जनता समझे...'एक देश एक चुनाव' सिस्टम को विपक्ष ने क्यों खारिज किया?
तमाम विपक्षी दलों सहित तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने एक देश एक चुनाव सिस्टम को खारिज कर दिया है। मोदी कैबिनेट ने गुरुवार को इस विधेयक को मंजूरी दी है। विपक्षी दल इस मुद्दे पर एकजुट हो गए हैं और कहा कि यह संघीय ढांचे और संविधान के खिलाफ है।
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को गोदी मीडिया मोदी कैंप में बता रहा था। लेकिन ममता की सबसे पहले प्रतिक्रिया इस विधेयक के खिलाफ आई। टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने "असंवैधानिक और फेडरल-विरोधी एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक को लाने का फैसला किया है। यह सावधानीपूर्वक सोचा गया सुधार नहीं है, यह भारत के लोकतंत्र और संघीय ढांचे को कमजोर करने के लिए बनाया गया एक सत्तावादी नजरिया है। टीएमसी सांसद संसद में इस कड़े कानून का पुरजोर विरोध करेंगे।
डीएमके प्रमुख और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि विधेयक "अव्यावहारिक और अलोकतांत्रिक" है और यह "क्षेत्रीय आवाजों को मिटा देगा, संघवाद को खत्म कर देगा और शासन चलाने में रुकावट बनेगा"।
कांग्रेस पार्टी तो इस विधेयक के खिलाफ शुरू से है लेकिन कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने अलग से भी प्रतिक्रिया दी है। सिद्धारमैया ने कहा: "एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक को मंजूरी देना न सिर्फ संसदीय लोकतंत्र और भारत के संघीय ढांचे पर हमला है, बल्कि राज्यों के अधिकारों पर अंकुश लगाने की एक भयावह साजिश भी है।"
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि 'एक देश, एक चुनाव न सिर्फ अव्यावहारिक है बल्कि अलोकतांत्रिक व्यवस्था भी है। उन्होंने कहा- “कभी-कभी सरकारें अपने कार्यकाल के बीच में अस्थिर हो जाती हैं, इसलिए लोग लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व के बिना रह जाएंगे। इसके लिए संवैधानिक रूप से चुनी गई सरकारों को बीच में ही भंग करना होगा, जो जनमत का अपमान होगा।”
आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने कहा, “यह फिर से उसी दिशा में एक तरह का प्रस्तावित कानून है जैसा हमने महिला आरक्षण विधेयक के मामले में देखा था। कोई खास तारीख नहीं, भविष्य का कोई विवरण उपलब्ध नहीं है। यह अलोकतांत्रिक है।”
कांग्रेस सांसद और पार्टी के संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि 24 जनवरी को एक पत्र में पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मुद्दे को उठाया था और पार्टी का रुख वही है। इसमें संशोधन की कोई जरूरत नहीं है। खड़गे ने एक देश एक चुनाव पैनल के सचिव नितेन चंद्रा को पत्र लिखा था: "एक संपन्न और मजबूत लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए, यह जरूरी है कि इस पूरे विचार (वन नेशन वन इलेक्शन) को छोड़ दिया जाए और हाई पावर कमेटी (कोविंद कमेटी) को भंग कर दिया जाए।" यानी कांग्रेस शुरू से ही एक देश एक चुनाव के विचार का विरोध कर रही है।
सीपीआई सांसद पी संतोष कुमार ने कहा कि सीपीआई "आरएसएस के इस भयावह डिजाइन का विरोध करती है जो संघीय ढांचे के खिलाफ है"। सीपीएम राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास ने कहा कि यह विचार "संघीय भावना के खिलाफ है"। उन्होंने कहा, "एक राष्ट्र, एक चुनाव उनके नारे 'एक नेता, एक देश, एक विचारधारा, एक भाषा' का हिस्सा है। यह आरएसएस का विचार है।"
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि "मोदी सरकार का एक ही नारा है- 'एक राष्ट्र, एक अडानी'। वह सिर्फ भारत की संपत्ति बेचने के लिए एक दोस्त चाहता है और वह उसके लिए काम कर रहा है। अगर एक देश, एक चुनाव होगा तो बीच में अगर सरकार अल्पमत में आ जाये तो क्या होगा. क्या कोई मध्यावधि चुनाव नहीं होगा?”