भारत को चारों ओर से घेरने की रणनीति के तहत ही क्या चीन ने पाकिस्तान को आधुनिकतम फ्रिगेट यानी युद्ध पोत दिया है? क्या इसलामाबाद को यह फ्रिगेट मिलने के बाद अरब सागर ही नहीं, हिंद महासागर में भी उसका दबदबा कायम हो जाएगा? क्या चीन हिंद प्रशांत क्षेत्र में खुद के घिरने से पहले ही भारत को घेरने की रणनीति के तहत पाकिस्तान का इस्तेमाल शतरंज के मोहरे की तरह कर रहा है?
ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि चीन ने मंगलवार को शंघाई में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में एक युद्ध पोत पाकिस्तान को सौंपा है। चीनी सरकारी कंपनी चाइना स्टेट शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड में बने इस जहाज़ को पाकिस्तान नौसेना ने पीएनएस तुगरिल का नाम दिया है।
चीन के सरकारी अख़बार 'ग्लोबल टाइम्स' के अनुसार,
यह युद्ध जहाज़ ज़मीन से ज़मीन, पानी से ज़मीन, पानी से पानी और पानी के नीचे मिसाइल चला कर हथियार से मार करने में सक्षम है। इसके अलावा इसमें टोह लेने यानी सर्वीलांस की भी ज़बरदस्त क्षमता होगी।
अचूक मारक क्षमता
पीएलए नेवल रिसर्च इंस्टीच्यूट के झांग जुनशे ने 'ग्लोबल टाइम्स' से कहा कि यह चीन का आधुनिकतम युद्धपोत है। यह किसी तरह के नौसैनिक ख़तरे से निपटने में सक्षम है और इसकी मारक क्षमता अचूक है।
चीन इस तरह के चार युद्ध पोत बना कर पाकिस्तान को देगा, यह पहला जहाज़ है।
पाकिस्तान का कहना है कि यह शक्ति संतुलन के लिए मुफ़ीद है और इलाक़े में शांति स्थापित करने में मदद करेगा। जब वह ऐसा कहता है तो उसके कहने का साफ मतलब यह है कि इस युद्ध पोत के मिलने के बाद पाकिस्तानी नौसेना भारतीय नौसेना के बराबर हो गई और वह उसे रोक सकती है।
पर क्या मामला सिर्फ इतना है?
मामला एशिया प्रशांत का
पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह चीन की दूरगामी रणनीति का हिस्सा है और वह इसके जरिए भारत ही नहीं, अमेरिका और जापान जैसे देशों को भी संकेत दे रहा है। अमेरिका ने जिस तरह हिंद प्रशांत क्षेत्र का मुद्दा उठाया है और उसमें भारत की भूमिका की बात बार-बार कही है और भारत ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई है, उसके बाद चीन ने इन दोनों ही देशों को अहम संकेत दिया है।
विश्लेषकों का मानना है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की घेराबंदी करने की दिशा में भारत अमेरिका की किसी तरह की मदद करे, उसके पहले ही बीजिंग ने भारत को घेरने की रणनीति के तहत पाकिस्तान को अत्याधुनिक युद्ध पोत दे दिया है।
भारत की घेराबंदी
पाकिस्तान इस युद्ध पोत को कराची जैसे बंदरगाह ही नहीं, ईरान से सटे ग्वादर बंदरगाह में भी रख सकता है। इस तरह वह अरब सागर और हिंद महासागर पर अपना दबदबा कायम कर लेगा, या कम से कम भारत को चुनौती तो ज़रूर दे सकेगा।
ग्वादर बंदरगाह पर चीन के नियंत्रण के साथ ही यदि श्रीलंका के हम्बनटोटा बंदरगाह पर चीनी कब्जे को देखा जाए और इसमें हर तरह के मिसाइलों और सर्वीलांस प्रौद्योगिकी से लैस युद्ध पोत पर विचार किया जाए तो भाारत के ख़तरे को समझा जा सकता है।
भारत की नौसेना को ब्लू वॉटर नेवी यानी अत्याधुनिक नौसेना माना जाता है। सात पनडुब्बियों के बनाने की परियोजना को इसमें जोड़ लिया जाए तो भारतीय नौसेना को पूरे हिंद महासागर पर दबदबा कायम करने लायक माना जा सकता है। इसमें यदि ऑस्ट्रेलिया और जापान को जोड़ लिया जाए तो चीन की चिंता समझी जा सकती है।
विश्लेषकों का कहना है कि बीजिंग ने आगे बढ़ कर भारत को संकेत दे दिया है कि यदि उसने हिंद प्रशांत क्षेत्र में कुछ करने की कोशिश की तो उसे चारों ओर से घेरने की रणनीति को इसी तरह आगे बढ़ाया जा सकता है।