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जमानत पर रिहा गौरी लंकेश हत्या के आरोपियों का माला पहनाकर स्वागत

जमानत पर रिहा गौरी लंकेश हत्या के आरोपियों का माला पहनाकर स्वागत

तार्किक विचारों और कट्टर हिंदुत्व विचारधाराओं की कड़ी आलोचना के लिए जानी जाने वाली वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की 5 सितंबर, 2017 को बेंगलुरु में उनके घर के बाहर मोटरसाइकिल सवार तीन लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।

पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के दो मुख्य आरोपियों परशुराम वाघमोरे और मनोहर यादवे को जमानत पर रिहा होने के बाद जबर्दस्त स्वागत किया गया। हाशिए के हिंदुत्व समूहों ने दोनों आरोपियों को माला पहनाकर सम्मानित किया।

छह साल जेल में बिताने वाले परशुराम वाघमोरे और मनोहर यादव को 9 अक्टूबर को बेंगलुरु सत्र न्यायालय द्वारा जमानत दी गई और 11 अक्टूबर को औपचारिक रूप से परप्पना अग्रहारा जेल से रिहा कर दिया गया। इसके बाद बेंगलुरु में एक विवादास्पद स्वागत समारोह आयोजित किया गया। शनिवार शाम को उनके आगमन पर हिंदुत्व के कट्टरपंथी संगठनों के सदस्यों ने यह समारोह किया। कट्टरपंथी समूहों के सदस्यों ने 'भारत माता की जय' के नारे लगाए और सनातन धर्म के प्रति समर्थन व्यक्त किया।

विजयपुरा में अपने गृहनगर लौटने पर, स्थानीय हिंदू समर्थकों ने माला, नारंगी शॉल और जश्न के नारे लगाकर उनका स्वागत किया। दोनों को छत्रपति शिवाजी की मूर्ति के पास ले जाया गया, जिस पर उन्होंने प्रतीकात्मक रूप से माला चढ़ाई। इसके बाद, वे कालिका मंदिर में पूजा करने गए।

आरोपियों का विजयपुरा में स्वागत किया गया और उनके समर्थकों ने दावा किया कि उन्हें ग़लत तरीक़े से जेल में डाला गया था। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, वाघमोरे और यादवे के अलावा अमोल काले, राजेश डी बंगेरा, वासुदेव सूर्यवंशी, रुशिकेश देवडेकर, गणेश मिस्किन और अमित रामचंद्र बड्डी को 9 अक्टूबर को जमानत दे दी गई। 

तार्किक विचारों और कट्टर हिंदुत्व विचारधाराओं की कड़ी आलोचना के लिए जानी जाने वाली वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की 5 सितंबर, 2017 को बेंगलुरु में उनके घर के बाहर मोटरसाइकिल सवार तीन लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। उनकी हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया और व्यापक निंदा की गई।

उनकी हत्या के क़रीब 14 महीने बाद स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम यानी एसआईटी ने 2018 में 9000 से ज़्यादा पन्नों की सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की थी। इसमें 18 लोगों को आरोपी बनाया गया।

उस चार्जशीट में कहा गया था कि आरोपी सनातन संस्था के सदस्य थे और उन्होंने बिना किसी रंजिश से लंकेश को मारा। उसमें यह भी आरोप लगाया गया था कि संस्था के लोग पांच साल से लंकेश की हत्या की साजिश रच रहे थे।

दिसंबर 2023 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गौरी लंकेश हत्या मामले में आरोपियों के मुकदमे में तेजी लाने के लिए एक विशेष अदालत के गठन का निर्देश दिया था।

पिछले हफ़्ते बेंगलुरु की एक सत्र अदालत ने लंकेश की हत्या में शामिल आठ आरोपियों को ज़मानत दे दी थी। अदालत ने आरोपी अमोल काले, राजेश डी बंगेरा, वासुदेव सूर्यवंशी, रुशिकेश देवडेकर, परशुराम वाघमोर, गणेश मिस्किन, अमित बड्डी और मनोहर यादवे को ज़मानत दी थी। इससे पहले 4 सितंबर को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भी मामले में चार आरोपियों को ज़मानत दी थी। ज़मानत पाने वालों में भरत कुराने, श्रीकांत पंगारकर, सुजीत कुमार और सुधन्वा गोंधलेकर शामिल थे।

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार एक प्रमुख हिंदू समर्थक नेता ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, 'आज विजयादशमी है, हमारे लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। हमने परशुराम वाघमोरे और मनोहर यादवे का स्वागत किया, जिन्हें गौरी लंकेश की हत्या से संबंधित आरोपों में छह साल के लिए गलत तरीके से जेल में डाल दिया गया है। असली अपराधियों का अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन इन लोगों को सिर्फ इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वे हिंदू समर्थक कार्यकर्ता हैं। उनके परिवारों को नुकसान उठाना पड़ा है और इस अन्याय पर गंभीर आत्मनिरीक्षण की जरूरत है।'

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इस कार्यक्रम के दौरान हिंदुत्व के एक अन्य नेता उमेश वंदल द्वारा आरोपियों को शॉल और माला पहनाकर सम्मानित करने का एक वीडियो वायरल हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार एक अन्य हिंदुत्ववादी समूह श्रीराम सेने के नेता नीलकंठ कंदगल ने दावा किया कि लंकेश की हत्या के लिए निर्दोष व्यक्तियों को सात साल की जेल की सजा सुनाई गई है। उन्होंने दावा किया कि आरोपियों का अपराध में कोई हाथ नहीं था और आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने केवल हिंदू कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया है।

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