हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में हुए भूस्खलन में कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई है और तकरीबन 30 लोग लापता हैं। एक सरकारी बस समेत कई गाड़ियाँ इसकी चपेट में आ गईं। यह बस शिमला जा रही थी और इसमें 40 लोग सवार थे।
इस हादसे का जो वीडियो सामने आया है, उसमें दिख रहा है कि पहाड़ का बड़ा हिस्सा अचानक भरभराकर नीचे गिर गया और सड़क पर जा रही बस और दो कारें इसकी चपेट में आ गयीं।
आईटीबीपी, एनडीआरएफ और सीआईएसएफ़ की टीम मौक़े पर पहुंचकर बचाव कार्य में जुटी है।
आईटीबीपी ने कहा है कि मलबे में 40 से 60 लोगों के दबे होने की आशंका है। जयराम ठाकुर ने 'आज तक' से बातचीत में कहा कि मलबे में घायल लोगों को निकालकर अस्पताल ले जाया गया है। उन्होंने कहा कि पहाड़ से पत्थर गिरने के कारण बचाव कार्य शुरू होने में थोड़ा वक़्त लगा लेकिन इस बात की उम्मीद है कि बुधवार रात तक बचाव कार्य का काम पूरा हो जाएगा।
इस साल का मानसून पहाड़ी इलाक़ों के लिए बेहद ख़राब रहा है। पहाड़ों के टूटने की कई ख़बरें उत्तराखंड, हिमाचल से आई हैं और विशेषज्ञों के मुताबिक़, यह लगातार पहाड़ों और पर्यावरण से की जा रही छेड़छाड़ का नतीजा है।
मोदी ने की मुख्यमंत्री से बात
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि उन्होंने पुलिस और स्थानीय प्रशासन से बचाव कार्य तेज़ करने को कहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जयराम ठाकुर से बात की है और उन्हें हरसंभव मदद का भरोसा दिया है।
गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट करके जानकारी दी है कि आईटीबीपी पूरी तत्परता से बचाव कार्य में लगी हुई है।
कुदरत का कहर
पिछले महीने ही महाराष्ट्र में हुई भारी बारिश के बाद आई बाढ़ ने भीषण तबाही मचाई थी। बाढ़ और भूस्खलन के कारण महाराष्ट्र के अलग-अलग ज़िलों में 150 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल और लापता हो गए थे। हालात इस क़दर ख़राब थे कि एनडीआरएफ़, कोस्टगार्ड, नौसेना और वायुसेना के जवानों को राहत कार्यों में लगाना पड़ा था।
इस साल जून में असम में भूस्खलन हुआ था और 20 से ज़्यादा लोग मारे गए थे। इस इलाक़े में लगातार बारिश के बाद भूस्खलन हुआ था।