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मौजूदा संकट शुरू होने के पहले वाली एलएसी की स्थिति बहाल करेगा चीन?

मौजूदा संकट शुरू होने के पहले वाली एलएसी की स्थिति बहाल करेगा चीन?

चार दौर की बातचीत के बाद भारत-चीन तनाव में कमी आई है, गलवान घाटी से चीनी सैनिक लौट चुके हैं। पर डेपसांग और पैंगोंग त्सो में चीनी सैनिक डटे हुए हैं, खाली करने से इनकार कर रहे हैं।

भारत ने एक बार फिर चीन से कहा है कि वह मौजूदा संकट शुरू होने के पहले की स्थिति बहाल करे, यानी अपने सैनिकों को वहाँ तक वापस बुला ले, जहाँ उसके सैनिक 30 अप्रैल को मौजूदा संकट शुरू होने के पहले थे।

भारतीय और चीनी सेना के कमांडर स्तर की चौथे दौर की बातचीत में भारत ने यह बात कही। चीन ने इस पर किसी तरह का वायदा नहीं किया है, पर वह इस पर राज़ी है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बहाल की जाए और इसके लिए ज़रूरी कदम दोनों ही देश उठाएं।

लंबी, उलझन भरी बातचीत

एलएसी पर चुशुल की चीनी चौकी पर भारतीय सेना के 14वें कोर के कमांडर लेफ़्टीनेंट जनरल हरिंदर सिंह और चीनी सेना के दक्षिण शिनजियांग सैन्य ज़िले के कमांडर मेजर जनरल लिन लिउ के बीच मंगलवार को लगभग 15 घंटे तक बातचीत चली।

चीन ने इस इलाक़े को खाली करने से यह कह कर इनकार कर दिया है कि वह अपने ही इलाक़े में है, लिहाज़ा वहां से पीछे हटने का कोई सवाल ही नहीं है। भारत का कहना है कि वह भारतीय इलाक़ा है और वहाँ चीनी सेना की मौजूदगी पहले के क़रारों का उल्लंघन है।

यह उम्मीद पहले भी किसी को नहीं थी कि एक दिन की बातचीत से ही चीन इस इलाक़े को खाली करने पर राजी हो जाएगा। 

पर्यवेक्षकों का कहना है कि चीन ने रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण जगहों पर कब्जा कर लिया है। ऐसे में उससे यह इलाक़ा खाली कराना बेहद मुश्किल है। इसलिए यह बातचीत लंबी होगी, बेहद पेचीदी होगी और इसमें अभी समय लगेगा।

तीसरे दौर की बातचीत में सहमति

इसके पहले इन्हीं दोनों कमांडरों के बीच 30 जून को तीसरे दौर की बातचीत हुई थी। उस बातचीत का फ़ोकस गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा से चीनी सैनिकों की वापसी से जुड़ा हुआ था।

दोनों पक्ष इस पर राजी हो गए थे कि वे चरणबद्ध तरीके से लेकिन जल्द ही सैनिकों को वापस बुलाएं और उन इलाक़ों को खाली करें जहाँ वे फ़िलहाल हैं।

तीसरे दौर की बातचीत का नतीजा यह निकला था कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने गलवान घाटी से सैनिक वापस बुला लिए, इलाक़ा खाली कर दिया और ठोस संरचनाएं खुद ढहा दीं। भारतीय सेना ने भी ऐसा ही किया।

 - Satya Hindi

गलवान घाटी

रिपोर्ट यह भी आई थी कि इसके कुछ दिन बाद ही चीनी सेना ने हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा भी खाली कर दिया। मीडिया में सैटेलाइट तसवीरों के जरिए इसकी पुष्टि होने की ख़बरें भी आई थीं।

पर इस पर मतभेद भी हैं। जाने माने रक्षा विशेषज्ञ अजय शुक्ला ने इस पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स को चीन ने खाली नहीं किया है।

झड़प के बाद दूसरे दौर की बातचीत

इ्सके पहले दूसरे दौर की बातचीत इन्ही कमांडरों के बीच 22 जून को मोल्डो की चीनी चौकी पर हुई थी। यह बातचीत बेहद तनावपूर्ण वातावरण में हुई थी क्योंकि इसके पहले 15 जून को गलवान घाटी में श्योक और गलवान नदियों के संगम के पास दोनों सेनाओं में झड़प हुई थी। इसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। चीनी सैनिक भी मारे गए थे। 

पहली बातचीत

भारतीय सेना और पीपल्स लिबरेशन आर्मी के बीच पहली बातचीत 5 जून को मोल्डो में हुई थी। यह बातचीत ऐसे समय हुई थी जब चीन और भारत की सेनाएं गलवान, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स में एक दूसरे के सामने तनी हुई थीं।

दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर था, वास्तविक नियंत्रण रेखा के दोनों और सैनिकों का जब़रदस्त जमावड़ा हो चुका था। उस दुर्गम इलाक़े में चीन ने लगभग 25 हज़ार सैनिकों को भेज दिया था। भारतीय सेना ने भी लगभग इतने ही सैनिक तैनात किए थे।

भारतीय सेना ने दौलत बेग ओल्डी एअर बेस पर अपनी मौजूदगी बढ़ा दी, साजो सामान जमा कर लिया। एलएसी की रखवाली लड़ाकू विमान करने लगे, ड्रोन से निगरानी होने लगी। भारतीय वायु सेना ने श्रीनगर एअर बेस को लॉजिस्टक्स का केंद्र बना लिया।

वहाँ से सभी साजो सामान और सैनिकों के भेजने का काम होने लगा। चीनी सेना ने भी लगभग ऐसी ही तैयारी की थी। उसने अपने तोपखाने को भी एलएसी के नजदीक पहुँचा दिया, उसने नया हॉवित्ज़र तोप तक वहां पहुँचा दिया।

इस स्थिति में बातचीत बेहद मुश्किल थी। इस बातचीत में दोनों सेनाओं में इस पर सहमति बनी कि सीमा पर शांति बरक़रार रखी जाए, कोई पक्ष ऐसा कुछ न करे जिससे यथास्थिति बदले या किसी तरह का तनाव हो। 

चार दौर की बातचीत के बाद भारत-चीन तनाव में कमी आई है, कम से कम गलवान घाटी से चीनी सैनिक लौट चुके हैं। पर डेपसांग और पैंगोंग त्सो में चीनी सैनिक डटे हुए हैं, खाली करने से इनकार कर रहे हैं। भारत की कामयाबी वह इलाक़ा खाली करवाने में है। 

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