नेहरु दो दिन रुक जाते तो पूरा पीओके तिरंगे के तले आ जाताः अमित शाह
जम्मू-कश्मीर आरक्षण-पुनगर्ठन संशोधन विधेयक सोमवार को राज्यसभा से भी पास हो गया है। राज्यसभा में इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक पर भी चर्चा की गई। इस पर जवाब देते हुए राज्यसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कश्मीर और धारा 370 के मुद्दें पर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु पर जोरदार हमला किया। उन्होंने कश्मीर समस्या के लिए नेहरु को जिम्मेदार ठहराया है।
अमित शाह ने कहा, सभी जानते हैं कि कश्मीर के विलय में इसलिए देरी हुई थी, क्योंकि शेख अब्दुल्ला को विशेष स्थान देने का आग्रह था। इस कारण विलय में देरी हुई और पाकिस्तान को आक्रमण करने का मौका मिला।
अगर असमय सीजफायर नहीं होता, तो आज पाक ऑक्यूपाइड कश्मीर नहीं होता। हमारी सेना जीत रही थी वो भाग रहे थे। नेहरू दो दिन रुक जाते तो पूरा पाक ऑक्यूपाइड कश्मीर तिरंगे के तले आ जाता।
जो युवा पत्थर लेकर घूमते थे, मोदी सरकार ने उन युवाओं के हाथ में लैपटॉप पकड़ाने का काम किया है।370 की आड़ में आतंकवाद और अलगाववाद की बात करने वाले लोगों को आज कश्मीर की जनता अनसुना करती है और विकास की बात करती है।
उन्होंने कहा कि पहले जम्मू में 37 सीट थी, अब नए डिलिमिटेशन कमीशन ने 43 सीट कर दी है। कश्मीर में 46 सीट थी अब 47 कर दी है। जम्मू-कश्मीर में पहले 83 सीट थी, जो अब बढ़ाकर 90 सीट कर दी है, जिसे भारत सरकार ने मान लिया है। पीओके की 24 सीटों को आरक्षित रखा गया है क्योंकि पीओके हमारा है और इसे हमसे कोई नहीं छीन सकता।
42,000 लोगों ने अपनी जान गंवाई, और यह उनकी धार्मिक पहचान के बारे में नहीं था, चाहे वे हिंदू हों या मुस्लिम। गुजरात, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में कश्मीर की तुलना में मुस्लिम आबादी अधिक है। यह कोई सीमा मुद्दा भी नहीं था। गुजरात की सीमा पाकिस्तान से लगती है।
तो, जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद क्यों पनपा? ऐसा इसलिए था क्योंकि अनुच्छेद 370 ने इसे सक्षम और प्रोत्साहित करने में भूमिका निभाई थी। आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस पार्टी ने प्रेस से कहा कि धारा 370 को गलत तरीके से हटाया गया है।
बहस के दौरान अमित शाह ने धारा 370 हटाने का विरोध कर रहे विपक्ष को चेतावनी दी कि लौट आइए, नहीं तो जितने हो, उतने भी नहीं बचोगे।
देश की संसद के दोनों सदनों ने राष्ट्रपति के सीईओ को अनुमोदन दिया, कानून पारित हो गया, कानून नोटिफाइड हो गया, किसी ने सुप्रीम कोर्ट में कानून को चैलेंज किया, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर बहस हुई, पांच जजों की बेंच बनी और आज इस पर फैसला भी आ गया।
मगर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ये (कांग्रेसी) कहते हैं कि हम इसको नहीं मानते हैं और हम मानते हैं कि धारा 370 को गलत तरीके से हटाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने पुष्टि की है कि अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान में एक अस्थायी प्रावधान था।
राज्यसभा में अमित शाह ने कहा कि मैं उन लोगों से एक प्रश्न पूछना चाहता हूं जो नेहरू के दर्शन का पालन करते हैं, यदि अनुच्छेद 370 अत्यंत महत्वपूर्ण था, तो नेहरू ने स्वयं इस अनुच्छेद के संबंध में 'अस्थायी' शब्द का प्रयोग क्यों किया? जो कोई भी यह कहता है कि धारा 370 स्थायी है, वह संविधान का अपमान कर रहा है!
राष्ट्रपति जी द्वारा शक्ति का प्रयोग दुर्भावनापूर्ण नहीं है, इसे सुप्रीम कोर्ट ने होल्ड कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी होल्ड कर दिया है कि धारा-370 समाप्त हो चुकी है, इसलिए जम्मू कश्मीर के संविधान का कोई अस्तित्व नहीं रह गया है।
राज्य का दर्जा उचित समय पर बहाल किया जाएगा
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्यसभा में बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि मैं पहले ही संसद में वादा कर चुका हूं कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा उचित समय पर बहाल किया जाएगा।जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 ने अलगाववाद को जन्म दिया जिसके कारण आतंकवाद को बढ़ावा मिला था। अमित शाह ने कहा कि क्या आपने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में कोई बड़ी भीड़ देखी है।
आतंकवाद को लेकर कोई सहनशीलता बर्दाश्त नहीं की जा रही है।अलगाववाद की बात करने वालों को कश्मीरी लोग नकारते हैं। उन्होंने कहा कि हमने आतंकी फंडिंग के इकोसिस्टम को खत्म करने की कोशिश की है।
अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला विपक्षी दलों की बड़ी हार है। अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला संवैधानिक है। पीओके भारत का हिस्सा है।
कोई भी भारत की एक इंच भी जमीन छीन नहीं सकता। सवाल उठाने वालों को जवाब मिल गया है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के अधिकारों को 3 परिवारों ने रोक रखा था और ये लोग धारा 370 को एंजॉय कर रहे थे।