ब्रिटेन के नये यात्रा नियमों से भारतीय वैक्सीन लगाए उन लोगों को परेशानी हो सकती है जो वहाँ की यात्रा करने वाले हैं। दरअसल, ये नये नियम भारतीय वैक्सीन लगाए लोगों को 'बिना टीका लगाए हुए' मानेंगे। इसका मतलब है कि ऐसे लोगों को कई पाबंदियों से गुजरना होगा। भारत सरकार ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
भारत के विदेश सचिव ने कहा है कि कोविशील्ड को मान्यता नहीं देना एक भेदभावपूर्ण नीति है और यूके की यात्रा करने वाले हमारे नागरिकों को प्रभावित करती है। उन्होंने कहा, 'विदेश मंत्री ने ब्रिटेन के नए विदेश सचिव के समक्ष इस मुद्दे को मज़बूती से उठाया है। मुझे बताया गया है कि कुछ आश्वासन दिए गए हैं कि इस मुद्दे को सुलझा लिया जाएगा।' पहले सूत्रों के हवाले से ख़बर आई थी कि चेतावनी दी गई है कि यदि वह भारतीय वैक्सीन को छूट नहीं देता है तो ब्रिटेन की वैक्सीन लगाए उसके नागरिकों को भी भारत में ऐसे नियमों का सामना करना पड़ सकता है।
ब्रिटेन के ये नियम उसी दिन आए हैं जिस दिन अमेरिका ने कहा है कि वह नवंबर से पूरी तरह से टीका लगाए लोगों के लिए यात्रा में छूट देगा और उसमें भारत भी शामिल है।
जिस तरह से अभी ब्रिटेन ने भारतीय वैक्सीन को लेकर ऐसे नियम बनाए हैं कुछ उसी तरह के नियम यूरोपीय संघ ने भी बनाए थे। जिसके विरोध में भारत ने यूरोपीय संघ के देशों के ख़िलाफ़ वैसी ही बदले की कार्रवाई की चेतावनी दी थी। इसके बाद कई देशों ने भारतीय वैक्सीन को भी मंज़ूरी दे दी है।
लेकिन अब ताज़ा मामला ब्रिटेन का है। जिन देशों के टीकों को ब्रिटेन में मान्यता प्राप्त है, उनकी सूची में भारत शामिल नहीं है। जिसका मतलब है कि जिन व्यक्तियों को भारत में कोविशील्ड का टीका लगाया गया है उन्हें भी वह सहूलियत नहीं मिलेगी। कोविशील्ड ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन का भारतीय संस्करण है जिसे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया क़रार के तहत निर्मित कर रहा है।
ब्रिटेन में 4 अक्टूबर से लागू होने वाले इस नए अंतरराष्ट्रीय यात्रा नियम से वे यात्री प्रभावित होंगे जिनको पूरी तरह से टीकाकरण के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं है। ऐसे लोगों को प्रस्थान से पहले आरटी-पीसीआर परीक्षण कराना होगा, आगे ब्रिटेन में आगमन पर दूसरे और आठवें दिन आरटी-पीसीआर परीक्षण कराने होंगे, और फिर 10 दिनों के लिए उनके दिए गए पते पर खुद से अलग-थलग रहना होगा।
ये नियम ऑस्ट्रेलिया, एंटीगुआ और बारबुडा, बारबाडोस, बहरीन, ब्रुनेई, कनाडा, डोमिनिका, इज़राइल, जापान, कुवैत, मलेशिया, न्यूजीलैंड, कतर, सऊदी अरब, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और ताइवान जैसे देशों के टीके मान्यता देते हैं। यानी इन देशों के नागरिकों को उन कठोर नियमों को मानने की ज़रूरत नहीं होगी।
भारत ने ब्रिटेन के इन नियमों का विरोध किया है। ख़बर है कि फ़िलहाल ब्रिटेन के उच्चायोग के सामने इस मुद्दे को उठाया गया है और बाद में विदेश मंत्री एस जयशंकर इस मसले को ब्रिटेन के विदेश सचिव के सामने उठाएँगे।
ऐसा ही विरोध तब किया गया था जब यूरोपीय संघ ने इसी तरह के नियम बनाए थे। यूरोपीय संघ ने 1 जुलाई से वैक्सीन पासपोर्ट स्कीम के तहत डिजिटल कोविड सर्टिफिकेट देना शुरू किया। इसके तहत जिन 4 वैक्सीन- फाइज़र, मॉडर्ना, एस्ट्राज़ेनेका और जॉनसन एंड जॉनसन की जानसेन वैक्सीन को हरी झंडी मिली थी। उन वैक्सीन को लगाने वाले लोगों को यूरोपीय यूनियन के देशों में मुक्त रूप से यात्रा करने की छूट मिलनी थी। इन चारों वैक्सीन में कोविशील्ड शामिल नहीं था। भारत ने जब विरोध किया तो फिर कई देशों ने कोविशील्ड को शामिल किया। भारत में अधिकतर कोविशील्ड के ही टीके लगाए गए हैं। अब तक कुल लगे क़रीब 81 करोड़ में से 72 करोड़ टीके कोविशील्ड और क़रीब 9 करोड़ टीके भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के लगे हैं।
फ़िलहाल यूरोप के कम से कम अठारह देशों ने अब तक कोविशील्ड वैक्सीन को मंजूरी दी है। ये हैं- फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, स्विट्जरलैंड, स्वीडन, आयरलैंड, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, नीदरलैंड, बुल्गारिया, क्रोएशिया, फिनलैंड, ग्रीस, हंगरी, आइसलैंड, लातविया, रोमानिया और स्लोवेनिया।
कोविशील्ड को डब्ल्यूएचओ द्वारा मान्यता प्राप्त है। संयुक्त राज्य अमेरिका और अधिकांश अन्य देश इसे एक सुरक्षित और स्वीकृत वैक्सीन मानते हैं। जबकि कोवैक्सीन को कुछ देशों ने ही मंज़ूरी दी है।
अमेरिका में नवंबर से हटेगी पाबंदी
अमेरिका ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए नई प्रणाली की घोषणा की है। इसके तहत भारत सहित दुनिया के अधिकतर देशों के ऐसे लोगों को नवंबर की शुरुआत से देश में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी, जिनका पूर्ण टीकाकरण हो गया है। पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने 2020 की शुरुआत में कोरोना महामारी के कारण विदेशी यात्रियों के अमेरिका में प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था।
अमेरिका वर्तमान में केवल अपने नागरिकों और उनके नज़दीकी परिवारों के सदस्यों, ग्रीन कार्ड धारकों और राष्ट्रीय हित में दी गई छूट वाले लोगों को अनुमति देता है।