बीजेपी से दुखी है तो अलग क्यों नहीं हो जाती शिवसेना?: संघ मुखपत्र
बीजेपी पर शिवसेना के लगातार हमलों से आजिज़ आकर आरएसएस ने आखिर शिवसेना को ललकार दिया कि वह गठबंधन से अलग क्यों नहीं हो जाती है। संघ के मुखपत्र तरुण भारत ने शिवसेना के खिलाफ कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर उसे बीजेपी से बहुत परेशानी है, अगर प्रधानमंत्री से वह बहुत दुखी है, अगर सरकार की नीतियों और काम से सहमत या संतुष्ट नहीं है तो अलग हो जाए।लगता है कि संघ शिवसेना की रोज़-रोज़ की किच-किच से बहुत परेशान है। शिवसेना के मुखपत्र सामना में अक्सर पीएम मोदी की आलोचना होती रहती है। बहुत से मुद्दों पर शिवसेना महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार के कामकाज की भी तीखी आलोचना करती रही है। जबकि फडणवीस सरकार में शिवसेना के कई मंत्री हैं।
तरुण भारत ने अपने लेख में कहा है कि उद्धव ठाकरे भाषा की मर्यादा को पूरी तरह से भुला चुके हैं। उन्हें ये मालूम नहीं है कि कहां पर क्या बोलना चाहिए। शिवसेना पर तंज कसते हुए संघ के मुखपत्र ने कहा कि देश की जनता को सब पता है कि कौन कितना सही है, ठाकरे ने जिस तरीके से प्रधानमंत्री मोदी को लेकर अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है वो अपने आप में बहुत लज्जाजनक है। पीएम मोदी के इस अपमान का जवाब देश की जनता आगामी चुनाव में देगी। ग़ौरतलब है कि ठाकरे ने एक रैली के दौरान कहा था कि मोदी सरकार कुम्भकर्ण की नींद सो रही है। उसे कोई फर्क नहीं पड़ता देश में चाहे कुछ भी होता रहे।
ठाकरे ने सरकार को बताया था भ्रष्टाचारी
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे अयोध्या दौरे के बाद पंढरपुर में एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी सरकार पर जम कर बरसे थे। उन्होंने बीजेपी की आलोचना करते हुए मोदी सरकार को भ्रष्टाचारी बताया था। पहले भी कई मौकों पर ठाकरे कई मुद्दों पर पीएम मोदी की बहुत आलोचना करते रहे हैं। वह कई बार एनडीए से अलग होने की धमकी भी दे चुके हैं।
अब तरुण भारत ने कहा है कि शिवसेना सत्ता के लालची और मौकापरस्त हैं तभी तो वो सत्ता से इस तरह चिपकी हुई है। वरना वह केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से अपने मंत्री हटा क्यों नहीं लेती है। लेख में संघ ने शिवसेना को खरीखोटी सुनाते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे इस तरीके की ओछी राजनीति कर ज़रुरी मुद्दों से देश के लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।
ठाकरे को क्यों होने लगी राम की फिक्र
राम मंदिर निमार्ण को लेकर ठाकरे के आयोध्या दौरे की भी तरुण भारत ने जमकर आलोचना की है। उसने कहा है, कि अचानक शिवसेना को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की इतनी चिंता क्यों सता रही है पहले शिवसेना की राम भक्ति कहां चली गई थी लेख के मुताबिक उद्धव ठाकरे को अब सत्ता खोने का डर सता रहा है और अगामी चुनाव में कहीं महाराष्ट्र बीजेपी शिवसेना से बड़ी पार्टी न बन जाए इसलिए ठाकरे राम का नाम जपते हुए दिखाई दे रहे हैं।