बिहार की सरकारी नौकरियों में कायस्थों की संख्या सबसे ज्यादा
बिहार में जाति गणना के आंकड़े सामने आने के बाद जातियों के आर्थिक सर्वे को भी बिहार सरकार ने विधानसभा में पेश किया है। इससे पता चलता है कि किस जाति के कितने प्रतिशत लोगों की सरकारी नौकरियों की हिस्सेदारी है।
जातियों के आर्थिक सर्वे में सामने आया है कि बिहार में सरकारी नौकरियों में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी कायस्थों की है। इस जाति के सबसे ज्यादा 6.68 प्रतिशत लोग सरकारी नौकरी में हैं। बिहार में शेष सभी जातियों के लोग इनसे कम संख्या में सरकारी नौकरियों में हैं।
मंगलवार को विधानसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार बिहार में ब्राह्मण जाति के 3.60 प्रतिशत, राजपूत जाति के 3.81 प्रतिशत 3.81 प्रतिशत लोग सरकारी नौकरियों में हैं।
पिछड़ी जातियों की बात करें तो कुर्मी जाति के 3.11 प्रतिशत, अति पिछड़ा वर्ग की कुशवाहा जाति के 2.04 प्रतिशत लोग, पिछड़े वर्ग से आने वाली यादव जाति के मात्र 1.55 प्रतिशत लोग ही सरकारी नौकरियों में हैं। जबकि यादवों की आबादी राज्यों में सबसे अधिक है।
वहीं बनिया जाति के 1.96 प्रतिशत लोग, दुसाध जाति के 1.44 लोग सरकारी नौकरियों में हैं। रविदास या चर्मकार जाति के 1.20 प्रतिशत लोग सरकारी नौकरियों में हैं।
वहीं मुस्लिम सवर्णों की बात करें तो हिंदू सवर्णों की तुलना में उनकी हिस्सेदारी सरकारी नौकरियों में कम है। मुस्लिम सवर्णों में शेख जाति के लोगों की सरकारी नौकरियों में हिस्सेदारी 0.79 प्रतिशत, पठानों की हिस्सेदारी 1.07 प्रतिशत और सैयद जाति की हिस्सेदारी 2.43 प्रतिशत है।
एक चौथाई आबादी पांचवी तक ही पढ़ी है
आर्थिक और सामाजिक सर्वे के मुताबिक बिहार की करीब एक चौथाई आबादी ने मात्र पांचवी कक्षा तक ही पढ़ाई की है। राज्य के 14.71 प्रतिशत लोग ने मैट्रिक या दसवीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त की है। राज्य के 0.06 प्रतिशत लोग चिकित्सा स्नातक हैं, 0.30 प्रतिशत लोग इंजीनियरिंग स्नातक हैं वहीं 6.11 प्रतिशत लोग अन्य स्नातक हैं। राज्य के मात्र 0.82 प्रतिशत लोग ही स्नातकोत्तर तक शिक्षित हैं।जाति के आधार पर शिक्षा की स्थिति देखे तो सामान्य वर्ग के 13.41 प्रतिशत लोग स्नातक, 2.50 प्रतिशत लोग स्नातकोत्तर तक शिक्षित हैं। पिछड़ा वर्ग से आने वाले लोगों की बात करें तो 6.77 प्रतिशत लोग स्नातक और 0.81 प्रतिशत लोग स्नातकोत्तर तक शिक्षा प्राप्त किये हुए हैं।
अति पिछड़ा वर्ग की बात करें तो 4.27 प्रतिशत लोग स्नातक और 0.43 प्रतिशत स्नातकोत्तर तक शिक्षा प्राप्त हैं। अनुसूचित जाति के 3.05 प्रतिशत लोग स्नातक और 0.28 प्रतिशत लोग स्नातकोत्तर तक शिक्षा प्राप्त हैं। अनुसूचित जनजाति के लोगों की बात करें तो 3.40 प्रतिशत लोग स्नातक और 0.27 प्रतिशत लोग स्नातकोत्तर तक की शिक्षा प्राप्त हैं।
सामान्य वर्ग की कुल सात जातियों जिसमें चार हिंदू और तीन मुस्लिम जातियां हैं की बात करें तो इनमें सबसे अधिक शिक्षित कायस्थ समाज के लोग हैं। इन जातियों में स्नातक तक शिक्षा प्राप्त लोगों की बात करें तो कायस्थ समाज के 29.48 प्रतिशत, भूमिहार के 17.70 प्रतिशत, ब्राह्मण जाति के 16.95 प्रतिशत, राजपूत जाति के 15.41 प्रतिशत लोग स्नातक हैं। वहीं मुस्लिम सामान्य वर्ग में पठान के 6.08 प्रतिशत, शेख जाति में 3.90 प्रतिशत लोग स्नातक तक शिक्षा प्राप्त हैं।
वहीं स्नातकोत्तर तक की शिक्षा की बात करें तो कायस्थों में 7.08 प्रतिशत, भूमिहार में 3.41 प्रतिशत, ब्राह्मणों के 3.30, राजपूत के 2.37 प्रतिशत, मुस्लिमों में सैयद के 3.75 प्रतिशत, पठान के 0.86 प्रतिशत और शेख के 0.71 प्रतिशत लोग ही स्नातकोत्तर तक शिक्षा हासिल कर चुके हैं।
बिहार की एक तिहाई आबादी गरीब है
बिहार सरकार ने मंगलवार को बिहार विधानसभा में जो सामाजिक और आर्थिक रिपोर्ट पेश की है उसके मुताबिक बिहार की लगभग एक तिहाई आबादी गरीब है। राज्य के 34.13 प्रतिशत परिवारों की मासिक आय मात्र 6 हजार रुपये ही है। ये ऐसे परिवार हैं जो गरीबी रेखा से नीचे आते हैं।बिहार में हुए जाति आधारित गणना के दौरान हुए इस आर्थिक सर्वे में 2.76 करोड़ परिवारों की गणना हुई है। इसमें से 94.42 लाख परिवार जो कि कुल आबादी का एक तिहाई के करीब हैं गरीबी में अपना जीवन काट रहे हैं।
इस रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 6 हजार रुपये महीना कमाने वाले परिवारों की संख्या 34.13 प्रतिशत है। वहीं 6 हजार से 10 हजार तक कमाने वाले परिवारों की संख्या 29.61 प्रतिशत है।
10 हजार से 20 हजार तक कमाने वाले परिवारों की संख्या 18.06 प्रतिशत है। 20 हजार से 50 हजार तक कमाने वाले परिवारों की संख्या 9.83 प्रतिशत है। 50 हजार से अधिक कमाने वाले परिवारों की संख्या 3.90 प्रतिशत है। वहीं इस सर्वे में 4.47 प्रतिशत परिवारों ने अपनी आय की जानकारी नहीं दी है।
बिहार में सामान्य वर्ग के 25.09 प्रतिशत परिवार गरीब हैं। पिछड़ा वर्ग के अंदर 33.16 प्रतिशत परिवार गरीब हैं। वहीं अत्यंत पिछड़ा में 33.58 परिवार गरीब हैं। बिहार में सबसे अधिक अनुसूचित जाति वर्ग के लोग हैं। इनमें से 42.93 परिवार गरीब हैं।
अनुसूचित जनजाति में भी गरीबी काफी अधिक है, इस वर्ग के 42.70 फीसदी परिवार गरीब हैं। इसके साथ ही अन्य जातियों में 23.72 फीसदी परिवार गरीब हैं।
सामान्य वर्ग में सबसे गरीब भूमिहार
बिहार में सामान्य वर्ग के कुल गरीबों की संख्या 25.09 प्रतिशत है जिसमें सबसे अधिक गरीब भूमिहार समाज में हैं। इस जाति में कुल गरीबों की संख्या 27.58 प्रतिशत है।जबकि ब्राह्मणों में 25.32 फीसदी परिवार गरीब हैं। इसके साथ ही राजपूतों में 24.89 फीसदी, परिवार गरीब हैं। सामान्य वर्ग में सबसे अमीर कायस्थ जाति के लोग हैं। कायस्थों में मात्र 13.83 फीसदी ही गरीब हैं। मुस्लिम समाज से आने वाले सामान्य वर्ग की बात करें तो इसमें सबसे ज्यादा 25.84 फीसदी शेख गरीब हैं। पठानों (खान ) में 22.20 फीसदी परिवार गरीब है। जबकि 17.61 प्रतिशत सैयद गरीब हैं।
दो अक्टूबर को जारी किये गये थे जाति गणना के आंकड़े
बीते 2 अक्टूबर को बिहार सरकार ने जाति गणना के आंकड़े जारी किये थे। इसको लेकर जारी आंकड़ों में बताया गया था कि बिहार की कुल आबादी करीब 13 करोड़ 7 लाख है। जिसमें करीब 2 करोड़ 83 लाख परिवार रहते हैं।तब जारी आंकड़ों में बताया गया था कि बिहार में सबसे अधिक आबादी अत्यंत पिछड़ा वर्ग की है जिसकी कुल आबादी बिहार में करीब 36 प्रतिशत है। अन्य पिछड़ा वर्ग या ओबीसी की आबादी राज्य में करीब 27 प्रतिशत है। सामान्य वर्ग की आबादी 15.52 प्रतिशत है। राज्य में 19.65 प्रतिशत अनुसूचित जाति या दलित वर्ग के लोग हैं। अनुसूचित जनजाति की आबादी राज्य में 1.68 प्रतिशत है।
जातियों की बात करें तो बिहार में सबसे अधिक यादव हैं जिनकी आबादी 14.26 प्रतिशत है। राज्य में 3.65 प्रतिशत ब्राह्मण, 3.45 प्रतिशत राजपूत हैं। वहीं सामान्य वर्ग में सबसे कम आबादी 0.60 प्रतिशत कायस्थों की है।
वहीं बिहार में कोइरी जाति की संख्या 4.2 प्रतिशत, कुर्मी की संख्या 2.8 प्रतिशत, मल्लाह 2.60 प्रतिशत, बनिया 2.31 प्रतिशत, रविदास की संख्या 5.2 प्रतिशत है। राज्य में मुसहर जाति की संख्या 3.08 प्रतिशत है।
धर्म के आधार पर देखे तो बिहार में 82 प्रतिशत हिंदू और 17.7 प्रतिशत मुसलमान हैं। ईसाईयों की संख्या 0.057 प्रतिशत है। सिखों की संख्या 0.011 प्रतिशत है। बौद्धों की संख्या 0.085 प्रतिशत है। जैन की संख्या 0.009 प्रतिशत है। अन्य की संख्या 0.127 प्रतिश और कोई धर्म नहीं मानने वालों की संख्या 0.0016 प्रतिशत है।