संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को दो साल के लिए अस्थायी सदस्य चुन लिया गया। 193 सदस्यों वाली महासभा में भारत को 184 वोट मिले। यह आठवीं बार है जब भारत इस संगठन का सदस्य चुना गया है। भारत के साथ ही आयरलैंड, मेक्सिको और नॉर्वे भी अस्थायी सदस्य चुने गए हैं। एक अन्य अस्थायी सदस्य देश का चुनाव आज होना बाक़ी है।
सदस्यता के लिए भारत का नाम पिछले साल जून में सर्वसम्मति से 55 सदस्य देशों वाले एशिया-पैसिफ़िक ग्रुप द्वारा आगे बढ़ाया गया था जिनमें चीन और पाकिस्तान भी शामिल थे।
अस्थायी सदस्यों का चुनाव दो साल के लिए होता है। महासभा हर साल दो वर्ष के कार्यकाल के लिए कुल 10 में से पाँच अस्थाई सदस्यों का चुनाव करती है। ये 10 अस्थाई सीटें क्षेत्रीय आधार पर वितरित की जाती हैं। परिषद में चुने जाने के लिए उम्मीदवार देशों को सदस्य देशों के दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।
बता दें कि सुरक्षा परिषद में पाँच स्थायी सदस्य हैं। ये सदस्य देश हैं- अमेरिका, इंग्लैंड, फ़्रांस. रूस और चीन। इनका चुनाव नहीं होता है और ये स्थायी तौर पर सदस्य हैं। हालाँकि हाल के वर्षों में बदली हुई दुनिया के मद्देनज़र स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की सुगबुगाहट हो रही है, लेकिन इस पर अभी फ़ैसला लिया जाना बाक़ी है। भारत भी स्थायी सदस्य बनने के लिए लगातार प्रयासरत है।
इससे पहले, भारत को 1950-1951, 1967-1968, 1972-1973, 1977-1978, 1984-1985, 1991-1992 और हाल ही में 2011-2012 में परिषद के अस्थायी सदस्य के रूप में चुना गया था।
जीत के बाद संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने एक वीडियो रिकॉर्डेड संदेश में कहा, 'हमें जबरदस्त समर्थन मिला है और संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्रों ने भारत में जो जबरदस्त विश्वास जताया है, उससे हम काफी प्रभावित हुए हैं।'
उन्होंने कहा, 'भारत एक महत्वपूर्ण मोड़ पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य बन जाएगा और हम आश्वस्त करते हैं कि कोविड और कोविड के बाद की दुनिया में भारत सुधारवादी बहुपक्षीय प्रणाली के लिए नेतृत्व और एक नया ओरिएंटेशन प्रदान करना जारी रखेगा।'
अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हम भारत का गर्मजोशी से स्वागत करते हैं और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सफल चुनाव के लिए बधाई देते हैं। हम अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के मुद्दों पर साथ काम करने के लिए उत्साहित हैं, जो भारत और अमेरिका के बीच सहभागिता की वैश्विक रणनीति है।'
अब भारत को उम्मीद है कि वह अपने आठवें कार्यकाल का उपयोग सुरक्षा परिषद में एक स्थायी सीट के लिए अपने मामले को मज़बूत करने के लिए करेगा। कुछ ऐसा जिसे वह वर्षों से अन्य दावेदारों जैसे कि जापान, जर्मनी और ब्राज़ील - जी-4 - के साथ आगे बढ़ा रहा है। ये देश कह रहे हैं कि वर्तमान परिषद बदली हुई परिस्थितियों में आउटडेटेड यानी पुरानी हो चुकी है और यह परिवर्तित वैश्विक वास्तविकताओं के साथ मेल नहीं खाती है।