पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेताओं के खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने के आरोपों की जांच का आदेश कलकत्ता हाईकोर्ट ने दिया है। यह जांच अदालत की निगरानी मे ंहोगी। हालांकि, सीबीआई पहले से ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों पर इसी इलाके में हमले की जांच कर रही है। यह मामला राज्य में चावल वितरण में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है। 5 जनवरी को ईडी की टीम टीएमसी के पूर्व नेता शेख शाहजहां के घर छापा मारने गई थी। आरोप है कि उस दिन शेख के लोगों ने ईडी टीम पर हमला कर दिया था।
भाजपा इस मामले को लगातार उठा रही थी। ठीक एक महीने बाद नतीजा सामने आया। 5 फरवरी को संदेशखाली इलाके के गांव की स्थानीय महिलाओं ने शेख और उसके सहयोगियों पर यौन शोषण और उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने टीएमसी नेता पर जबरन उनकी जमीन हड़पने का भी आरोप लगाया। ईडी अधिकारियों पर हमला और ग्रामीणों के आरोप लोकसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ टीएमसी और भाजपा के बीच टकराव का मुद्दा बन गए हैं।
भाजपा ने दूसरी घटना को भी बड़ा मुद्दा बना दिया। हाईकोर्ट ने भी दखल दिया। शेख को 55 दिनों की फरारी के बाद 29 फरवरी को राज्य पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद टीएमसी ने शेख को पार्टी से निलंबित कर दिया। बाद में अदालत के आदेश पर शेख को सीबीआई को सौंप दिया गया।
भाजपा ने इस घटना को राजनीतिक मोड़ दे दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 अप्रैल को कूचबिहार में अपनी रैली में संदेशखाली घटना का जिक्र करते हुए महिलाओं के खिलाफ अत्याचार को लेकर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार पर हमला बोला था। हालांकि पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था के नाम पर भाजपा के पास संदेशखाली, शेख शाहजहां के कथित कारनामे ही मुद्दा हैं। इन घटनाओं का हवाला देकर वहां केंद्रीय बलों की 92 कंपनियां सातों चरण में तैनात की जा रही हैं। टीएमसी का आरोप है कि भाजपा पश्चिम बंगाल में केंद्रीय बल तैनात करवाकर, केंद्रीय एजेंसियों से टीएमसी नेताओं की जांच करवाकर चुनाव जीतना चाहती है।