सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हिजाब मामले में कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी कर दिया। हालांकि अदालत ने याचिकाकर्ताओं को इस बात के लिए फटकार भी लगाई कि वो पहले इसे जल्दी सुनने की मांग कर रहे थे और जब सोमवार को मामला सुनवाई के लिए आया तो वे इसे स्थगित करने की मांग करने लगे।
हिजाब बैन हटाने से इनकार करने वाले कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। 5 सितंबर को सुनवाई की अगली तारीख तय की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा, "हम फोरम शॉपिंग की अनुमति नहीं देंगे।" सुनवाई के दौरान जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा स्थगन का एक पत्र प्रचारित किया गया है। इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस गुप्ता ने कहा, यह हमें मंजूर नहीं है। आप तत्काल लिस्टिंग चाहते थे और जब मामला सूचीबद्ध होता है, तो आप स्थगन चाहते हैं। हम फोरम शॉपिंग की अनुमति नहीं देंगे। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि वकील पूरे भारत से और कुछ कर्नाटक से भी आ रहे हैं। इस पर जज ने जवाब दिया कि कर्नाटक केवल 2.5 घंटे दूर है।
एसजी तुषार मेहता ने बताया कि इस मामले का कम से कम 6 बार जिक्र किया गया है।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा, ऐसा इसलिए था क्योंकि परीक्षाएं तब शुरू हो रही थीं। इस पर एसजी मेहता ने हैरानी से पूछा, तो, आपने बिना तैयारी किए उल्लेख किया? 16 अक्टूबर को रिटायर हो रहे जस्टिस गुप्ता ने दोहराया, हम इस प्रकार फोरम शॉपिंग की अनुमति नहीं देंगे। मामले में दो सप्ताह का समय मांगने वाले याचिकाकर्ताओं के अनुरोध के बावजूद, कोर्ट ने कर्नाटक को नोटिस जारी किया और मामले को 5 सितंबर को पोस्ट करने का निर्देश दिया।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने उडुपी में सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज में मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग द्वारा हिजाब पहनने की अनुमति मांगने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। शीर्ष अदालत में अपील दायर की गई थी जिसमें कर्नाटक सरकार के आदेश को बरकरार रखने के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें स्कूलों और कॉलेजों के वर्दी नियमों को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट में अपीलों में से एक में आरोप लगाया गया कि "सरकारी अधिकारियों के सौतेले व्यवहार ने छात्राओं को अपने धर्म की परंपरा का पालन करने से रोका और परिणामस्वरूप कानून और व्यवस्था की स्थिति पैदा हुई।
इससे पहले मार्च में, कर्नाटक हाईकोर्ट ने माना था कि यह वर्दी का हिस्सा हो सकता है। कोर्ट ने उस समय शिक्षा संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा था कि छात्राओं को एक उचित प्रतिबंध पर आपत्ति नहीं हो सकती थी।