया रूप है जिसे देश में कोरोना की दूसरी लहर में तबाही लाने के लिए ज़िम्मेदार माना गया।
शोध में तो यह सामने आ रहा है कि डेल्टा वैरिएंट जहाँ शरीर के इम्युन सिस्टम से बच निकलता है वहीं इसके नये वैरिएंट पर मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज कॉकटेल दवा भी निष्प्रभावी साबित हो सकती है। इस दवा के बारे में कहा जा रहा है कि यह कोरोना मरीज पर एक दिन में ही काफ़ी ज़्यादा प्रभावी साबित हो रही है।
चिंता की वजह डेल्टा प्लस इसलिए भी है कि शुरुआती शोध के आधार पर इसे डेल्टा वैरिएंट से भी ज़्यादा घातक माना जा रहा है।
इंस्टीट्यूट ऑफ़ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी यानी आईजीआईबी में चिकित्सक और कम्प्यूटेशनल जीवविज्ञानी डॉ. विनोद स्कारिया ने हाल ही में डेल्टा प्लस स्ट्रेन को लेकर सचेत किया है। उनका कहना है कि डेल्टा प्लस मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज कॉकटेल दवा के निष्क्रिय होने के सबूत मिल रहे हैं। ऐसे में यह ज़्यादा घातक हो सकता है।
इससे पहले डेल्टा वैरिएंट नाम से प्रचलित बी.1.617.2 वैरिएंट को भारत में दूसरी लहर के लिए ज़िम्मेदार माना गया। भारत में जब दूसरी लहर अपने शिखर पर थी तो हर रोज़ 4 लाख से भी ज़्यादा संक्रमण के मामले रिकॉर्ड किए जा रहे थे। देश में 6 मई को सबसे ज़्यादा 4 लाख 14 हज़ार केस आए थे। यह वह समय था जब देश में अस्तपाल बेड, दवाइयाँ और ऑक्सीजन जैसी सुविधाएँ भी कम पड़ गई थीं। ऑक्सीजन समय पर नहीं मिलने से बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुईं। अस्पतालों में तो लाइनें लगी ही थीं, श्मशानों में भी ऐसे ही हालात थे। इस बीच गंगा नदी में तैरते सैकड़ों शव मिलने की ख़बरें आईं और रेत में दफनाए गए शवों की तसवीरें भी आईं।
स्वास्थ्य मंत्रालय की आज प्रेस कॉन्फ़्रेंस में एनसीडीसी के निदेशक सुजीत सिंह ने कहा कि डेल्टा वैरिएंट 'बहुत मज़बूत' है, अल्फा से भी अधिक मज़बूत है जो पहली बार यूके में पहचाना गया था। उन्होंने कहा कि आठ राज्यों में 50 प्रतिशत से अधिक डेल्टा वैरिएंट के मामले पाए गए हैं जो अब भारत में चिंता का विषय है। ये राज्य हैं- आंध्र प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, पंजाब, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल। लेकिन इस डेल्टा के नये वैरिएंट से तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है।