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तब्लीगी केस- जाँच नहीं हुई तो पुलिसकर्मी जाँच अधिकारी के लायक नहीं: HC

तब्लीगी केस- जाँच नहीं हुई तो पुलिसकर्मी जाँच अधिकारी के लायक नहीं: HC

पिछले साल तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए विदेशियों को तो बरी कर दिया गया था, लेकिन जिन लोगों पर ऐसे लोगों को शरण देने का आरोप था उसमें पुलिस ने क्या जाँच की?

पिछले साल मार्च में देश में कोरोना संक्रमण फैलने के लिए जिस तब्लीगी जमात को सीधे तौर पर ज़िम्मेदार ठहराने की कोशिश की गई थी उस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने अब पुलिस की ज़बर्दस्त खिंचाई की है। इसने कहा कि दिल्ली पुलिस ने ठीक से जाँच नहीं की। अदालत ने तो यहाँ तक कह दिया कि 'क्योंकि जाँच नहीं की गई तो पुलिसकर्मी जाँच अधिकारी होने के लायक नहीं हैं।'

इसी साल सितंबर महीने में तब्लीग़ी जमात से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मीडिया के एक हिस्से की ख़बरों में सांप्रदायिक टोन दिखती है और इससे देश का नाम ख़राब हो सकता है। एक याचिका में कहा गया था कि तब्लीग़ी जमात के लोगों को कोरोना फैलाने को लेकर बदनाम किया गया।

कोरोना फैलाने के आरोपों का सामना कर रहे तब्लीग़ी जमात के सभी 36 विदेशियों को दिल्ली की एक अदालत ने पिछले साल दिसंबर महीने में ही आरोपों से बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि आरोप लगाने वालों ने कोई सबूत पेश नहीं किया और गवाहों के बयानों में अंतर्विरोध हैं। 

कोर्ट के ये फ़ैसले उन लोगों के लिए झटका हैं जो उछल-उछल कर तब्लीग़ी जमात को देश में कोरोना फैलाने के लिए ज़िम्मेदार ठहरा रहे थे। तब पुलिस तो आरोप लगा ही रही थी, दक्षिणपंथी विचारों वाले सोशल मीडिया से लेकर कुछ टीवी चैनल तब्लीग़ी जमात को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहरा रहे थे। एक तरह से मुसलिमों का 'दानवीकरण' किया जा रहा था। दिल्ली की अदालत के फ़ैसले से पहले भी मद्रास हाई कोर्ट और बॉम्बे हाई कोर्ट ने बिना किसी सबूत के तब्लीग़ी जमात को कोरोना फैलाने के लिए ज़िम्मेदार ठहराने पर पुलिस की खिंचाई की थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी।

अब दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को पुलिस को रिकॉर्ड पर यह बताने का निर्देश दिया कि क्या पिछले साल मार्च में तब्लीगी जमात में शामिल होने के लिए वैध पासपोर्ट और वीजा पर आए विदेशी नागरिकों को आवास प्रदान करने पर कोई रोक थी।

अदालत के सवालों का ठीक से जवाब नहीं देने के लिए दिल्ली पुलिस की खिंचाई करते हुए इसने कहा कि मामलों में कोई जांच नहीं हुई है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में विदेशियों के आगमन की तारीख के बारे में पुलिस के जवाब देने में विफल रहने के बाद न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने कहा, 'तब आपके अधिकारी जांच अधिकारी बनने के लायक नहीं हैं।'

अदालत ने पुलिस को लंबित मामलों की स्टेटस रिपोर्ट देने के लिए कहा, 'आपको मुझे सामग्री देने की आवश्यकता है ताकि मैं कुछ आदेश पारित कर सकूं।'

कम से कम एक दर्जन प्राथमिकी में कम से कम 48 लोग आरोपी हैं जिन्हें उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई है। हाई कोर्ट के समक्ष याचिकाएँ दायर की गई हैं कि दिल्ली के निवासियों के ख़िलाफ़ दर्ज प्राथमिकी रद्द की जाए। इन लोगों पर तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल होने आए लोगों, ज्यादातर विदेशी नागरिकों को मसजिदों या उनके घरों में रहने की अनुमति देने का आरोप है।

बता दें कि तब्लीगी जमात के कार्यक्रम से जुड़े मामले में आरोपी बनाए गए सभी 36 विदेशी लोगों को बरी कर दिया गया है। 

दिल्ली पुलिस ने तब्लीग़ी जमात के क़रीब साढ़े नौ सौ विदेशी सदस्यों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया था। उनमें से अधिकतर कोर्ट में याचिका लगाकर और अनुमति लेकर अपने-अपने देश चले गए। लेकिन 44 दिल्ली में ही रुककर ट्रायल का सामना कर रहे थे। इन्हीं में से 8 को दिल्ली के साकेत कोर्ट ने अगस्त महीने में रिहा कर दिया था। बाक़ी के 36 को भी विदेशी अधिनियम की धारा 14 और आईपीसी की धारा 270 और 271 के तहत रिहा किया गया था लेकिन वे महामारी अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम और अन्य आईपीसी धाराओं के तहत आरोपों का सामना कर रहे थे। 

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