कर्नाटक में हिजाब प्रतिबंध को चुनौती देने वालों ने अब हाई कोर्ट से अनुरोध किया है कि इस मामले की सुनवाई 28 फरवरी तक रोकी जाए। क्योंकि इस मुद्दे की आड़ में चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। लोग माहौल बिगाड़ रहे हैं। कर्नाटक हाई कोर्ट इस मामले की सुनवाई आज भी कर रहा है। इस संबंध में याचिकाकर्ता छात्रा आयशा अल्मास के एडवोकेट और उडुपी सरकारी कॉलेज के चार अन्य छात्राओं के एडवोकेट मोहम्मद ताहिर ने यूपी सहित पांच राज्यों में चुनावों का हवाला दिया और कहा कि राजनीतिक पार्टियां इसका इस्तेमाल अपने हितों के लिए कर रही हैं। राजनीतिक पार्टियां दोनों समुदायों का ध्रुवीकरण कराने के लिए इस मुद्दे को बार-बार उठा रही हैं।
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में दी गई अर्जी में कहा कि इस मामले की सुनवाई के दौरान अगर किसी शख्स ने किसी तरह की शरारत की तो उससे साम्प्रदायिक विभाजन और बढ़ेगा।कर्नाटक हाईकोर्ट हिजाब बैन को चुनौती देने वाली छात्राओं की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इसमें कर्नाटक सरकार के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें शिक्षण संस्थाओं में हिजाब पर पाबंदी लगा दी गई है। राज्य में इस मुद्दे को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। दक्षिणपंथी संगठन इस मुद्दे को लगातार हवा दे रहे हैं।
राज्य के कई शहरों से इस आशय की खबरें आ रही हैं कि वे हिजाब वाली महिलाओं को सीधे टारगेट कर रहे हैं। कोई फोटो खींच रहा है तो कोई उन्हें धमका रहा है। ऐसी घटनाएं स्कूल-कॉलेजों में भी देखी गईं। कल जब स्कूल फिर से खुले तो कई स्कूलों में शिक्षकों ने मुस्लिम छात्राओं से कैंपस में आने से पहले स्कार्फ हटाने को कहा।
बहरहाल, चुनाव की वजह से राजनीतिक दल इस मुद्दे को भुना रहे हैं। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्कूलों में ड्रेस कोड पर जोर दिया और कहा कि देश संविधान से चलेगा न कि शरीयत से। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने हिजाब का समर्थन करते हुए कहा कि चाहे "बिकनी, घूंघट, जींस या हिजाब" पहनना हो, यह तय करने का अधिकार सिर्फ महिला को है। यह अधिकार देश के संविधान ने दिया है।एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हिजाब पहनने वाली लड़की एक दिन देश की प्रधानमंत्री बनेगी। ओवैसी हिजाब को लगातार मुद्दा बना रहे हैं।