आख़िर अमर जवान ज्योति इतनी ख़ास क्यों?
सरकार ने शुक्रवार को इंडिया गेट की अमर जवान ज्योति की अग्नि को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर बनाए गए अमर जवान ज्योति से विलय कर दिया। इसके साथ ही इंडिया गेट पर अब अमर जवान ज्योति की अग्नि नहीं जलेगी। यह 1971 में पाकिस्तान पर जीत और इसके लिए कुर्बानी देने वाले भारतीय सैनिकों की याद में 1972 से जलती रही थी। अब उस अग्नि को उस जगह से क़रीब सौ मीटर दूर और 2019 में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में स्थापित ज्योति के साथ मिला दिया गया है।
सरकार के इस फ़ैसले से राजनीतिक विवाद हो गया है। विपक्षी दल तो सवाल उठा ही रहे हैं, सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले कुछ प्रभावशाली लोग भी इसकी आलोचना कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर कोई इसे 'इतिहास से डर' क़रार दे रहा है तो कहीं यह भी सवाल उठाया जा रहा है कि क्या अपने ही इतिहास और विजय के प्रतीक नष्ट किए जा रहे हैं? आख़िर लोग इस पर इस तरह के सवाल क्यों उठा रहे हैं? जानिए, अमर जवान ज्योति क्या है और इसका इतना महत्व क्यों है।
क्या है अमर जवान ज्योति
अमर जवान ज्योति में एक संगमरमर का चबूतरा है। इस पर एक स्मारक बना है। इसके चारों तरफ 'अमर जवान' लिखा है। इसके शीर्ष पर एक L1A1 सेल्फ-लोडिंग राइफल है और उसपर एक अज्ञात शहीद सैनिक का हेलमेट है। चबूतरे के चारों कोनों पर चार कलश हैं। इनमें से एक की लौ हमेशा जलती रहती है। इसकी बाकी तीनों लौ को स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर जलाया जाता है। एक लौ पिछले 50 सालों से जलती रही। लौ को जलाने के लिए 1972 से 2006 तक एलपीजी का इस्तेमाल होता था और इसके बाद सीएनजी का उपयोग होने लगा।
इसे क्यों बनाया गया?
इसे पाकिस्तान से युद्ध जीतने के बाद बनाया गया था। 3 दिसंबर 1971 को भारत-पाकिस्तान के बीच लड़ाई शुरू हुई थी। 16 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों को नियंत्रण में ले लिया और बांग्लादेश के लोगों को आज़ादी दिलाई। भारत यह युद्ध जीत गया, लेकिन इस युद्ध में भारत के 3,843 जवान भी शहीद हुए। उन शहीदों की याद में उस वक्त की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अमर ज्योति जलाने का फ़ैसला किया था। 26 जनवरी 1972 को इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति का उद्घाटन किया गया था।
इंडिया गेट पर क्यों?
इंडिया गेट पहले अखिल भारतीय युद्ध स्मारक के नाम से जाना जाता था। इसे 1931 में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था। इसे ब्रिटिश भारतीय सेना के लगभग 90,000 भारतीय सैनिकों के स्मारक के रूप में बनाया गया था, जो तब तक कई युद्धों और अभियानों में मारे गए थे।
स्मारक पर 13,000 से अधिक शहीद सैनिकों के नामों का उल्लेख किया गया है। चूँकि यह युद्धों में मारे गए भारतीय सैनिकों के लिए एक स्मारक था, इसलिए इसके तहत अमर जवान ज्योति की स्थापना 1972 में सरकार द्वारा की गई थी।
कुछ मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से ख़बर है कि सरकार मानती है कि एक तो इंडिया गेट 'औपनिवेशिक इतिहास का प्रतीक' है और वहाँ 1971 में शहीद हुए सैनिकों के नाम भी अंकित नहीं हैं। हालाँकि, ऐसा आधिकारिक बयान नहीं आया है।
नेशनल वॉर मेमोरियल को स्वतंत्र भारत में देश के लिए अपनी जान गंवाने वाले सैनिकों की याद में 2019 में बनाया गया। यह इंडिया गेट के क़रीब ही स्थापित किया गया है। 25 फ़रवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया था। नेशनल वॉर मेमोरियल उन सभी सैनिकों की याद में बनाया गया है जो विभिन्न युद्धों, ऑपरेशन और स्वतंत्र भारत के संघर्षों में शहीद हुए हैं।