पहले से तनावपूर्ण चल रहे भारत-पाकिस्तान रिश्ते को सुधाने के बजाय इसलामाबाद उसे और उलझाना चाहता है। यह पाकिस्तान के ताज़ा फ़ैसले से साफ़ होता है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने पाक अधिकृत कश्मीर की विधानसभा को संबोधित किया और वहाँ आज़ादी का जश्न मनाया। उस हिस्से को भारत अपना ही हिस्सा मानता है और ऐसे में वहाँ इस तरह के कार्यक्रम से भारत का नाराज़ होना स्वाभाविक है।
इमरान ख़ान पाक अधिकृत कश्मीर के मुज़फ़्फ़राबाद में असेंबली को संबोधित किया और वहाँ उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया। दो दिन पहले ही पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने मुज़फ़्फ़राबाद का दौरा किया था और इस कार्यक्रम की तैयारियों का जायज़ा लिया था।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि उन्होंने कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना दिया है। पहले लोग इसकी चर्चा नहीं करते थे, पर अब हर कोई इस पर बात कर रहा है। कश्मीर पर पहले से चली आ रही पाकिस्तानी नीति को ही आगे बढ़ाते हुए इमरान ने कहा कि वह कश्मीर के लोगों के साथ हमेशा रहेंगे। इसके बाद उन्होंने ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के स्थानीय नेताओं से भी मुलाक़ात की।
बता दें कि भारत के साथ ही आज़ाद होने वाला पाकिस्तान स्वतंत्रता दिवस एक दिन पहले यानी 14 अगस्त को ही मनाता है।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि इमरान ख़ान ने अपने देश का स्वतंत्रता दिवस इस बार पाक अधिकृत कश्मीर में मनाने का फ़ैसला जानबूझ कर किया है। अमूमन, पाकिस्तान आज़ादी का जश्न अपनी राजधानी इसलामाबाद में मनाता है। पर इस वह उसने यह काम राजधानी से दूर पाक अधिकृत कश्मीर में करने का निर्णय किया है। समझा जाता है कि इमरान सरकार ने वहाँ की राजनीति की वजह से ऐसा किया है। सरकार पर तरह तरह के दबाव हैं और उसे विपक्ष के सामने यह साबित करना है कि वह भारत के साथ सख़्ती से पेश आ रहा है।
संविधान के अनुच्छेद 370 में बदलाव कर कश्मीर को मिले विशेष दर्ज़े को ख़त्म करने के भारत के फ़ैसले पर पाकिस्तान ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी। उसके बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में तल्ख़ी बढ़ती ही चली गई। पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसे उठाने की कोशिश की, हालाँकि उसे वहाँ कोई ख़ास कामयाबी नहीं मिली। समझा जाता है कि पाकिस्तान सरकार मुज़्फ़्फ़राबाद में स्वतंत्रता दिवस मना कर विश्व समुदाय के सामने उसे हिस्से पर अपना हक़ जताने की कोशिश कर रहा है।