हैदरपोरा एनकाउंटर पर सवाल: उमर, महबूबा ने कहा- निष्पक्ष जांच हो
जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर के हैदरपोरा में हुए एनकाउंटर को लेकर राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों ने सवाल उठाए हैं। उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती ने मांग की है कि इस एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच कराई जाए। हैदरपोरा एनकाउंटर सोमवार शाम को हुआ था और इसमें चार लोगों की मौत हो गई थी। पुलिस का कहना है कि मारे गए लोगों में से दो लोग आतंकी तंजीमों के लिए काम कर रहे थे।
महबूबा मुफ़्ती ने ट्वीट कर कहा है कि निर्दोष लोगों को ढाल बनाकर इस्तेमाल करना, उन्हें क्रॉस फ़ायरिंग में मार देना और फिर उन्हें अंडरग्राउंड वर्कर बता देना, यह भारत सरकार के कामकाज के तरीक़े का हिस्सा बन चुका है।
उन्होंने मांग की है कि इस मामले में न्यायिक जांच हो और सच को सामने लाया जाए। उमर अब्दुल्ला ने भी निष्पक्ष और भरोसेमंद जांच की मांग की है। उन्होंने कहा है कि इससे पहले भी कई फ़ेक एनकाउंटर हुए हैं और हैदरपोरा एनकाउंटर को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब दिया जाना चाहिए।
एनकाउंटर में मोहम्मद आमिर नाम के शख़्स की भी मौत हुई थी। मोहम्मद आमिर के पिता मोहम्मद लतीफ़ मगरे ने एलजी मनोज सिन्हा से मांग की है कि उनके परिवार को इंसाफ़ दिया जाए। मगरे रामबन जिले की गूल तहसील के बाशिंदे हैं।
मगरे ने कहा कि पुलिस ने उन्हें उनके बेटे का शव तक नहीं दिया। उन्होंने कहा कि वह ख़ुद देशभक्त हैं और 2005 में एक आतंकी को मौत के घाट उतार चुके हैं। उन्होंने कहा कि उनका बेटा आतंकी नहीं हो सकता।
मारे गए दो अन्य लोगों- अल्ताफ़ भट और मुदास्सिर गुल के परिवार के लोगों ने भी पुलिस के आरोपों को ग़लत बताया है और इस एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के आईजी विजय कुमार ने कहा है कि क्रॉस फ़ायरिंग के दौरान जिस मुदास्सिर गुल नाम के शख़्स की मौत हुई है, वह किराये पर रह रहा था और उसने आतंकी हैदर और उसके सहयोगी को अपने वहां शरण दी थी।
आईजी का कहना है कि मुदास्सिर गुल आतंकियों का सहयोगी था और इस इलाक़े में एक अवैध कॉल सेंटर चला रहा था। जबकि मारे गए एक और शख़्स अल्ताफ़ ने उसे अपना घर किराये पर दिया था। मोहम्मद आमिर अल्ताफ़ के दफ़्तर में ही काम करता था।