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मोदी खुद को गरीब बताते हैं, हम तो अछूत हैं: खड़गे

मोदी खुद को गरीब बताते हैं, हम तो अछूत हैं: खड़गे

पिछले महीने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए मल्लिकार्जुन खड़गे की गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बड़ी परीक्षा होनी है। उन्होंने अछूत वाला बयान क्यों दिया?

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान एक रैली को संबोधित करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा खुद को गरीब बताते रहते हैं। खड़गे ने कहा कि वह भी गरीब हैं और अछूतों में आते हैं। खड़गे ने कहा कि कम से कम आपकी चाय तो कोई पीता है मेरी चाय भी कोई नहीं पीता। 

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि उनको लोगों ने गाली दी, मुझसे ऐसा-वैसा कहा, हैसियत की बात की, इस तरह की बातें करके आप सिंपैथी लेने की कोशिश करते हैं लेकिन लोग अब होशियार हो गए हैं।” 

खड़गे ने कहा, “आप एक बार झूठ बोलेंगे तो लोग सुन लेंगे, आप दूसरी बार भी झूठ बोलेंगे तो भी लोग सुन लेंगे लेकिन कितनी बार झूठ बोलेंगे, झूठ पर झूठ।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झूठों के सरदार हैं। 

पिछले महीने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए मल्लिकार्जुन खड़गे की गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बड़ी परीक्षा होनी है। गुजरात में 1 और 5 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे और मतों की गिनती हिमाचल प्रदेश के साथ ही 8 दिसंबर को होगी। पहले दौर का मतदान होने में अब कुछ ही दिन का वक्त शेष है इसलिए कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है।

औकात वाला बयान 

याद दिला दें कि कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चुनावी जनसभा में कांग्रेस नेता मधुसूदन मिस्त्री के औकात वाले बयान को मुद्दा बना लिया था। कांग्रेस के घोषणापत्र में कहा गया था कि अगर वह गुजरात की सत्ता में आई तो गांधीनगर में नरेंद्र मोदी स्टेडियम का नाम बदलकर सरदार वल्लभभाई पटेल स्टेडियम कर देगी। मिस्त्री ने कहा था, 'हां, हम नाम बदल देंगे। हम मोदी को उसकी औकात दिखा देंगे।”

इसके जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरेंद्र नगर में आयोजित जनसभा में कहा कि वह तो एक सेवादार हैं और सेवादार की कोई औकात नहीं होती। 

 - Satya Hindi

मोरबी को बनाया मुद्दा

कांग्रेस के नेता मोरबी पुल हादसे के साथ ही कोरोना से निपटने में राज्य सरकार की कथित नाकामियों को भी चुनाव में मुद्दा बना रहे हैं। कोरोना के दौरान गुजरात में बड़ी संख्या में लोगों की जान गई थी। कांग्रेस बेरोजगारी और महंगाई को भी मुद्दा रही है लेकिन उसका पूरा जोर मोरबी में हुए हादसे को लेकर राज्य सरकार को घेरने पर है। 

2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 99 सीटें जीती थीं और कांग्रेस को 77 सीटें मिली थीं। बीजेपी को तब 49% वोट मिले थे जबकि कांग्रेस ने 44% वोट हासिल किए थे। आम आदमी पार्टी ने तब सिर्फ 30 सीटों पर ही उम्मीदवार उतारे थे और अधिकतर सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई थी।

ध्रुवीकरण की कोशिश में बीजेपी!

बीजेपी गुजरात के विधानसभा चुनाव में ध्रुवीकरण की कोशिश कर रही है। कुछ दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात के खेड़ा जिले में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए ‘2002 में सबक सिखाने’ वाला बयान दिया था जिसे लेकर सोशल मीडिया पर अच्छी-खासी प्रतिक्रिया हुई है। 

बीजेपी की ओर से जारी किए गए घोषणापत्र में एंटी रेडिकलाइजेशन सेल बनाने का वादा किया है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस मौके पर कहा कि एंटी रेडिकलाइजेशन सेल कट्टरपंथी और आतंकवादी संगठनों की स्लीपर सेल और भारत विरोधी ताकतों की पहचान करेगा और उन्हें खत्म करने का काम करेगा। 

इसके बाद सवाल पूछा गया था कि लगातार 27 साल से गुजरात की सत्ता में बैठी बीजेपी को आखिर 2002 के गुजरात दंगों या एंटी रेडिकलाइजेशन सेल बनाने का वादा क्यों करना पड़ रहा है। इससे पहले असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने गुजरात में चुनाव प्रचार करते वक्त श्रद्धा हत्याकांड के आरोपी आफताब पूनावाला को मुद्दा बनाने की कोशिश की थी। 

2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पूरा जोर लगाने के बाद भी बीजेपी को 99 सीटों पर ही जीत हासिल हुई थी। 182 सीटों वाली गुजरात की विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 92 विधायक चाहिए। इस तरह बीजेपी पिछले विधानसभा चुनाव में बहुमत से सिर्फ 7 सीटें ज्यादा जीत पाई थी। हालांकि पिछले कुछ सालों में उसने कांग्रेस के कई विधायकों को तोड़ लिया है।

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